पीएम जन-धन योजना के 10 साल, 53.13 करोड़ बैंक खाते, 55.6 प्रतिशत खाताधारक महिलाएं
समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों तक आर्थिक मदद पहुंचाने, बीमा और पेंशन, ऋण, निवेश से संबंधित विभिन्न वित्तीय योजनाओं को पहुंचाने के लिए शुरू की गई जन-धन योजना को 10 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर पीएम मोदी ने सभी लाभार्थियों को बधाई दी और इस योजना को सफल बनाने वालों को धन्यवाद दिया।
पीएम मोदी सोशल मीडिया पर कहा, “आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है- #10YearsOfJanDhan. इस अवसर पर मैं सभी लाभार्थियों को शुभकामनाएं देता हूं। इस योजना को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक करने वाले सभी लोगों को भी बहुत-बहुत बधाई। जन धन योजना करोड़ों देशवासियों, विशेषकर हमारे गरीब भाई-बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर देने में सफल रही है।”
अबतक 53.13 करोड़ बैंक खाते
दरअसल, सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को जन-धन योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत अबतक 53.13 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं, जिसमें 2.3 लाख करोड़ रुपये की धनराशि जमा है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में तीन करोड़ से अधिक और जन-धन खाता खोलने का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि 28 अगस्त, 2014 को शुरू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना आज सफलतापूर्वक अपने क्रियान्वयन का एक दशक पूरा कर रही है। पीएमजेडीवाई दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल है, वित्त मंत्रालय अपने वित्तीय समावेशन हस्तक्षेपों के माध्यम से हाशिए पर पड़े और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को सहायता प्रदान करने का निरंतर प्रयास करता है।
55.6 प्रतिशत जन-धन खाताधारक महिलाएं
इस अवसर पर केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने संदेश में कहा कि वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण को प्राप्त करने के लिए औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक और किफायती पहुंच आवश्यक है। यह गरीबों को आर्थिक मुख्यधारा में एकीकृत करता है और हाशिये पर पड़े समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि 67 फीसदी खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं, जबकि 55 फीसदी खाते महिलाओं द्वारा खोले गए हैं।
36 करोड़ से अधिक निःशुल्क RuPay कार्ड किए गए जारी
वित्तमंत्री ने कहा कि बैंक खाते, छोटी बचत योजनाएं, बीमा और ऋण सहित सार्वभौमिक, सस्ती और औपचारिक वित्तीय सेवाएं प्रदान करके पीएम जन-धन योजना ने पिछले एक दशक में देश के बैंकिंग और वित्तीय परिदृश्य को बदल दिया है। इस पहल की सफलता 53.13 करोड़ लोगों को जन-धन खाते खोलने के माध्यम से औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाने में परिलक्षित होती है। इन बैंक खातों में 2.3 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि जमा हुई है। इसके परिणामस्वरूप 36 करोड़ से अधिक निःशुल्क RuPay कार्ड जारी किए गए हैं, जो दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी प्रदान करते हैं।
डिजिटल भुगतान को बढ़ावा
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि जनधन-मोबाइल-आधार को जोड़ने के माध्यम से बनाई गई सहमति-आधारित पाइपलाइन वित्तीय समावेशन पारिस्थितिकी तंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक रही है। इसने पात्र लाभार्थियों को सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का त्वरित, निर्बाध और पारदर्शी हस्तांतरण संभव बनाया है और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया है।
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने कहा है कि पीएमजेडीवाई केवल एक योजना नहीं है, बल्कि एक परिवर्तनकारी आंदोलन है, जिसने बैंकिंग सेवाओं से वंचित कई लोगों को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान की है और वित्तीय सुरक्षा की भावना पैदा की है। गौरतलब है कि जन-धन योजना के तहत खाता खोलने का कोई शुल्क या रखरखाव शुल्क नहीं है। इसके अलावा इस उकाउंट में न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है।
वित्त वर्ष 2023-24 में यूपीआई वित्तीय लेनदेन 13,113 करोड़
वित्त मंत्रालय के मुताबिक प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत 36.06 करोड़ से अधिक रुपे डेबिट कार्ड जारी किए जाने, 89.67 लाख पीओएस/एमपीओएस मशीनों की स्थापना और यूपीआई जैसी मोबाइल आधारित भुगतान प्रणालियों की शुरुआत होने से डिजिटल लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2018-19 में 2,338 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 16,443 करोड़ हो गई। यूपीआई वित्तीय लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2018-19 में महज 535 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 13,113 करोड़ हो गई। इसी प्रकार, पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड के जरिये लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 में 67 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 96.78 करोड़ हो गई।
पीएमजेडीवाई की सफलता इसके मिशन मोड वाले दृष्टिकोण, नियामकीय समर्थन, सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी और बायोमेट्रिक पहचान के लिए आधार जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के महत्व को दर्शाती है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना ने लोगों को बचत करने में सक्षम बनाया है। साथ ही इसने औपचारिक तौर पर लेनदेन के बिना किसी रिकॉर्ड वाले लोगों के लिए भी ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित की है। खाताधारक अब अपना बचत पैटर्न दिखा सकते हैं, जो उन्हें बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से ऋण के लिए पात्र बनाएगा। इसका सबसे अच्छा उदाहरण मुद्रा लोन का आवंटन है। मुद्रा लोन के आवंटन में वित्त वर्ष 2019 से वित्त वर्ष 2024 तक 5 वर्षों के दौरान सालाना 9.8 प्रतिशत चक्रवृद्धि दर से बढ़ोतरी हुई है। इस ऋण तक पहुंच काफी परिवर्तनकारी है क्योंकि यह व्यक्तियों को अपनी आय बढ़ाने के लिए सशक्त बनाती है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना विश्व का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम है। इसकी परिवर्तनकारी ताकत और डिजिटल नवाचारों ने भारत में वित्तीय समावेशन में क्रांतिकारी बदलाव किया है।