नौसेना के ब्रह्मोस मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन का सफल परीक्षण, आत्मनिर्भर भारत के तहत एक और सफल शॉट
ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम के तहत किया जा रहा है। इस संयुक्त उद्यम में डीआरडीओ भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत हरपल नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके ‘आत्मनिर्भर भारत’ की इबारत लिख रहा है। इसी क्रम में भारतीय नौसेना ने बुधवार को उन्नत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के साथ उन्नत सीमा पर एक भूमि लक्ष्य पर सफलतापूर्वक हमला किया। इस परीक्षण का मकसद विस्तारित दूरी की ब्रह्मोस मिसाइल से सटीक प्रहार करके स्वदेशी क्षमता का मूल्यांकन करना था। यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए एक और शॉट था। इस ब्रह्मोस मिसाइल में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है।
ब्रह्मोस मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन का सफल परीक्षण
भारतीय नौसेना ने स्वदेशी बूस्टर के साथ ब्रह्मोस मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन का सफल परीक्षण किया है, जो भारत की आत्मनिर्भरता के प्रति नौसेना की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। इस ब्रह्मोस मिसाइल में नई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है। बुधवार को किया गया सफल परीक्षण आत्मनिर्भर भारत के लिए एक और शॉट था। नियंत्रण प्रणाली सहित नई अतिरिक्त तकनीकों के साथ किये गए परीक्षण से मिले विस्तृत आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है। उन्नत संस्करण की मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाया। ब्रह्मोस मिसाइल का निर्माण भारत और रूस के बीच एक संयुक्त उद्यम के तहत किया जा रहा है। इस संयुक्त उद्यम में डीआरडीओ भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
कई वॉरशिप पर भी हो चुका है परीक्षण
नौसेना इससे पहले अपने वॉरशिप आईएनएस विशाखापत्तनम, गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर आईएनएस मोरमुगाओ, युद्धपोत आईएनएस दिल्ली, आईएनएस रणविजय, स्वदेशी स्टील्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण कर चुकी है। समुद्र में दागने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के चार वैरिएंट्स हैं। युद्धपोत से दागी जाने वाली एंटी-शिप मिसाइल और लैंड-अटैक मिसाइल नौसेना के पास पहले से हैं। पनडुब्बी से दागी जाने वाली एंटी-शिप मिसाइल और लैंड-अटैक मिसाइल का भी सफल परीक्षण हो चुका है और जल्द ही नौसेना के जखीरे में शामिल होंगी।