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भारत ने 2030 तक एड्स को समाप्त करने की प्रतिबद्धता दोहराई, देश में 25 लाख से अधिक लोग एचआईवी से पीड़ित

भारत ने 2030 तक एड्स को समाप्त करने की प्रतिबद्धता दोहराई, देश में 25 लाख से अधिक लोग एचआईवी से पीड़ित
  • PublishedSeptember 25, 2024

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया सिंह पटेल ने संयुक्त राष्ट्र में “रीवाइटलाइज़्ड मल्‍टीलैटरलिज्‍म: रीकमिटिंग टू एंडिंग एड्स टुगेदर,” विषय पर एक उच्च स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन यूएनएड्स, ग्लोबल फंड और पीईपीएफएआर ने किया था। अपने संबोधन में अनुप्रिया सिंह पटेल ने वर्ष 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बने एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS) को समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता जाहिर की। केन्‍द्रीय मंत्री ने कहा कि वर्ष 2010 से अब तक नए वार्षिक एचआईवी संक्रमणों में 44 प्रतिशत की कमी आई है, जो वैश्विक कमी दर 39 प्रतिशत से बेहतर है।

भारत में 25 लाख से अधिक लोग एचआईवी से पीड़ित

स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के मुताबिक हाल ही में जारी भारत एचआईवी अनुमान 2023 रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 25 लाख से अधिक लोग एचआईवी से पीड़ित हैं, लेकिन ठोस प्रयासों के कारण, वयस्कों में एचआईवी का प्रसार 0.2 प्रतिशत पर है और अनुमानित वार्षिक नए एचआईवी संक्रमण लगभग 66,400 हैं। वर्ष 2010 से अब तक नये वार्षिक एचआईवी संक्रमणों में 44 प्रतिशत की कमी आई है, जो वैश्विक कमी दर 39 प्रतिशत से अधिक है।

एचआईवी/एड्स के खिलाफ चल रही है लड़ाई

अनुप्रिया सिंह पटेल ने अपने संबोधन एचआईवी/एड्स के खिलाफ चल रही लड़ाई में भारत की प्रगति और प्रमुख रणनीतियों को रेखांकित किया, जिसमें भारत सरकार की ओर से पूरी तरह से वित्त पोषित राष्ट्रीय एड्स और एसटीडी नियंत्रण कार्यक्रम (2021-2026) का 5वां चरण भी शामिल है। केंद्रीय मंत्री पटेल ने कहा, “भारत ने अभिनव कार्यक्रमों और मजबूत साझेदारी के माध्यम से एचआईवी/एड्स को समाप्‍त करने की दिशा में बड़ी प्रगति की है।” उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में रेड रिबन क्लब और वार्षिक रेड रन मैराथन जैसी जन-जागरूकता गतिविधियों जैसे युवाओं को लक्षित करने वाली कई पहलों की ओर इशारा किया।

भारत में प्रतिवर्ष 3 करोड़ से अधिक निःशुल्क एचआईवी परीक्षण

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत में सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक एचआईवी और सिफलिस परीक्षण कराया जाता है, जिसके तहत प्रतिवर्ष 3 करोड़ से अधिक निःशुल्क एचआईवी परीक्षण किए जाते हैं। उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर, 17 लाख से अधिक लोग सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के माध्यम से मुफ्त एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (Anti-retroviral Therapy) प्राप्त कर रहे हैं।”

भारत वैश्विक एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की 70 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति करता है

केंद्रीय मंत्री पटेल ने एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं के दुनिया के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि देश वर्तमान में वैश्विक एंटी-रेट्रोवायरल दवाओं की 70 प्रतिशत से अधिक आपूर्ति करता है, जिससे जरूरतमंद देशों को किफायती दवाएं मिलना संभव हो रहा है। उन्‍होंने कहा, “हमें दुनिया भर में गुणवत्तापूर्ण उपचार सुलभ कराकर एचआईवी/एड्स को समाप्‍त करने की दिशा में योगदान देने पर गर्व है।”

एचआईवी से जुड़े मिथक को दूर करने के लिए की जा रहे प्रयास

अनुप्रिया सिंह पटेल ने कहा कि “एचआईवी और एड्स (रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 2017 के माध्यम से एचआईवी से जुड़े मिथक को दूर करने के प्रयासों को बढ़ावा दिया गया है। इस अधिनियम के अनुसार सभी राज्यों को एड्स से संबंधित शिकायतों से निपटने और एचआईवी रोकथाम नीतियों को बढ़ावा देने के लिए लोकपाल नियुक्त करना है। इसके अलावा, तपेदिक, वायरल हेपेटाइटिस और गैर-संचारी रोगों से निपटने के प्रयासों सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को जोड़ने का भारत का दृष्टिकोण एचआईवी से पीड़ित लोगों में आई दूसरी बीमारियों को दूर करने में मदद कर रहा है।”