शिवराज आज सांची में देश की पहली सोलर सिटी का करेंगे लोकार्पण
सांची सोलर सिटी में सालाना लगभग 13747 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी, जो कि लगभग 2.3 लाख वयस्क वृक्षों के बराबर है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रायसेन जिले में स्थित प्रसिद्ध बौद्ध पर्यटन स्थली सांची में शाम 4.00 बजे देश की पहली सोलर सिटी का लोकार्पण करेंगे। जनसम्पर्क अधिकारी सुनीता दुबे ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पृथ्वी के सतह के तापमान को नियंत्रित करने के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रयास है। सांची सोलर सिटी में सालाना लगभग 13747 टन कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी, जो कि लगभग 2.3 लाख वयस्क वृक्षों के बराबर है। साथ ही शासन तथा नागरिकों के ऊर्जा संबंधी व्यय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सालाना लगभग सात करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होगी।
इसी दिशा में सांची को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने के साथ ही इको फ्रेंडली सुविधाओं के जरिए पर्यावरण प्रदूषण को कम करके टूरिज्म को आकर्षित करने की कोशिश की गई है। विभिन्न स्थानों पर सोलर वाटर कियॉस्क स्थापित किए गए हैं। शहर में चार बैटरी चलित ई-रिक्शा चलेंगे। इनसे किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होगा। शहर में दो बैटरी चलित कचरा वाहन भी चलेंगे।
लोकार्पण कार्यक्रम में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह डंग, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, सहकारिता मंत्री अरविन्द भदौरिया, ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिर्राज दंडोतिया, सांसद रमाकांत भार्गव, विधायकगण रामपाल सिंह सुरेन्द्र पटवा और देवेन्द्र पटेल एवं जिला पंचायत अध्यक्ष यशवंत सिंह मीणा विशिष्ट अतिथि होंगे।
हर राज्य में एक सोलर सिटी विकसित करने का लक्ष्य
जलवायु परिवर्तन भारत समेत पूरी दुनिया में अब बड़ा असर दिखा रहा है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों जैसे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2070 तक भारत के हर राज्य में एक सोलर सिटी विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी दिशा में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ऐतिहासिक धरोहर “साँची” को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया, जिसमें न केवल साँची शहर की ऊर्जा जरूरतों को नवकरणीय ऊर्जा से पूर्ण करना बल्कि वहाँ के समस्त नागरिकों को ऊर्जा साक्षर बनाकर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में व्यवहारिक परिवर्तन ला कर ऊर्जा का संरक्षण करना भी शामिल है।