कभी अर्श तो कभी फर्श पर… विराट कोहली की भारत और आरसीबी की कप्तानी से जुड़े अजब संयोग
नई दिल्ली. कोई बेहद कामयाब क्रिकेटर, कप्तान के रूप में भी उतना ही सफल रहे, यह जरूरी नहीं है. टीम इंडिया (Team India) के दो दिग्गज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) और विराट कोहली (Virat Kohli) इसके उदाहरण हैं. इन दोनों ने बैटर के तौर पर रनों का अंबार लगाते हुए देश को कई सफलताएं दिलाईं लेकिन कप्तान के रूप में इनका सक्सेस ग्राफ उतना ऊंचा नहीं रहा जैसी उम्मीद थी. सचिन उस दौर में कप्तान बने जब टीम इंडिया विश्व क्रिकेट में स्थापित होने के दौर में थी. 25 टेस्ट और 73 वनडे में उन्होंने भारत का नेतृत्व किया जिसमें से चार टेस्ट और 23 वनडे में टीम को जीत मिली. उनकी सफलता का प्रतिशत 31 के आसपास रहा.
विराट की बात करें तो उनकी कप्तानी का दौर शुरू होने तक भारतीय टीम, दुनिया की रसूखदार टीम बन चुकी थी. वे 68 टेस्ट, 95 वनडे और 50 टी20I में कप्तान रहे जिसमें से 40 टेस्ट, 65 वनडे और 30 टी20 में जीत हासिल की. उनकी सफलता का ओवरऑल प्रतिशत 63.38 के आसपास रहा. बेशक विराट की कप्तानी में सफलता का प्रतिशत शानदार रहा लेकिन वे अपनी कप्तानी में भारतीय टीम को कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं जिता सके.
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 140 मैचों में विराट ने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (RCB) की कप्तानी की जिसमें से 64 में टीम को जीत मिली और 69 में हार. तीन मैच टाई रहे थे जबकि चार में नतीजा नहीं आया था. भारत की टेस्ट टीम और RCB के कप्तान के तौर पर विराट के साथ एक अजब संयोग जुड़ा है. किंग कोहली की कप्तानी में जहां भारतीय टीम ने टेस्ट में अपना सर्वोच्च स्कोर बनाया तो न्यूनतम स्कोर की शर्मिंदगी का सामना भी किया. इसी तरह उनकी कप्तानी में RCB ने आईपीएल का सर्वोच्च स्कोर बनाया तो टूर्नामेंट का सबसे कम स्कोर भी. मजे की बात यह है कि दोनों मामलों में सर्वोच्च और न्यूनतम स्कोर की तारीख और अवधि भी एक जैसी है