जी20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह की तीसरी बैठक के दौरान प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के संबोधन का पाठ
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष प्रतिनिधि सुश्री ममी मिज़ुटोरी; भारत के जी20 शेरपा श्री अमिताभ कांत; जी20 सदस्यों के साथ-साथ अतिथि देशों के सहकर्मी; अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अधिकारीगण; कार्य समूह के अध्यक्ष श्री कमल किशोर; भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सदस्य, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान तथा गृह मंत्रालय के सहकर्मी, देवियों और सज्जनों।
मुझे आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्य समूह की तीसरी बैठक में आपके समक्ष उपस्थित होकर बहुत प्रसन्नता हो रही है। हम पहली बार इसी साल मार्च में गांधीनगर में मिले थे। उस समय से लेकर अब तक दुनिया ने कुछ अभूतपूर्व आपदाएं झेली हैं। लगभग पूरे उत्तरी गोलार्ध के शहर भीषण गर्मी की चपेट में हैं। कनाडा के जंगलों में लगी आग और उसके बाद फैली धुंध ने उत्तरी अमरीका के कई हिस्सों में शहरों को प्रभावित किया है। अपने भारत में भी, हमने पूर्वी और पश्चिमी तटों पर प्रमुख चक्रवाती गतिविधियों को देखा है। दिल्ली में बीते 45 वर्ष की सबसे भीषण बाढ़ आई है, जबकि अभी तक हम मॉनसून के मौसम के आधे हिस्से को भी नहीं देख पाए हैं।
साथियो
जलवायु परिवर्तन संबंधी आपदाओं के प्रभाव अब दूर भविष्य की बात नहीं रह गए हैं। वे पहले से ही हमारे आस-पास हैं। उनका असर विस्तारित हो चुका है। वे आपस में जुड़े हुए हैं और वे पूरी पृथ्वी पर सभी को प्रभावित करते हैं। दुनिया आज जिन चुनौतियों का सामना कर रही है, वे इस कार्य समूह के महत्व को रेखांकित करती हैं। इस कार्य समूह ने चार महीने की छोटी सी अवधि में काफी प्रगति की है और इसने काफी अच्छी रफ्तार पकड़ ली है। हालांकि, हमें इस दिशा में और अधिक करने की आवश्यकता है। इस कार्य समूह की महत्वाकांक्षा हमारे सामने आने वाली समस्याओं के पैमाने से मेल खानी चाहिए। क्रमिक परिवर्तन का समय बीत चुका है। हमें नए आपदा जोखिमों को उत्पन्न होने से रोकने और मौजूदा आपदा जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए स्थानीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक प्रणालियों में बदलाव की आवश्यकता है। यह एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि अलग-अलग राष्ट्रीय एवं वैश्विक प्रयास सक्रिय रूप से इस ओर झुकाव चाहते हैं ताकि उनके सामूहिक प्रभाव को अधिकतम किया जा सके। हम संकीर्ण संस्थागत दृष्टिकोण से प्रेरित खंडित प्रयासों को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। हमारी समस्याओं के समाधान को उत्कृष्ट दृष्टिकोण से प्रेरित होना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की “सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी” पहल इस दृष्टिकोण का एक बढ़िया उदाहरण है। यह जानना अच्छा है कि जी20 ने “शीघ्र चेतावनी व शीघ्र कार्रवाई” को पांच प्राथमिकताओं में से एक के रूप में पहचाना है और इसके पीछे अपना पूरा जोर लगा रहा है। आपदा जोखिम न्यूनीकरण के वित्तीयन के क्षेत्र में यह महत्वपूर्ण है कि हम आपदा जोखिम न्यूनीकरण के सभी पहलुओं के वित्तपोषण के लिए सभी स्तरों पर संरचित तंत्र अपनाएं। पिछले कुछ वर्षों में, भारत में हमने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के वित्तपोषण के तरीके को पूरी तरह से परिवर्तित कर दिया है। अब हमारे पास न केवल विपदा पर त्वरित प्रतिक्रिया बल्कि आपदा शमन, तैयारी और पुनर्प्राप्ति के वित्तपोषण के लिए एक पूर्वानुमानित तंत्र है। क्या हम वैश्विक स्तर पर भी ऐसी ही व्यवस्था कर सकते हैं? हमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए उपलब्ध वित्तपोषण की विभिन्न धाराओं के बीच अधिक संतुलन तैयार करने की आवश्यकता है। आपदा जोखिम में कमी के लिए जलवायु वित्त को वित्तपोषण का एक अभिन्न अंग होना चाहिए। आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए निजी वित्त जुटाना एक चुनौती रही है, लेकिन इसकी अनुपस्थिति में हम सभी आपदा जोखिम न्यूनीकरण आवश्यकताओं को पूरा करने में बहुत आगे तक नहीं जा पाएंगे। आपदा जोखिम न्यूनीकरण में निजी वित्त को आकर्षित करने के लिए सरकारों को किस प्रकार का सक्षम वातावरण बनाना चाहिए? यह समझना महत्वपूर्ण है कि जी20 इस क्षेत्र में जोर कैसे पकड़ सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण में निजी निवेश न केवल कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी की अभिव्यक्ति है बल्कि व्यवसायिक-संघों के मुख्य कार्य का हिस्सा है।
आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में हम पहले से ही इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के ढांचे के लिए गठबंधन के लाभों को देख रहे हैं, जिसे हमने कुछ साल पहले कई जी20 देशों, संयुक्त राष्ट्र और अन्य सहयोगियों के साथ साझेदारी में स्थापित किया था। गठबंधन का कार्य यह स्पष्ट करना है कि किस तरह से ऐसे देश – जिनमें छोटे द्वीप विकासशील देश भी शामिल हैं – अपने मानकों को उन्नत करने तथा बुनियादी ढांचे के विकास में अधिक जोखिम-सूचित निवेश करने के लिए बेहतर जोखिम मूल्यांकन व मेट्रिक्स का उपयोग कर सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम इन विचारों को बड़े पैमाने पर ले जाने की दिशा में कार्य करें। हमें प्रायोगिक प्रयासों से परे सोचना होगा और अपनी किसी भी पहल को बड़े पैमाने पर डिजाइन करना होगा। आपदाओं के बाद “बिल्डिंग बैक बेटर” पर पिछले कुछ वर्षों में काफी व्यावहारिक अनुभव हुआ है, लेकिन हमें कुछ अच्छी कार्य प्रणालियों को संस्थागत बनाने के तरीके खोजने होंगे। “आपदाओं से निपटने के लिए तैयारी” की तरह ही हमें वित्तीय व्यवस्था, संस्थागत तंत्र और क्षमताओं के आधार पर “पुनर्प्राप्ति के लिए तैयारी” पर जोर देने की जरुरत है।
साथियों
मुझे यह जानकर खुशी हुई कि कार्य समूह द्वारा अपनाई गई सभी पांच प्राथमिकताओं में सभी बिंदुओं पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। मैंने उस विज्ञप्ति का जीरो ड्राफ्ट भी देखा है, जिस पर आप अगले कुछ दिनों में चर्चा करने वाले हैं। यह जी20 देशों के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर एक बहुत ही स्पष्ट एवं रणनीतिक एजेंडा सामने रखता है। मुझे उम्मीद है कि पिछले चार महीनों में इस कार्य समूह के विचार-विमर्श में जो परिणाम, सर्वसम्मति व सह-निर्माण की भावना व्याप्त हुई है, वह अगले तीन दिनों और उसके बाद भी प्रबल रहेगी।
हम इस प्रयास में अपने सूचना सहयोगियों से प्राप्त हुए निरंतर सहयोग के लिए धन्यवाद करते हैं। मैं इस समूह के कार्य का समर्थन करने में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि सुश्री ममी मिज़ुटोरी की व्यक्तिगत भागीदारी की विशेष रूप से सराहना करता हूं। हम इस कार्य समूह के सिद्धांतों को आकार देने में ट्रोइका की भागीदारी से भी बहुत प्रभावित हुए हैं। हमने इंडोनेशिया, जापान तथा मैक्सिको सहित अन्य देशों के पूर्व राष्ट्रपतियों द्वारा बनाए गए फाउंडेशन के निर्माण कार्य में सहयोग किया है और हमें खुशी है कि ब्राजील ने इसे आगे बढ़ाया है। हम इस बैठक में ब्राज़ील के सचिव वोल्नेई का विशेष रूप से आभार प्रकट करते हैं। हम सचिव वोल्नेई और उनकी टीम को भी आश्वस्त करना चाहते हैं कि जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे आपको हमारा पूरा समर्थन व सहयोग मिलेगा।
भारत की जी20 अध्यक्षता के पिछले आठ महीनों के दौरान सभी देशों ने बहुत उत्साह से भाग लिया है। अब तक देश भर में 56 स्थानों पर 177 बैठकें हो चुकी हैं। विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग लिया है। उन्हें भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विविधता की भी झलक देखने को मिली है। जी20 एजेंडा के ठोस पहलुओं में काफी प्रगति हुई है। मुझे यकीन है कि डेढ़ महीने बाद होने वाली शिखर बैठक एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी। इस सफलता में आप सभी का योगदान महत्वपूर्ण रहेगा।
मैं आने वाले दिनों में आपके विचार-विमर्श हेतु आपको शुभकामनाएं देता हूं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जी20 दुनिया के लिए हमें आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सार्थक परिणाम प्राप्त हो सकें।