भारत-पेरू व्यापार समझौता वार्ता का 7वां दौर नई दिल्ली में हुआ संपन्न
भारत-पेरू व्यापार समझौते के लिए 7वें दौर की वार्ता 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक नई दिल्ली में आयोजित हुई। पेरू लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई क्षेत्र में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है। पिछले दो दशकों में, भारत और पेरू के बीच व्यापार 2003 के 66 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में लगभग 3.68 बिलियन डॉलर हो गया है। वार्ता के इस दौर में विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। दोनों पक्षों से लगभग साठ प्रतिनिधियों ने वार्ता में भाग लिया। अगले दौर की वार्ता जून में हो सकती है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में जानकारी देते हुए बताया कि भारत-पेरू व्यापार समझौते के लिए सातवें दौर की वार्ता 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक की गई। चर्चा में एक-दूसरे की प्राथमिकताओं और चिंताओं को समझना और यह सुनिश्चित करना शामिल था कि बातचीत आपसी सम्मान और लाभ पर आधारित हो। वार्ता की शुरुआत में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि भारत-पेरू राजनयिक संबंधों की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी। उन्होंने वार्ता की शुरुआत में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि भारत-पेरू राजनयिक संबंधों की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी। उन्होंने विदेश व्यापार उप मंत्री टेरेसा स्टेला मेरा गोमेज़ की पेरू की भारत यात्रा और अगस्त, 2023 में 9वें सीआईआई भारत-एलएसी सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय चर्चाओं का उल्लेख किया, जिन्होंने वार्ता को फिर से शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बर्थवाल ने कहा कि बातचीत का मूल सिद्धांत एक-दूसरे की ताकत को समझना और संवेदनशीलता का सम्मान करना होना चाहिए। बातचीत के तौर-तरीके उपयुक्त हितधारक परामर्शों, उद्योग जगत से मिले फीडबैक से सामने आ सकते हैं और बातचीत करने वाली टीमों को लाभकारी और खोजपूर्ण दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। मुख्य वार्ताकार और वाणिज्य विभाग के अपर सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि दो महीने के भीतर दो दौर की बातचीत आयोजित होना ही अपने आप में दोनों देशों के बीच गहरे आर्थिक सहयोग की इच्छा का प्रमाण है। उन्होंने प्रभावी और फास्ट ट्रैक के साथ वार्ता की आवश्यकता पर जोर दिया।
वहीं दूसरी ओर भारत में पेरू के राजदूत महामहिम जेवियर मैनुअल पॉलिनिच वेलार्डे ने उल्लेख किया कि हाल की वार्ताओं ने एक मजबूत आधार के लिए जमीनी कार्य किया है। उन्होंने साझेदारी को बढ़ावा देने की दिशा में वार्ता के परिणामों पर विश्वास व्यक्त किया। पेरू गणराज्य के विदेश व्यापार और पर्यटन मंत्रालय के तहत एशिया, ओशिनिया और अफ्रीका के निदेशक तथा पेरू के मुख्य वार्ताकार गेरार्डो एंटोनियो मेजा ग्रिलो ने उल्लेख किया कि 2019 के बाद वार्ता फिर से शुरू होना महत्वपूर्ण है, जो दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता और रुचि को दर्शाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बातचीत करने वाले पक्ष आपसी समाधान तक पहुंचने के लिए लचीला और व्यावहारिक रुख अपनाएंगे। भारत गणराज्य के विदेश मंत्रालय के अपर सचिव जी. वी. श्रीनिवास ने वार्ताओं के आयोजन के अंतराल को कम करने के विचार की सराहना की।
बता दें कि वार्ता के इस दौर में, विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें वस्तुओं के व्यापार, सेवाओं में व्यापार, व्यक्तियों की आवाजाही, उत्पत्ति के नियम, स्वच्छता और पादप स्वच्छता उपाय, व्यापार में तकनीकी बाधाएं, सीमा शुल्क प्रक्रियाएं और व्यापार सुविधा, प्रारंभिक प्रावधान और सामान्य परिभाषाएँ, कानूनी और संस्थागत प्रावधान, अंतिम प्रावधान, व्यापार उपाय, सामान्य और सुरक्षा अपवाद, विवाद निपटान और सहयोग इत्यादि शामिल थे।
उल्लेखनीय है, पेरू लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई क्षेत्र में भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है। पिछले दो दशकों में, भारत और पेरू के बीच व्यापार 2003 के 66 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में लगभग 3.68 बिलियन डॉलर हो गया है। वार्ता के तहत हुआ व्यापार समझौता, विभिन्न क्षेत्रों में भविष्य के सहयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे पारस्परिक लाभ और उन्नति के मार्ग खुलेंगे।