NH-66 मुंबई-गोवा राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारत के पहले राष्ट्रीय राजमार्ग स्टील स्लैग रोड का हुआ उद्घाटन
राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-66 मुंबई-गोवा राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए भारत के पहले राष्ट्रीय राजमार्ग स्टील स्लैग रोड करीब 1 किलोमीटर का सफलता निर्माणकार्य पूरा कर लिया गया है, जिसका उद्घाटन बीते शनिवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने किया। सीएसआईआर-सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट तैयार द्वारा तैयार किये गए इस रोड में स्टील स्लैग रोड टेक्नोलॉजी, स्टील उद्योग के कचरे का इस्तेमाल हुआ। इस उपलब्धि ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को एक मजबूत, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल सड़क निर्माण करने का एक अच्छा विकल्प दे दिया है।
सड़क बनाने में 80,000 टन CONARC स्टील स्लैग का हुआ इस्तेमाल
सीएसआईआर-सीआरआरआई के मार्गदर्शन में जेएसडब्ल्यू स्टील ने एनएच-66 मुंबई-गोवा के इंदापुर-पनवेल खंड पर 1 किमी लंबे चार-लेन स्टील स्लैग रोड खंड का निर्माण किया गया। रोड बनाने के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील के डोल्वी, रायगढ़ संयंत्र में तैयार लगभग 80,000 टन CONARC स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया गया है। जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड के मुख्य अधिकारी जी एस राठौड़ ने सीएसआईआर-सीआरआरआई के प्रयासों की सराहना की इस अभिनव परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए एनएचएआई से प्राप्त समर्थन को अहम बताया। सीएसआईआर-सीआरआरआई के निदेशक डॉ मनोरंजन परिदा ने बताया कि इस्पात मंत्रालय की एक प्रायोजित अनुसंधान परियोजना के तहत, सीएसआईआर-सीआरआरआई सड़क निर्माण में स्टील स्लैग के उपयोग के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश विकसित कर रहा है।
पारंपरिक सड़कों से सस्ता और टिकाऊ है ये सड़क
एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी, मुंबई और मुख्य महाप्रबंधक अंशुमाली श्रीवास्तव के अनुसार, स्टील स्लैग रोड खंड अपनी नवीनतम तकनीकी विशेषताओं और असाधारण प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध है, जिसे एनएचएआई ने भी सराहा। सीएसआईआर-सीआरआरआई के मुख्य वैज्ञानिक और स्टील स्लैग रोड परियोजना के प्रोजेक्ट लीडर सतीश पांडे ने बताया कि एनएच-66 पर बिटुमिनस स्टील स्लैग से रोड का निर्माण पारंपरिक बिटुमिनस सड़कों की तुलना में 28% कम मोटाई के साथ किया गया है पारंपरिक सड़कों की तुलना में लगभग 32% अधिक किफायती है और टिकाऊ है।
सड़क निर्माण में स्टील स्लैग का यह अभिनव उपयोग न केवल कचरे का पुनर्चक्रण करके यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि बल्कि देश के राजमार्गों के लिए लागत प्रभावी और टिकाऊ बुनियादी ढांचे का भी वादा करता है। इस परियोजना की सफलता ने भारत में सतत बुनियादी ढांचे के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम की शुरुआत हो गई है।