10 वर्षों में दालों का उत्पादन 60 प्रतिशत बढ़ा, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा-किसान देश को बना रहे आत्मनिर्भर
दालों का उत्पादन 2014 में 171 लाख टन से 60 प्रतिशत बढ़कर 2024 में 270 लाख टन हो गया है।
देश के किसान भारत को आत्मनिर्भर बनाने और 50 अरब डॉलर से अधिक के कृषि संबंधी उत्पादों के निर्यात को सक्षम बना रहे हैं। कृषि उत्पादों के उत्पादन एवं गुणवत्ता में बढ़ोतरी हो रही है। इस बारे में बताते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने किसानों को धन्यवाद दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने और देश को खाद्यान्न, दलहन, मसूर, सब्जियों तथा फलों के एक बड़े उत्पादक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में किसानों का महतवपूर्ण योगदान है।
दालों का उत्पादन 2024 में 270 लाख टन
उन्होंने कहा कि इससे विभिन्न खाद्य उत्पादों के उत्पादन एवं गुणवत्ता दोनों में विस्तार हुआ है, जिससे भारत 50 अरब डॉलर से अधिक के कृषि और संबंधित उत्पादों का निर्यातक बन गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले दशक में किसानों की प्रतिबद्धता व क्षमताओं के कारण, दालों का उत्पादन 2014 में 171 लाख टन से 60 प्रतिशत बढ़कर 2024 में 270 लाख टन हो गया है।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि दालों को न केवल भारत का बल्कि दुनिया का एक प्रमुख आहार बनाने के लिए राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) और वैश्विक दलहन परिसंघ के बीच साझेदारी बढ़ती रहेगी। केंद्रीय मंत्री ने भारत दाल के बारे में बताते हुए कहा कि देश के किसानों का सहयोग करने और भारतीय नागरिकों के लिए उचित मूल्य वाली दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत दाल की शुरुआत की है।
ग्राहकों के बीच लोकप्रिय भारत दाल
उन्होंने कहा कि ‘भारत’ ब्रांड के तहत खुदरा बिक्री के लिए सरकार द्वारा खरीदी गई चना दाल ने बाजार में उतरने के चार महीनों में ही दलहन के क्षेत्र में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि विभिन्न ई-कॉमर्स साइटों पर ग्राहक समीक्षाओं से भारत दाल को मिली उच्च रेटिंग किसानों की उच्च गुणवत्ता वाली दालों का उत्पादन करने की क्षमता को दर्शाती है और सरकार के सहयोग से यह आम आदमी के लिए सहजता से उपलब्ध भोजन बन सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले एक दशक में दालों की सरकारी खरीद 18 गुना बढ़ चुकी है।
कीमतों और मूल्य स्थिरता के लिए बफर स्टॉक की शुरुआत
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2015 में सरकार ने मध्यम कीमतों और मूल्य स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए बफर स्टॉक की शुरुआत की थी, जिससे उपभोक्ताओं को खाद्य मुद्रास्फीति से बचाया जा सके। इसके असर से विकसित दुनिया सहित कई देश 40 साल की उच्च मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सबसे कम मुद्रास्फीति दर के साथ एक प्रमुख देश था और पिछले दशक में मुद्रास्फीति को दोहरे अंक में 5-5.5 प्रतिशत तक लाने में सक्षम रहा है।
एमएसपी आज सबसे अधिक
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा कि एमएसपी आज हमारे किसानों को उत्पादन की वास्तविक लागत से 50 प्रतिशत अधिक कीमत का आश्वासन देती है, जिससे निवेश पर आकर्षक रिटर्न मिलता है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि एक दशक पहले प्रदान की गई राशि की तुलना में मसूर में 117 प्रतिशत, मूंग में 90 प्रतिशत, चना दाल में 75 प्रतिशत अधिक, तुअर और उड़द में 60 प्रतिशत अधिक वृद्धि के साथ एमएसपी आज सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि नेफेड व एनसीसीएफ किसानों को दलहन तथा मसूर में विविधता लाने के उद्देश्य से प्रोत्साहित कर रहे हैं और सरकारी खरीद के लिए 5 साल के अनुबंध के लक्ष्य के साथ सुनिश्चित मूल्य प्रदान करने के इच्छुक हैं, जो भारत सरकार का एक बड़ा महत्वपूर्ण कदम है।
मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक
उन्होंने यह भी कहा कि भारत दुनिया में मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और 5वां सबसे बड़ा निर्यातक है। उन्होंने कहा कि सरकार ‘श्री अन्न’ की तरह ही दलहन तथा मसूर पर भी समान रूप से ध्यान केंद्रित कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित उद्योग जगत के प्रमुखों से उत्पादकता में सुधार लाने और दलहन उद्योग को बढ़ाने के लिए सुझाव देने एवं मार्गदर्शन प्रदान करने का आग्रह किया।