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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एएफएमसी, पुणे के वर्ष भर चलने वाले प्लैटिनम जुबली समारोह के हिस्से के रूप में, एएफएमसी, पुणे के एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीआई) खंड का शुभारंभ किया

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने एएफएमसी, पुणे के वर्ष भर चलने वाले प्लैटिनम जुबली समारोह के हिस्से के रूप में, एएफएमसी, पुणे के एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीआई) खंड का शुभारंभ किया
  • PublishedSeptember 6, 2023

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी), पुणे के पूरे वर्ष चलने वाले प्लैटिनम जयंती समारोह के हिस्से के रूप में, आज एएफएमसी, पुणे के एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीआई) खंड का शुभारंभ किया। डॉ. सिंह ने इस अवसर पर एपीआई-एएफएमएस सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) के “चिकित्सा के व्यवसाय में उभरते रुझान” पर पहले वार्षिक सम्मेलन का भी उद्घाटन किया।

सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय, पुणे को नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान-एम्स के अस्तित्व में आने से बहुत पहले स्थापित पहला केंद्रीय सरकारी चिकित्सा शिक्षा संस्थान बताते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक अलग सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय का विचार किसी और से नहीं बल्कि डॉ. बीसी रॉय की सोच से आया था, जिन्हें एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीआई) को विकसित करने का श्रेय भी दिया जाता है।

उन्होंने कहा, “एक साझा विरासत के रूप में, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (एपीआई) और सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी) का एक साथ आना भी एक ऐतिहासिक मूल्य है और पहली पीढ़ी के चिकित्सक डॉ. बीसी रॉय को एक सच्ची श्रद्धांजलि है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि एक दायरे में काम करने का युग समाप्त हो गया है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नौ वर्षों के शासन के दौरान, मंत्रालयों और विभागों सहित सरकार के विभिन्न अंगों, विभिन्न संघों, उच्च और विशिष्ट शिक्षण संस्थानों और उद्योग के साथ, विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को एकीकृत करने के लिए उचित प्रयास किए गए हैं।

स्वयं एक प्रतिष्ठित मधुमेह रोग विशेषज्ञ और चिकित्सा के प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि निदान और चिकित्सीय औषधि के नए उपकरणों के लिए वांछित अधिकतम परिणामों के लिए समग्र और “संपूर्ण विज्ञान” दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।

देश में पहली बार ‘प्रिवेंटिव हेल्थकेयर’ को फोकस में लाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसे देश में जहां 70 प्रतिशत आबादी 40 वर्ष से कम उम्र की है और आज के युवा इंडिया@2047 के प्रमुख नागरिक बनने जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “निवारक स्वास्थ्य देखभाल और व्यापक रूप से लोगों की जांच से भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने में मदद मिलेगी। पूरी दुनिया ने कोविड -19 के दौरान भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को पहचाना, क्योंकि इसने पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म – कोविन के माध्यम से 220 करोड़ से अधिक टीकाकरण करने की दुर्लभ उपलब्धि हासिल की और यह प्रक्रिया जारी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, केवल दो वर्षों की अवधि में, भारत दो डीएनए वैक्सीन और एक नेज़ल वैक्सीन का उत्पादन कर सकता है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछली आधी सदी में संपूर्ण रोग क्षेत्र के साथ-साथ हमारे लिए उपलब्ध चिकित्सीय और निवारक तौर-तरीकों के विकास में भी बदलाव आया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “अस्सी के दशक के बाद, वैश्वीकरण या बीमारियों का तथाकथित ‘लोकतंत्रीकरण’ हुआ, इसलिए हमें जीवनशैली संबंधी बीमारियाँ, कोरोनरी बीमारियाँ आदि भी होने लगीं और इसके साथ ही जीवन प्रत्याशा में भी बदलाव आया है और जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष के करीब हो गई है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसी उद्देश्य के साथ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) ने आज रक्षा मंत्रालय के सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन में बायोमेडिकल विज्ञान में अनुसंधान सहयोग बनाने और संकाय विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने की परिकल्पना की गई है।