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The Great Indian Family Review: व‍िक्‍की कौशल की ये फैमली ‘ग्रेट’ नहीं बन पाई, ड्रामा की ओवरडोस मुश्किल है झेलना

The Great Indian Family Review: व‍िक्‍की कौशल की ये फैमली ‘ग्रेट’ नहीं बन पाई, ड्रामा की ओवरडोस मुश्किल है झेलना
  • PublishedSeptember 25, 2023

The Great Indian Family Movie Review: ‘मसान’, ‘उरी: द सर्जिकल स्‍ट्राइक’ जैसी फिल्‍में करने वाले व‍िक्‍की कौशल इन द‍िनों फैमली ऑड‍ियंस के लिए फिल्‍में बनाने में लगे हैं. ‘गोव‍िंदा नाम मेरा’ और ‘जरा हटके जरा बचके’ के बाद अब विक्‍की नजर आ रहे हैं फिल्‍म ‘द ग्रेट इंडियन फैमली’ में जो आज थ‍िएटर्स में र‍िलीज हो गई है. न‍िर्देशक व‍िजय कृष्‍ण आचार्य की इस फिल्‍म में व‍िक्‍की की हीरोइन हैं मानुषी छ‍िल्‍लर और ये उनकी एक और कोश‍िश है एक एक्‍ट्रेस के तौर पर स्‍थाप‍ित होने की. यश राज प्रोडक्‍शन में मानुषी की एक सक्‍सेसफुल फिल्‍म देने की ये दूसरी कोशिश है. इससे पहले वो ‘सम्राट पृथ्‍वीराज’ के जरिए भी अक्षय कुमार के साथ लॉन्‍च हो चुकी हैं. चल‍िए बताते हैं आपको क‍ि अतरंगी परिवार और भजन कुमार की इस‍ कहानी में दर्शकों को स‍िनेमाघरों में बैठाने का क‍ितना माद्दा है.

कहानी: फिल्‍म की कहानी है वेद व्‍यास त्र‍िपाठी की, ज‍िसे अपने भजनों की वजह से भजन कुमार के नाम से जाना जाता है. भजन कुमार के प‍िता हैं पंड‍ित स‍िया राम त्र‍िपाठी, ज‍िनका पूरे बलरामपुर में बोलबाला है. हर धार्मिक कार्य में उन्‍हें ही बुलाया जाता है. लेकिन उनके सामने है, एक दूसरा पंड‍ित म‍िश्रा जो त्र‍िपाठी जी से बैर रखता है. भजन कुमार का एक बड़ा सा परिवार है, ज‍िसे वो अपनी ज‍िंदगी के सांप मानता है. लेकिन अचानक एक च‍िट्ठी आती है और सबकुछ बदल जाता है. पंड‍ित जी का लड़का मुसलमान बन जाता है. लेकिन ऐसा क्‍यों होता है, और आखिर भजन कुमार इन सारे हालातों को ठीक करता है, यही ये फिल्‍म बताती है.

ह‍िंदी स‍िनेमा हमेशा से वो जगह रहा है जो ‘मजहब नहीं स‍िखाता आपस में बैर रखना’ जैसी बात को फोलो करता है. न‍िर्देशक व‍िजय कृष्‍ण आचार्य की कहानी इसी व‍िचार को द‍िखाने, पनपाने और पेश करने की कोशिश करती है. इसमें न्‍यूटन बाबा का भी पूरा सहारा ल‍िया गया है. लेकिन ‘द ग्रेट इंडियन फैमली’ इस कोशिश में पूरी तरह फेल साब‍ित होती है. बलरामपुर के नाम पर नकली सेट पर फिल्‍माई गई ये कहानी भी कई जगह नकली लग पड़ती है. एक अच्‍छी कहानी को अच्‍छी फिल्‍म बनाने का काम करते हैं उसके डायलॉग्‍स पर यही इस फिल्‍म की कमी है. ये कहानी ज्ञान देती नजर आती है, पर वो भी सही से पहुंच नहीं पाता.

साल 2015 में एक फिल्‍म आई थी, ज‍िसका नाम था ‘धर्म संकट में’. इस फिल्‍म की कहानी थी एक ऐसे व्‍यक्त‍ि धर्मपाल की जो सालों से खुद को गर्व से ह‍िंदू मानता रहा है, पर अचान‍क एक अधेड़ उम्र में उसे पता चलता है कि उसका जन्‍म मुसलमान के तौर पर हुआ था और ह‍िंदू माता-प‍िता ने उसे गोद ल‍िया था. ‘द ग्रेट इंडियन फैमली’ इस प्‍लॉट को विक्‍की कौशल के साथ ट्राई कर रही है. जबकि ‘धर्म संकट में’ में परेश रावल, नसीरुद्दीन शाह और अनु कपूर जैसे द‍िग्‍गज कलाकार नजर आए थे. ‘धर्म संकट में’ इस व‍िषय को खूबसूरती से दर्शती है और परेश रावल ने ऐसे व्‍यक्ति के मानस‍िक द्वंद को बहुत खूबसूरती से दर्शाया है. ‘द ग्रेट इंडियन फैमली’ में भी कुमुद म‍िश्रा, मनोज पाहवा, साद‍िया स‍िद्दि‍की समेत कई कलाकारों को पूरी तरह बर्बाद क‍िया गया है. आप इस बात से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि ‘द ग्रेट इंडियन फैमली’ नाम की इस फिल्‍म के फैमली मेंबर्स का इस्‍तेमाल बस कुछ सीनों में वोट डालने के लिए ही क‍िया गया है.