मोदी का अनुशासन वाला विजन और NCC का राष्ट्रवादी विस्तार

वर्षों पुरानी बात है। छोटे कद का एक दुबला-पतला सा छात्र अपने कुछ सहपाठियों के साथ स्कूल के इंस्ट्रक्टर के पास पहुंचा और उनसे एनसीसी के जूनियर डिवीजन में शामिल होने की अपनी इच्छा जताई। तब एनसीसी में जाने के लिए अच्छी सेहत और सुडौल शरीर को प्राथमिकता दी जाती थी। लिहाजा छात्र के कद-काठी को देखते हुए शिक्षक के मन में पहला ख्याल आया कि मना कर दें, लेकिन तभी उनका ध्यान छात्र के चेहरे की तरफ गया। बच्चे की आंखों की चमक और उसके चेहरे पर झलकते दृढ़ विश्वास ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया। वो मना नहीं कर सके। सीधे नामांकन की बजाए टेस्ट लेने का फैसला किया। तब शायद मन में ये विचार आया था कि यदि टेस्ट में पास नहीं हो पाया तो खुद ही बाहर हो जाएगा और उनकी दुविधा भी मिट जाएगी।
पहले दो सौ मीटर की सामान्य दौड़, फिर एक पैर से लंगड़ा दौड़ और आखिर में फ्रॉग जंपिंग यानि मेंढक की तरह कूदने की प्रतियोगिता। शिक्षक यह देखकर हैरान रह गए कि जिस बच्चे को अयोग्य समझ रहे थे उसने तो बाजी मार ली। अपने ज्यादा डील-डॉल वाले छात्रों को पीछे छोड़ते हुए वो अव्वल आया था। आखिरकार उस नन्हे और दुबले पतले छात्र को एनसीसी में दाखिला मिला और यहां से शुरू हुई अनुशासित जीवन के साथ लक्ष्य तय करने और उसे हासिल करने के लिए समर्पित होने की शिक्षा। ये वही बालक था, जिसने आगे चलकर नेतृत्व और नायकत्व की नई परिभाषा गढ़ी।
ये छात्र और कोई नहीं बल्कि देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। शिक्षक का नाम गोरधनभाई पटेल है, जिन्होंने दुनिया को ये कहानी बताई। उन्होंने ही वो मशहूर तस्वीर भी साझा की जिसमें एनसीसी की टीम के साथ के यूनिफॉर्म में छात्र नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी बैठे हैं। गोरधनभाई पटेल ने संस्मरण साझा करते हुए बताया था कि उस दौर में भी नरेंद्र मोदी के जीवन में गजब का अनुशासन था। वो रसोई में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों को गर्म कर ड्रेस को प्रेस करते थे औऱ पॉकेट में कपड़े का छोटा टुकड़ा रखते थे ताकि ग्राउंड में दाखिल होने से पहले धूल झाड़कर जूते को चमका सकें। वो तमाम बातें आज भी प्रधानमंत्री की जीवन शैली का हिस्सा है ।
कलफ लगी कमीज, चमकते जूते और बेहद सतर्क, चुस्त, स्फूर्त औऱ आत्मविश्वास से भरी हुई पीएम मोदी की चाल। बताने की जरूरत नहीं है कि इसकी नींव एनसीसी के दिनों मे पड़ी थी। प्रधानमंत्री अपने पुराने दिनों और एनसीसी के महत्व को कभी नहीं भूलते। चाहे युवाओं का संबोधित करने का मौका हो, मन की बात हो या फिर कोई और मंच। प्रधानमंत्री एनसीसी का न सिर्फ जिक्र करते हैं बल्कि युवाओं को उसमें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित भी करते रहते हैं ।
पीएम मोदी कई बार कह चुके हैं , ‘चूंकि मैं भी कैडेट रह चुका हूं, मैं आज भी अपने आप को एक कैडेट मानता हूं।’ एनसीसी के बारे में प्रधानमंत्री की सोच और उनका विजन क्या है इसको समझने के लिए हमें उनके वक्तव्यों पर गौर करना होगा । अपने एक संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था , ” एकता और अनुशासन, एनसीसी की पहचान है। यह कोई मैकेनिज्म नहीं है। एनसीसी एक मिशन है। यह सिर्फ यूनिफॉर्म और यूनिफॉर्मिटी नहीं है, यह सच्चे अर्थ में युनिटी है।”
