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परियोजना निगरानी समूह की बैठक में बिहार के बक्सर थर्मल पावर प्लांट प्रोजेक्ट की समीक्षा

परियोजना निगरानी समूह की बैठक में बिहार के बक्सर थर्मल पावर प्लांट प्रोजेक्ट की समीक्षा
  • PublishedMarch 25, 2025

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) ने सोमवार को बिहार,पश्चिम बंगाल और ओडिशा में मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की व्यापक समीक्षा की। इस दौरान बिहार में बक्सर थर्मल पावर प्लांट (1320 मेगावाट) परियोजना चर्चा का मुख्य केंद्र रही। इस परियोजना की अनुमानित लागत 10,439.09 करोड़ रुपए है।

प्रधान आर्थिक सलाहकार प्रवीण महतो की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और परियोजना से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, ताकि परियोजना निष्पादन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान और उस पर चर्चा की जा सके।

इस दौरान प्रवीण महतो ने परियोजना निगरानी के लिए संस्थागत ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने अधिकारियों से लंबित मुद्दों को हल करने में तत्परता दिखाने का आग्रह किया। प्रवीण महतो ने परियोजना कार्यान्वयन में तेजी लाने के लिए परियोजना निगरानी समूह (पीएमजी) तंत्र ((https://pmg.dpiit.gov.in)) का लाभ उठाने में निजी हितधारकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

उल्लेखनीय है कि इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के समय पर कुशल निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार, राज्य प्राधिकरणों और निजी क्षेत्र के बीच बेहतर समन्वय महत्वपूर्ण बना हुआ है।

अधिकारियों ने19 प्रमुख परियोजनाओं में 23 मुद्दों की जांच की, जिनमें कुल निवेश 63,858 करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली पांच परियोजनाएं शामिल हैं, जो विशेष रूप से तीनों राज्यों में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) अस्पतालों पर केंद्रित हैं।

इन अस्पतालों का उद्देश्य बीमा कराए हुए नागरिकों और उनके परिवारों के लिए विशेष उपचार, दवाइयां और अस्पताल में भर्ती सहित आवश्यक स्वास्थ्य सेवा लाभ प्रदान करना है।

इसके अतिरिक्त, इस्पात, कोयला, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, रेलवे और बिजली मंत्रालयों से संबंधित परियोजनाओं की समीक्षा की गई ताकि बाधाओं की पहचान की जा सके और उन्हें दूर किया जा सके और साथ ही उनका सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके।