आपातकाल को चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकताः राजनाथ सिंह
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आपातकाल लगाए जाने वाली तिथि 25 जून 1975 को याद करते हुए एक्स पर जारी पोस्ट में कहा कि आज से ठीक 49 साल पहले भारत में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा आपातकाल लगाया गया था। आपातकाल हमारे देश के लोकतंत्र के इतिहास का वह काला अध्याय है, जिसे चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का जिस तरह खुला खेल उस दौरान खेला गया, वह कई राजनीतिक दलों की लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता पर बहुत बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है।
उन्होंने कहा कि यदि आज इस देश में लोकतंत्र जीवित है तो उसका श्रेय उन लोगो को जाता है जिन्होंने लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया, जेल गए और न जाने कितनी शारीरिक और मानसिक यातना से उन्हें गुजरना पड़ा। भारत की आने वाली पीढ़ियां उनके संघर्ष और लोकतंत्र की रक्षा में उनके योगदान को याद रखेंगी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीयमंत्री जेपी नड्डा आज दोपहर 12:30 पार्टी मुख्यालय में आपातकाल के विरोध में आयोजित ‘डार्क डे ऑफ डेमोक्रेसी’ कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। यह जानकारी भाजपा ने अपने एक्स हैंडल पर साझा की है।
उल्लेखनीय है कि 18वीं लोकसभा के पहले दिन सत्र के शुरू होने से आधा घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आपातकाल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 25 जून भूलने वाला दिन नहीं है। इसी दिन संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था। 25 जून 1975 को 21 महीने के लिए इमरजेंसी लागू की गई थी और करीब 21 मार्च 1977 तक यह चली थी। यह समय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार की मनमानी का दौर था। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत केंद्र में इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार की सिफारिश पर आपातकाल की घोषणा कर दी थी।
आपातकाल की पृष्ठभूमि
साल 1971 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण को शिकस्त दी थी। राजनारायण ने इंदिरा पर सरकारी मशीनरी और संसाधनों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट में मामला दायर किया था। 12 जून 1975 हाई कोर्ट के जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी को दोषी माना। उनका निर्वाचन अवैध हो गया और 6 साल के लिए उनके किसी भी चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई। इस फैसले के बाद, देश भर में विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक तनाव बढ़ गया। इंदिरा गांधी और उनकी सरकार ने दावा किया कि देश में गहरी अशांति और आंतरिक अस्थिरता है, जिसके चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है। इससे बाद देश में आपातकाल लागू किया गया।
(इनपुट- हिन्दुस्थान समाचार)