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देश में मंदिर परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए 7 शक्तिपीठों में ‘शक्ति-संगीत और नृत्य का एक उत्सव’ आयोजन हुआ आरंभ

देश में मंदिर परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिए 7 शक्तिपीठों में ‘शक्ति-संगीत और नृत्य का एक उत्सव’ आयोजन हुआ आरंभ
  • PublishedApril 10, 2024

संगीत नाटक अकादमी, कला प्रवाह श्रृंखला के तहत, मंदिर परंपराओं को देश में पुनर्जीवित करने के लिए पवित्र नवरात्रि के दौरान ‘शक्ति संगीत और नृत्य का एक उत्सव’ नाम से एक आयोजन कर रही है, जिसकी शुरुआत 9 अप्रैल (मंगलवार) नवरात्रि के पहले दिन से हो चुकी है।

संस्‍कृति मंत्रालय ने एक बयान कहा चूंकि नवरात्रि नौ देवियों की शक्ति का प्रतीक है, इसलिए अकादमी 9 से 17 अप्रैल 2024 तक देश के विभिन्न हिस्सों के सात अलग-अलग शक्तिपीठों में मंदिर परंपराओं का उत्सव मनाने के लिए शक्ति शीर्षक से संगीत और नृत्य महोत्सव का आयोजन कर रही है।

बता दें कि प्रदर्शन कला की राष्ट्रीय अकादमी और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की एक स्वायत्त संस्था, संगीत नाटक अकादमी, संगीत, नृत्य, नाटक, लोक और जनजातीय कला रूप और देश के अन्य संबद्ध कला रूपों के रूप में व्यक्त देश के प्रदर्शन कला रूपों के संरक्षण, अनुसंधान, प्रचार और कायाकल्प की दिशा में काम कर रही है।

शक्ति उत्सव का उद्घाटन मंगलवार को गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर से किया गया। यह शक्ति उत्सव महाराष्ट्र के कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर, कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश के ज्वालामुखी मंदिर, उदयपुर, त्रिपुरा के त्रिपुर सुंदरी मंदिर बनासकांठा, गुजरात के अंबाजी मंदिर, देवघर, झारखंड के जय दुर्गा शक्तिपीठ, में जारी रहेगा। इस उत्सव का समापन उज्जैन, मध्य प्रदेश के शक्तिपीठ मां हरसिद्धि मंदिर में 17 अप्रैल, 2024 को होगा।