केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने व्यवस्था के अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी संचालित ई-गवर्नेंस पर जोर दिया है
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज व्यवस्था के अंतिम छोर तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी संचालित ई-गवर्नेंस पर जोर दिया हैI
भोपाल में सुशासन पर दूसरे क्षेत्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रशासन (गवर्नेंस) पर विजन इंडिया @2047 वास्तव में वह ई-विजन इंडिया @2047 है जो केंद्रीय बजट में अगले 25 वर्षों के लिए प्रधानमंत्री के “पंच प्राण” लक्ष्य के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली ई-सेवाओं की संतृप्ति और बेंचमार्किंग द्वारा चिह्नित है ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि यह सम्मेलन एक ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है, जब भारत मुख्य शिखर सम्मेलन से पहले जी 20 कार्य समूह की बैठकों और उनसे जुड़े (साइडलाइन) कार्यक्रमों के अध्यक्ष के रूप में कई केंद्रीय मंत्रालयों से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर बहु- क्षेत्रीय रुख अपना रहा है। मंत्री महोदय ने कहा कि यह विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त सॉफ्ट पावर के अलावा कई क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने का अवसर भी है । उन्होंने कहा,कि भारत 2047 तक एक ऐसे विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए तेजी से तैयारी रहा है जिसमें ई- गवर्नेंस में डिजिटल परिवर्तन से गति और पैमाने की सुविधा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और नए युग की प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में नागरिकों को बेहतर प्रशासन प्रदान करने के लिए कई कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए डिजिटल नवाचार अगले दशक में अब एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमने प्रधान मंत्री के शब्दों से प्रेरणा ली है जिन्होंने शासन और न्याय वितरण प्रणाली को निर्धनों में भी से सबसे निर्धन एवं दुर्गम क्षेत्रों में हाशिए पर रहने वाले तथा महिलाओं तक पहुंचाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने अभी तक रुकी हुए आवश्यक सूचना प्रौद्योगिकी की बाधाओं कम करके उसे शासन के प्रत्येक पहलू में शामिल कर लिया है और इसके साथ ही हम विभिन्न क्षेत्रों में समावेशी विकास को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री महोदय ने आगे कहा कि भारत के प्रधान मंत्री के टेकेड के दृष्टिकोण को एक जोरदार और सर्वव्यापी डिजिटल गवर्नेंस पुश के माध्यम से साकार किया जा सकता है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसे समय में जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है तब प्रधानमंत्री जी ने सरकार और नागरिकों के बीच की खाई को पाट कर अगली पीढ़ी के सुधारों को अपनाने तथा अगली पीढ़ी के प्रशासनिक सुधारों के इस दृष्टिकोण का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री के विचारों को प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा परिश्रमपूर्वक वास्तविकता में परिवर्तित किया गया है। सचिवालय सुधार, स्वच्छता अभियान, शासन और सेवाओं की बेंचमार्किंग, लोक शिकायतों का निवारण और सेवा वितरण में सुधार, योग्यता को मान्यता देना और सुशासन प्रथाओं की प्रतिकृति भारत के सुशासन मॉडल का मूल है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि सुशासन प्रथाओं पर क्षेत्रीय सम्मेलन केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर विभिन्न प्रशासनिक सुधारों के माध्यम से सरकार और नागरिकों को निकट लाने का एक प्रयास है। मंत्री महोदय ने कहा कि “अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार” के नीतिगत उद्देश्य के साथ अगली पीढ़ी के सुधारों और नवाचारों को आगे बढ़ाने वाली डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग से इसे सुनिश्चित किया जा रहा है ।
