डेयरी क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’, वैश्विक दूध उत्पादन में भारत का 25 प्रतिशत योगदान
आत्मनिर्भर होता हमारा देश दूध उत्पादन में पहले नंबर पर है। भारत वैश्विक दूध उत्पादन में 25 प्रतिशत का व्यापक योगदान देता है। पिछले 9 वर्षों से दूध उत्पादन लगभग 6% की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 459 ग्राम प्रतिदिन है और यह घरेलू मांग को पूरा करने में आत्मनिर्भर है।
दुग्ध उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 29110.25 करोड़ रुपये के फंड
सरकार ने इस दिशा में विभिन्न कदम उठाए हैं जिनमें से एक अहम कदम है पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (AHIDF) – यह पशुपालन और डेयरी विभाग की प्रमुख योजनाओं में से एक है जिसका शुभारंभ 2020 में पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज’ के तहत किया गया था और इसे डेयरी प्रसंस्करण अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) के विलय के साथ नए सिरे से व्यवस्थित किया गया है और इसे 29110.25 करोड़ रुपये के फंड आकार के साथ अगले तीन वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) देश के डेयरी उद्योग की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए निम्नलिखित योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है और इसके साथ ही इसने देश की जीडीपी में डेयरी क्षेत्र का योगदान बढ़ाने में मदद की है:
–राष्ट्रीय गोकुल मिशन
इसका उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों का विकास एवं संरक्षण करना, गोजातीय आबादी का आनुवंशिक उन्नयन करना, और गोजातीय पशुओं का दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना है।
–डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम
दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाना और संगठित दूध खरीद की हिस्सेदारी बढ़ाना इसका उद्देश्य है।
–पशुपालन अवसंरचना विकास कोष
यह दूध प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन संबंधी अवसंरचना के निर्माण/आधुनिकीकरण, इत्यादि के लिए है।
–डेयरी सहकारी समितियों और डेयरी गतिविधियों में लगे किसान उत्पादक संगठनों को सहायता प्रदान करना: कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज सब्सिडी के रूप में सहायता प्रदान करना।
–इसके अलावा, सरकार ने पशुपालन और डेयरी किसानों की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा भी प्रदान की है।