डीजीएफटी और डीएचएल ने समझौते पर हस्ताक्षर किये
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) अपनी ‘जिला निर्यात केंद्र’ नामक पहल का लाभ उठाते हुए देश से ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से संलग्न है। इसका लक्ष्य ई-कॉमर्स चैनलों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में संभावनाओं का पता लगाने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को प्रोत्साहित और सक्षम करना है।
इस पहल को आगे बढ़ाते हुए, डीजीएफटी निर्यात केंद्र पहल के रूप में चिह्नित जिलों में क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के लिए विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों और अन्य सेवा प्रदाताओं के साथ सहयोग कर रहा है। इसी तरह के सहयोग के क्रम में, आज डीजीएफटी ने एक समझौता-ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर के माध्यम से वैश्विक लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाता, डीएचएल के साथ भागीदारी की। इसके दायरे में 76 जिलों को रखा गया है। तीन चरणों में इन 76 जिलों के लिए क्षमता निर्माण सत्र, प्रशिक्षण और कार्यशालाओं का संचालन किया जायेगा, ताकि भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योगों को निर्यात के लिए तैयार किया जा सके।
एमओयू पर हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान, वाणिज्य सचिव श्री सुनील बर्थवाल ने ई-कॉमर्स इको-सिस्टम के महत्व पर प्रकाश डाला, और एक डिजिटल अवसंरचना बनाने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया, जिसका लाभ उठाकर ग्रामीण भारत के एमएसएमई को दुनिया के बाजारों के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। उन्होंने भारत मार्ट की हालिया पहल के बारे में भी बताया और कहा कि इस तरह की वेयरहाउसिंग पहल भारत के विदेशी व्यापार को आगे बढ़ाएगी। उन्होंने इस पहल के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताई कि इससे भारतीय उद्यमियों को ज्ञान के अंतर को पाटने तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार की दुनिया में प्रवेश करने में मदद मिलेगी।
साझेदारी का स्वागत करते हुए, डीजीएफटी के महानिदेशक श्री संतोष सारंगी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस सहयोग का उद्देश्य निर्यातकों/एमएसएमई को डिजिटल वाणिज्य क्षेत्र से परिचित कराना है, ताकि उन्हें “मेक इन इंडिया” उत्पादों का निर्यात करने, अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों तक पहुंचने और आगे बढ़ने का अवसर मिले तथा वे ई-कॉमर्स मार्ग के माध्यम से निर्यात करते समय लॉजिस्टिक्स से संबंधित चुनौतियों से निपट सकें।