प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) के सचिव, श्री वी श्रीनिवास ने कहा कि डीएआरपीजी वेब एपीआई के माध्यम से केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) के साथ राज्य और जिला पोर्टलों का एकीकरण कर रहा है ताकि शिकायतों का निवारण सहज ढंग से किया जा सके। उन्होंने कहा कि यह एक- राष्ट्र एक पोर्टल ( वन नेशन- वन पोर्टल ) के लिए सरकार की नीति के अनुसार है और इस संबंध में बहुत कुछ कार्य पूरा हो गया है। केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) का आकार और गुणवत्ता में विकास हुआ है और अब भारत में कार्यरत कई शिकायत निवारण प्लेटफार्मों के साथ इसके से एकीकरण नागरिकों को समय पर और गुणवत्ता शिकायत निवारण प्रदान किया सकता है। इंटेलिजेंट शिकायत प्रबंधन डैशबोर्ड कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) / मशीन लर्निंग (एमएल) प्रौद्योगिकी का भी विकास किया गया है, और रणनीतिक निर्णय लेने एवं नीतिगत सुधारों को सक्षम करने के लिए विश्लेषणात्मक अंतर्दृष्टि के लिए एक डेटा रणनीति इकाई स्थापित की गई है । इससे शिकायत निवारण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा। इसके अलावा, नागरिकों से सीधे प्रतिक्रिया (फीडबैक) लेने के उद्देश्य से सीपीजीआरएएमएस के लिए फीडबैक कॉल सेंटर भी स्थापित किया गया है ।
कार्यालय स्वचालन (ऑफिस ऑटोमेशन)- ई-ऑफिस, विलम्ब प्रक्रिया, वित्तीय शक्तियों के प्रत्यायोजन (डेलिगेशन ऑफ़ फाइनेंसियल पावर्स), डिजिटल केंद्रीय पंजीकरण इकाइयों और डेस्क अधिकारी प्रणाली को अपनाने से संस्थानों का डिजिटल परिवर्तन संभव है। पूरी तरह से डिजिटल केंद्रीय सचिवालय, डिजिटल राज्य सचिवालय, डिजिटल जिला अधिकारी कार्यालयों ऐसे संस्थानों के डिजिटल परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करते हैं। निर्णय लेने में दक्षता बढ़ाने के लिए ई- ऑफिस संस्करणों को लगातार अद्यतन (अपग्रेड) करने और उन्हें डेटा एनालिटिक्स से लैस करने की आवश्यकता है।
अधिक कुशल, प्रभावी, पारदर्शी और मानक कार्यालय प्रक्रियाओं को शामिल करके सरकारी कामकाज में सुधार लाने के उद्देश्य से ही ई- ऑफिस की शुरुआत की गई थी । इस प्रकार एक कुशल सरकारी प्रशासन और सार्वजनिक सेवा प्रणाली के लिए अग्रणी अंतर-सरकारी और अंतर- सरकारी लेनदेन में जवाबदेही और जिम्मेदारी बढ़ रही है । यह सरकारी कार्यालयों के लिए एक पूर्ण डिजिटल कार्य स्थल समाधान है तथा प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा तैयार ई-ऑफिस प्रक्रिया के केंद्रीय सचिवालय कार्यालय प्रक्रिया नियमावली (सीएसएमईओपी) पर आधारित है। ई-ऑफिस – ईफाइल एप्लिकेशन (ई-फाइल वी 7.0) को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा जून 2020 में नवीनतम उपकरणों और तकनीकों को अपनाते हुए संकल्पनाबद्ध करके, फिर से तैयार, विकसित और जारी किया गया था।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने ई-सरकार के प्रयासों को बढ़ावा देने और डिजिटल सरकार की उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए 2019 में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सर्विस डिलीवरी असेसमेंट (एनईएसडीए) का गठन किया था। इसका द्विवार्षिक अध्ययन राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों का आकलन करता है, और ई-गवर्नेंस सेवा वितरण की प्रभावशीलता पर केंद्रीय मंत्रालयों पर ध्यान केंद्रित करता है। एनईएसडीए संबंधित सरकारों को नागरिक केंद्रित सेवाओं के वितरण में सुधार करने में सहायक बनता है और सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों तथा केंद्रीय मंत्रालयों के अनुकरण के लिए देश भर में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करता है।
सभी केंद्रीय मंत्रालयों / विभागों और उनके संबद्ध / अधीनस्थ कार्यालयों / सार्वजनिक उपक्रमों / स्वायत्त संगठनों में 2 से 31 अक्टूबर, 2022 तक सरकारी कार्यालयों में स्वच्छता और लंबित मामलों को कम करने पर विशेष अभियान 2.0 का आयोजन किया गया था। डीएआरपीजी ने एक समर्पित पोर्टल www.pgportal.gov.in/scdpm22 पर वास्तविक समय की निगरानी के माध्यम से केंद्रीय मंत्रालयों और उनके कार्यालयों में दिशानिर्देश जारी किए और अभियान का समन्वयन किया है।
सुशासन प्रथाओं की प्रतिकृति किए जाने को प्रोत्साहित करने के लिए, डीएआरपीजी 28 अप्रैल, 2022 से शुरू हुए वर्तमान वर्ष 2022-23 में 13 राष्ट्रीय सुशासन वेबिनार की एक श्रृंखला जिसके अंतर्गत हर महीने एक वेबिनार आयोजित भी कर रहा है।
डीएआरपीजी के कार्यों में से एक कार्य प्रधानमन्त्री (पीएम पुरस्कार) और ई-गवर्नेंस पुरस्कार के अंतर्गत नवाचार प्रस्तुत करने वाली ऐसी पुरस्कार विजेता पहलों का भी प्रदर्शन करना है ताकि सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों तथा शिक्षाविदों के अनुभवों के साथ ही ऐसी सुशासन प्रथाओं को दोहराए जाने के अलावा उन्हें आपस में साझा किया भी जा सके।
शासन की बेहतर गुणवत्ता की दिशा में भारत सरकार में बदलाव राज्यों और जिलों में भी परिलक्षित होना चाहिए। इसका उद्देश्य ऐसा शासन प्रदान करना है जो पारदर्शी होने के साथ ही स्थापित नियमों और प्रक्रियाओं के अनुपालन में हो। और यही नए भारत की यात्रा को सफल बनाएगा।