दिवाली पर रातभर आतिशबाजी, दिल्ली, गाजियाबाद व नोएडा में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर
पूरे देश के साथ-साथ दिल्ली समेत एनसीआर के दो प्रमुख शहर गाजियाबाद व नोएडा में दीवाली का त्योहार परम्परगत और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भले ही उच्चतम न्यायालय ने पटाखों व आतिशबाजी पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी लेकिन लोगों ने दीवाली पर जमकर पटाखे व आतिशबाजी छोड़ी। जिसके बाद गाजियाबाद व नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 300 को पार कर गया। नतीजन दोनों ही शहर एक तरह से गैस चैम्बर बन कर रह गए है। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली के आनंद विहार, जहांगीरपुरी, द्वारका और आया नगर जैसे इलाकों में एक्यूआई 350 से अधिक दर्ज किया। दूसरी ओर राष्ट्रीय राजधानी में ‘खराब’ गुणवत्ता वाली हवा के प्रभाव को कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है।
दीपावली के अगले दिन राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में स्मॉग की परत देखने को मिली। सीपीसीबी (CPCB) के अनुसार दिल्ली का एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है। यमुना नदी की सतह पर जहरीली झाग की परत लगातार आज भी पूर्व की भांति देखी जा रही है।
दिल्ली भाजपा नेता शहजाद पूनावाला ने मीडिया से कहा कि दिवाली के अगले दिन जब हम यमुना के घाट पर आए हैं तो यमुना नदी कितनी प्रदूषित है इसका अंदाजा झाग की मोटी परत देख कर मिल रहा है। इसका कारण पिछले 10 वर्षों में 7000 करोड़ रुपये यमुना नदी की सफाई के लिए दिए गए थे वो अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार में खा लिए। अब वे(आप) छठ पूजा आने से पहले डिफोमर कंसन्ट्रेट छिड़क रहे हैं, जिससे ऊपर से सतही रूप से झाग साफ हो जाएगी लेकिन पानी प्रदूषित ही रहेगा। क्या इससे पानी साफ होने वाला है? अरविंद केजरीवाल ने वादे किए थे।
उन्होंने कहा, “छठ पूजा में महिलाओं की सेहत के साथ खिलवाड़ करने के लिए अरविंद केजरीवाल जिम्मेदार हैं। दिल्ली को गैस चेंबर बना दिया। उत्तर प्रदेश और हरियाणा को दोष देते हैं लेकिन उन्होंने आज यमुना नदी के पानी को इतना प्रदूषित कर दिया है। अगर आप सांस लेंगे तो फेफड़े खराब और पानी पिएंगे तो पेट खराब होगा।”
दीवाली की पूरी रात पटाखों का शोर और प्रदूषण पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए घातक बन गया है। खासतौर पर सांस व दमे के मरीजों के लिए यह बेहद चिंताजनक है। इसके साथ प्रदूषण के कारण आंखों में जलन महसूस हो रही है।
गौरतलब है, जिस तरह तरह उच्चतम न्यायालय ने आतिशबाजी व पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था, उसके बाद पुलिस-प्रशासन की जिम्मेदारी बनती थी कि इनकी बिक्री न हो लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया।