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घाटी में बड़े पर्दे पर फिल्म देखने का इंतजार खत्म, डल झील को लेकर शम्मी कपूर की ये थी आखिरी इच्छा

घाटी में बड़े पर्दे पर फिल्म देखने का इंतजार खत्म, डल झील को लेकर शम्मी कपूर की ये थी आखिरी इच्छा
  • PublishedSeptember 21, 2022

कश्मीर की वादियां हर आम और खास के लिए हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही है. तमाम फिल्मकारों ने यहां की खूबसूरती को कैमरे में कैद कर पर्दे पर पेश किया और दर्शकों की वाहवाही लूटी. धरती पर जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर में एक बार फिर सिनेमाघरों में रौनक लौटाने की तैयारी है. यूं तो कई फिल्म डायरेक्टर और एक्टर ने कश्मीर घाटी में फिल्मों की शूटिंग की है लेकिन शम्मी कपूर (Shammi Kapoor) की ‘कश्मीर की कली’ (Kashmir Ki Kali) एक यादगार फिल्म है. शर्मिला टैगोर (Sharmila Tagore) की डेब्यू फिल्म की शूटिंग करते करते शम्मी कपूर को यहां की वादियों से मोह हो गया था.

कश्मीर में फिल्माए गई फिल्मों की यूं तो लंबी फेहरिस्त है, लेकिन शम्मी कपूर और शर्मिला टैगोर स्टारर फिल्म ‘कश्मीर की कली’ ने सिनेप्रेमियों के दिलों में खास जगह बनाई है. 1964 में रिलीज हुई शक्ति सामंत की फिल्म के गानों और फिल्म में कश्मीर की डल झील में चलने वाले शिकारे को खूबसूरत तरीके से दिखाया गया है. ओ पी नैय्यर के संगीत से सजे इस फिल्म के एक एक सीन में कश्मीर की खूबसूरती को पर्दे पर दिखाया गया था.

अपना अंतिम संस्कार डल झील के पास चाहते थे शम्मी कपूर
फिल्म को रिलीज हुए बरसों हो गए हैं लेकिन लोग इसे भूल नहीं पाते हैं. एक बार जब फिर से कश्मीर घाटी के थियेटर्स में बहार आने वाली है तो इस फिल्म की बरबस याद आ गई. करीब 3 दशक के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मल्टीप्लेक्स का उद्घाटन करते हुए दिवंगत एक्टर शम्मी कपूर को श्रद्धांजलि दी और बताया कि ‘1965 में शम्मी कपूर की आई फिल्म ‘जानवर’ ब्रॉडवे सिनेमा हॉल में लगी थी. शम्मी कपूर को कश्मीर से इतना प्यार था कि उन्होंने अपना अंतिम संस्कार डल झील के पास करवाने के लिए कहा था’. बता दें कि ‘जानवर’ फिल्म 1 जनवरी 1965 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म के प्रोड्यूसर हरदीप और डायरेक्टर बप्पी सोनी थे. शम्मी कपूर के साथ राजश्री, असित सेन और राजेंद्रनाथ मुख्य भूमिका में थे.