प्रधानमंत्री ने कई मौकों पर कहा है, “मैं स्वयं एनसीसी कैडेट रहा हूं , इसलिए पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इससे मुझे जो अनुभव मिला वह मेरे लिए अमूल्य है। एनसीसी जैसी विंग युवाओं में अनुशासन, नेतृत्व और सेवा की भावना पैदा करती है ।” प्रधानमंत्री चाहते हैं कि बदलते वक्त की जरूरतों के साथ तालमेल बैठाते हुए एनसीसी भी आगे बढ़े । उन्होंने इसके विस्तार और अपग्रेडेशन को लेकर देशवासियों से सुझाव भी मांगे हैं । प्रधानमंत्री चाहते हैं कि एनसीसी देश के कोने-कोने तक पहुंचे और समाज निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एनसीसी पर इतना फोकस क्यों है, इसे समझने के लिए भी किसी और एक्सपर्ट के विश्लेषण की जरूरत नहीं है। उन्होंने खुद ही इसे स्पष्ट करते हुए कहा था, ” आखिरकार यह परेड, यह कैम्प, यह अनुशासन, यह कड़ी मेहनत किस काम के लिए है, यह सब क्यों? देश के गरीब से गरीब व्यक्ति के हक का धन इन चीजों में क्यों लगाया जाता है. वो इसलिए लगाया जाता है कि देश के भीतर ऐसे न्यूक्लियस तैयार हों, ऐसी इकाइयां बनती चलें, जो मिशन मोड में औरों को भी प्रेरित करते रहें और देशभक्ति का जज्बा बढ़ता चले ।
2014 में पहली बार देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीसी को सशक्त करने का काम शुरू कर दिया। एनसीसी की इकाइयों की संख्या में वृद्धि – एनसीसी का विस्तार सीमावर्ती क्षेत्रों और तटीय जिलों तक कर दिया गया है। 170 से अधिक सीमावर्ती तालुकाओं तथा लगभग 100 तटीय तालुकाओं में अब एनसीसी की उपस्थिति है ।
इससे न सिर्फ एनसीसी का दायरा बढ़ा है बल्कि अधिक छात्रों को इसका लाभ मिल रहा है। 2014 में जहां एनसीसी कैडेट्स की संख्या 14 लाख थी जो आज बढ़कर 20 लाख से ऊपर पहुंच गई है। इनमें बालिका कैडेटों की संख्या 8 लाख से अधिक है।
एनसीसी कैडेटों के लिए विशेष अवसर – प्रधानमंत्री मोदी ने एनसीसी कैडेटों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए हैं, जिनमें उन्हें राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका के बारे में जागरूक किया गया है। इससे कैडेटों में राष्ट्र सेवा की भावना को बढ़ावा मिला है।
समाज सेवा से जोड़ने के लिए कार्यक्रम – सरकार ने एनसीसी कैडेटों को सामाजिक सेवा से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं । इससे युवाओं में समाज सेवा की भावना को प्रोत्साहित करने में मदद मिल रही है। एनसीसी कैडेट्स ने कोविड-19 महामारी के दौरान टीकाकरण अभियान, रक्तदान शिविर और स्वच्छता अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे समाज सेवा में उनकी भूमिका और बढ़ी है। एनसीसी के कैडेट स्वच्छ भारत अभियान, डिजिटल लेन-देन जैसे अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रमों से जुड़े हैं। बाढ़ और दूसरी आपदाओं के दौरान राहत और बचाव कार्यों में एनसीसी कैडेटों का योगदान भी प्रशंसनीय रहा है ।
एनसीसी के लिए बजट आवंटन में वृद्धि : मोदी सरकार ने एनसीसी के विस्तार के लिए बजट में भी वृद्धि की है । इससे प्रशिक्षण सुविधाओं, उपकरणों और अन्य आवश्यकताओं को बेहतर बनाया जा रहा है । इससे एनसीसी और कैडेट्स की कार्यकुशलता में काफी सुधार हुआ है।
(लेखक- अरविंद चतुर्वेदी की तीन पुस्तकें -द रियल मोदी , मोदी का बनारस ,हीरा बेन और मरे, प्रकाशित हो चुकी है)