भारत

शेफलर अगले पांच वर्षों में भारत में 500 मिलियन यूरो निवेश करेगी, तमिलनाडु में खोला नया प्लांट

शेफलर अगले पांच वर्षों में भारत में 500 मिलियन यूरो निवेश करेगी, तमिलनाडु में खोला नया प्लांट
  • PublishedMay 29, 2025

जर्मन ऑटोमोटिव और इंडस्ट्रियल सप्लायर कंपनी शेफलर एजी भारत में अगले पांच वर्षों में 500 मिलियन यूरो (करीब 4,800 करोड़ रुपए) निवेश करेगी। इसकी वजह देश का तेजी से बढ़ता घरेलू बाजार है। शेफलर एजी के ग्लोबल सीईओ क्लॉस रोसेनफेल्ड ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह निवेश उत्पादन क्षमता का विस्तार करने, स्थानीयकरण बढ़ाने और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, रेलवे और रिन्यूएबल एनर्जी कंपोनेंट में कंपनी की उपस्थिति को मजबूत करने पर केंद्रित होगा।

कंपनी देश में रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) केंद्रों के साथ-साथ कई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का भी संचालन करती है

इसके साथ ही कंपनी ने तमिलनाडु के शूलागिरी में एक नए विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया, जो पावरट्रेन, चेसिस कंपोनेंट और एडवांस टेक्नोलॉजी पर केंद्रित है। कंपनी देश में रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) केंद्रों के साथ-साथ कई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का भी संचालन करती है। पिछले तीन वर्षों में कंपनी ने स्थानीय क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 1,700 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। वर्तमान में शेफलर के भारतीय व्यवसाय की आय 1 अरब यूरो से अधिक है।

रोसेनफेल्ड ने कहा कि अन्य वैश्विक बाजारों की तुलना में भारत विकास के लिए विशेष रूप से अनुकूल वातावरण प्रदान करता है

रोसेनफेल्ड ने आगे कहा कि अन्य वैश्विक बाजारों की तुलना में भारत विकास के लिए विशेष रूप से अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए एक अनुकूल वातावरण है, जहां हमें लगता है कि और भी बहुत कुछ कर सकते हैं।” वैश्विक स्तर पर शेफलर चार मुख्य क्षेत्रों में काम करता है जिसमें अमेरिका, यूरोप, ग्रेटर चीन और एशिया प्रशांत शामिल हैं। एशिया प्रशांत क्षेत्र का मैनेजमेंट कंपनी सिंगापुर से करती है, जिसे इसकी कनेक्टिविटी और विभिन्न बाजारों को प्रभावी ढंग से जोड़ने की क्षमता के लिए चुना गया है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र में असली जगह भारत है।

इलेक्ट्रिफिकेशन धीमा हो या तेज, ग्राहक गाड़ियां खरीदना जारी रखेंगे

रोसेनफेल्ड ने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की धीमी दर पर कोई चिंता जाहिर नहीं की। उनका मानना है कि इलेक्ट्रिफिकेशन धीमा हो या तेज, ग्राहक गाड़ियां खरीदना जारी रखेंगे। शेफलर के अनुमान के मुताबिक, 2030 तक वैश्विक स्तर पर आईसीई वाहनों की हिस्सेदारी मार्केट में 30 प्रतिशत, हाइब्रिड और बैटरी वाहनों की हिस्सेदारी करीब 35 प्रतिशत होगी।