भारत

प्रधानमंत्री गतिशक्ति के अंतर्गत 53वीं राष्ट्रीय योजना समूह की बैठक में 6 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सिफारिश की गई

प्रधानमंत्री गतिशक्ति के अंतर्गत 53वीं राष्ट्रीय योजना समूह की बैठक में 6 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सिफारिश की गई
  • PublishedAugust 11, 2023

प्रधानमंत्री गतिशक्ति के अंतर्गत 53वीं राष्ट्रीय योजना समूह (एनपीजी) की बैठक 9 अगस्त 2023 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। यह बैठक, लॉजिस्टिक्स, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग की विशेष सचिव श्रीमती सुमिता डावरा की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी। बैठक में सदस्य विभाग और मंत्रालयों, यानी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, नागरिक विमानन मंत्रालय, रेलवे मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, विद्युत मंत्रालय और नीति आयोग की सक्रिय भागीदारी देखी गई।

लॉजिस्टिक्स, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) की विशेष सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि क्षेत्र विकास दृष्टिकोण के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए, चर्चा की गई परियोजनाएं सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी और मौजूदा शहर और रेल बुनियादी ढांचे की भीड़-भाड़ को कम करेंगी। ये परियोजनाएं भविष्य की क्षमता वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं और परियोजना क्षेत्र की लॉजिस्टिक क्षमता में वृद्धि करेंगी।

बैठक के दौरान, छह परियोजनाएं, 3 रेलवे मंत्रालय की परियोजनाएं और 3 सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की परियोजनाओं का का मूल्यांकन किया गया। इनकी कुल परियोजना लागत 28,875.16 करोड़ रुपये है। इन परियोजनाओं से भीड़-भाड़ और अत्यधिक आबादी वाले क्षेत्रों को दरकिनार करके विभिन्न गांवों और प्रमुख औद्योगिक व्यापार केंद्रों तक कनेक्टिविटी में सुधार होने और यात्रा के समय को कम करने की आशा है। प्रस्तावित परियोजनाओं से व्यावसायिक अवसरों का विस्तार होने और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की भी संभावना है।

एक रेलवे परियोजना, बारबिल-नयागढ़-बरसुअन और भद्रसाही- किरीबुरू, जिसकी कुल परियोजना लागत 12,532.87 करोड़ रुपये है, जो दक्षिण पूर्व रेलवे के मौजूदा स्टेशनों बारबिल, बारसुआन और किरीबुरू और पूर्वी तट रेलवे के नयागढ़ को जोड़ती है, के बारे में गतिशक्ति क्षेत्र विकास दृष्टिकोण के सिद्धांत पर राष्ट्रीय योजना समूह (एनपीजी) द्वारा मूल्यांकन किया गया था। यह रेलवे संपर्क ओडिशा राज्य के सुंदरगढ़ और क्योंझर जिले और झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले की प्रमुख खदानों को जोड़ता है।

राष्ट्रीय योजना समूह (एनपीजी) ने उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में प्रस्तावित मलकानगिरी से भद्राचलम रेलवे लाइन (परियोजना लागत- 3591.76 करोड़ रुपये) का भी आकलन किया। इससे दक्षिण मध्य रेलवे (पांडुरंगपुरम) को पूर्वी तट रेलवे (जूनागढ़) से जोड़ने वाला एक नया गलियारा खुलेगा। इससे आंध्र प्रदेश के गहरे बंदरगाहों से दक्षिणी ओडिशा में खदानों और उद्योगों के बीच की दूरी कम होने की भी संभावना है। वाणिज्यिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे दोनों के लिए कनेक्टिविटी के विकास के लिए पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान पर क्षेत्र विकास दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला गया।

उपरोक्त के अलावा, राष्ट्रीय योजना समूह (एनपीजी) ने महाराष्ट्र में वैभववाड़ी-कोल्हापुर को जोड़ने वाली 3411.17 करोड़ रुपये लागत की प्रस्तावित लाइन की भी सिफारिश की। नई लाइन से अन्य उद्योगों के अलावा क्षेत्र के विभिन्न ताप विद्युत संयंत्रों, विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में थर्मल कोयला यातायात को पूरा करने की संभावना है। नए बुनियादी ढांचे की कनेक्टिविटी के लिए पर्यटकों की रुचि वाले क्षेत्रों सहित क्षेत्र में उद्योग का मूल्यांकन किया गया था।

भारतमाला परियोजना के अंतर्गत सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) की एक सड़क परियोजना हसन-रायचूर आर्थिक गलियारा 20 (ईसी 20), जिसकी कुल परियोजना लागत 6,274.75 करोड़ रुपये है, का मूल्यांकन राष्ट्रीय योजना समूह (एनपीजी) द्वारा किया गया था। आर्थिक गलियारा 20 (ईसी 20) दो राज्यों और 5 जिलों से होकर गुजरता है, जैसे कर्नाटक में हासन, तुमकुर, बेल्लारी, आंध्र प्रदेश में कुरनूल और कर्नाटक में रायचूर। इससे क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक नोड्स के लिए कनेक्टिविटी बढ़ने की संभावना है।

राष्ट्रीय योजना समूह (एनपीजी) ने 936.03 करोड़ रुपये की लागत वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-848 के गोंडे से पिंपरी-सादो खंड तक छह लेन और मध्य प्रदेश/उत्तर प्रदेश की सीमा के पास सतई घाट से कैमाहा तक 2,128.58 करोड़ रुपये की चार लेन की परियोजना का भी मूल्यांकन किया। इन परियोजनाओं से मौजूदा राजमार्गों पर यातायात की भीड़ कम होने और राजमार्ग पर माल ढुलाई की मात्रा और आवाजाही के स्वरूप का बेहतर प्रबंधन होने की संभावना है।