वित्त मंत्रालय की राष्ट्रीय कार्यशाला में भविष्य के विकासशील शहरों में निजी वित्तपोषण की भूमिका पर जोर
कार्यशाला में दुनिया में तेजी से शहरीकरण से गुजर रहे शहरों के लिए गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचा प्रदान करने की जरूरत से जुड़ी सबसे गंभीर चुनौतियों में चर्चा हुई। इस अवसर पर, शहरों की वित्तीय स्थिति पर विचार करते हुए, भविष्य के विकासशील शहरों में निजी वित्तपोषण की भूमिका पर जोर दिया गया। कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, सिक्किम और अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों सहित 175 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
केंद्रीय आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने नई दिल्ली में ‘शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निजी वित्त के दोहन G20 इंफ्रास्ट्रक्चर वर्किंग ग्रुप (IWG) से मिले सबक’ विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित किया। वित्त मंत्रालय ने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) और इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन (IFC) के सहयोग से बुधवार (29 नवंबर) को राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान आईडब्ल्यूजी द्वारा किए गए कार्यों के संदर्भ में शहरी बुनियादी ढांचे के लिए निजी पूंजी को आकर्षित करने के लिहाज से मिले महत्वपूर्ण सबक को सामने लाना था।
वित्त मंत्रालय ने बताया कि कार्यशाला में दुनिया में तेजी से शहरीकरण से गुजर रहे शहरों के लिए गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचा प्रदान करने की जरूरत से जुड़ी सबसे गंभीर चुनौतियों में चर्चा हुई। इस अवसर पर, शहरों की वित्तीय स्थिति पर विचार करते हुए, भविष्य के विकासशील शहरों में निजी वित्तपोषण की भूमिका पर जोर दिया गया। कार्यशाला में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, सिक्किम और अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों सहित 175 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
वर्कशॉप में Holistic Urban Ecosystem बनाने पर जोर दिया
कल नई दिल्ली में ‘शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निजी वित्त के दोहन- जी20 इंफ्रास्ट्रक्चर वर्किंग ग्रुप (आईडब्ल्यूजी) से मिले सबक’ पर हुई राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेष संबोधन के दौरान केंद्रीय आवासन और शहर कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, “सेवाओं की अंतिम छोर तक पहुंच सुनिश्चित करने, परिचालन क्षमता बढ़ाने, वित्तीय तौर पर परियोजनाओं की स्थिरता और डिजिटल प्रौद्योगिकी के एकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए भविष्य पर नजर रखने और एक समग्र शहरी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।”
क्या कहता है नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन 2023?
नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (NDLD) 2023 ने इंफ्रास्ट्रक्चर वर्किंग ग्रुप (IWG) के प्रमुख परिणामों में से एक के रूप में “भविष्य के शहरों के वित्तपोषण के सिद्धांतों: टिकाऊ, लचीले और समावेशी” का समर्थन किया है। इसके सिद्धांतों में शहरी नियोजन सुधार, स्वयं के राजस्व स्रोत को बढ़ाना, निवेश दक्षता को अधिकतम करना, शहरों की साख में सुधार करना, हरित, सामाजिक और टिकाऊ बॉन्ड जैसे वित्तपोषण के नए विकल्पों का उपयोग करना, निवेश योग्य परियोजनाओं की एक पाइपलाइन तैयार करना, नियामकीय वातावरण को सक्षम करना और शहरी प्रशासनों की क्षमता में बढ़ोतरी और संस्थागत तैयारी शामिल हैं।
शहरी शासन के ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर जोर
कार्यशाला के पहले सत्र के दौरान अपने मुख्य भाषण में, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने शहरी परिदृश्य की परिभाषा पर नए सिरे से विचार करने के साथ-साथ शहरी शासन के ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। तो दूसरी ओर वित्त मंत्रालय में सचिव अजय सेठ ने बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य आईडब्ल्यूजी के निष्कर्षों को भारत की घरेलू नीति-निर्माण प्रक्रिया से जोड़ना और शहरों की क्षमता और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के इंजन के रूप में भविष्य के शहरों महत्व पर जोर देना है। सेठ ने भविष्य के शहरों को टिकाऊ, लचीला और समावेशी बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
अपने स्वागत भाषण में, एमओएचयूए सचिव मनोज जोशी ने दीर्घकालिक शहरी नियोजन, भूमि के संभावित मूल्य को सामने लाने, निजी वित्तपोषण को आकर्षित करने और तकनीकी एवं संस्थागत क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने की आवश्यकता पर विचार व्यक्त किए।
पैनल चर्चा हुई
इसके बाद सीएनबीसी टीवी-18 की शीरीन भान द्वारा संचालित विशेषज्ञ पैनल ने ‘आर्थिक विकास के इंजन के रूप में शहर- बेहतर शहरी बुनियादी ढांचे के परिदृश्य के लिए विजन’ विषय पर चर्चा की। चर्चा का प्रमुख विषय देश में शहरीकरण की गति को पूरा करने के लिए स्थानिक शहरी नियोजन, पारगमन उन्मुख विकास, किफायती आवास, नागरिकों की बढ़ती भागीदारी और शहरी केंद्रों से जुड़े भूमि बाजार में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता के इर्द-गिर्द घूमता रहा। इस दौरान पैनलिस्टों ने वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए केंद्र, राज्य और हितधारकों के बीच सहयोग और संबंध के महत्व को रेखांकित किया। इस पैनल ने शहरों की साख में सुधार करने, बैंक योग्य परियोजनाएं बनाने की आवश्यकता, शहरी प्रशासन की क्षमता विकास और राजस्व स्रोतों के विविधीकरण पर चर्चा की।