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विश्व धरोहर दिवस: 2024 में 36 लाख पर्यटकों ने गुजरात के हेरिटेज स्थलों का क‍िया दीदार

विश्व धरोहर दिवस: 2024 में 36 लाख पर्यटकों ने गुजरात के हेरिटेज स्थलों का क‍िया दीदार
  • PublishedApril 18, 2025

साल 2024 में गुजरात के 18 हेरिटेज स्थलों का 36 लाख से अधिक पर्यटकों ने दीदार किया। गुरुवार को साझा किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार 18 हेरिटेज स्थलों पर 36.95 लाख से अधिक देशी और विदेशी पर्यटकों ने दौरा किया। गुजरात के चार यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों को देखने के लिए भी पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंचे। अहमदाबाद ने सबसे अधिक 7.15 लाख पर्यटकों को आकर्षित किया। इसके बाद पाटन में स्थित रानी की वाव में 3.64 लाख पर्यटक, कच्छ के धोलावीरा में 1.6 लाख और चंपानेर-पावागढ़ में 47,000 से अधिक पर्यटक आए।

चंपानेर-पावागढ़, कालिका माता मंदिर, रानी की वाव विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल हैं

दरअसल, विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ये चार स्थल महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल हैं। 2004 में सूचीबद्ध हुए चंपानेर-पावागढ़ को हिंदू और इस्लामी वास्तुकला के मिश्रण और पवित्र कालिका माता मंदिर के लिए जाना जाता है। रानी की वाव को साल 2014 में यूनेस्को सूची में शामिल किया गया था, जो 11वीं सदी की एक शानदार बावड़ी है, जिसमें विस्तृत मूर्तियां हैं और यह भारत के 100 रुपये के नोट पर भी चित्रित है।

अहमदाबाद को साल 2017 में भारत का पहला यूनेस्को विश्व धरोहर शहर घोषित किया गया था

इसके अलावा, अहमदाबाद को साल 2017 में भारत का पहला यूनेस्को विश्व धरोहर शहर घोषित किया गया था, जो 600 साल से अधिक के इतिहास को दर्शाता है, जिसमें प्राचीन हवेलियां, मस्जिदें, मंदिर और पोल शामिल हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्राचीन शहर और यूनेस्को की साइट धोलावीरा साल 2021 से यूनेस्को स्थल घोषित है, जो उन्नत प्राचीन शहरी योजना और जल संरक्षण तकनीकों की एक झलक पेश करती है।

गुजरात के कई कम-ज्ञात, लेकिन सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल भी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं

इसके साथ, गुजरात के कई कम-ज्ञात, लेकिन सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल भी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, जिन्हें स्थायी पर्यटन पहलों और बेहतर पहुंच से सहायता मिल रही है। राज्य की धरोहर पर्यटन नीति पुराने किलों, महलों और ग्रामीण तथा अर्ध-शहरी क्षेत्रों की धरोहर इमारतों के पुनर्जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह नीति धरोहर संपत्तियों के अनुकूली पुन: उपयोग को बढ़ावा देती है और क्षेत्र की वास्तुकला विरासत को संरक्षित व प्रदर्शित करने के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी को प्रोत्साहित करती है।

18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को संरक्षित करने के महत्व को रेखांकित करता है

विश्व धरोहर दिवस को हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाता है, जो सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को संरक्षित करने के महत्व को रेखांकित करता है। इस साल की थीम “आपदा और संघर्ष से जोखिम में धरोहर: भविष्य की तैयारी” है, जिसे आईसीओएमओएस ने घोषित किया है। यह थीम गुजरात के दृष्टिकोण से मेल खाती है, जो संरक्षण और आधुनिक चुनौतियों के सामने लचीलापन दोनों पर जोर देती है।