खान मंत्रालय 8 मई को राज्य खनन सूचकांक पर एकदिवसीय कार्यशाला का करेगा आयोजन
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और भारतीय खान विद्यापीठ (IIT-ISM), धनबाद की सहभागिता में खान मंत्रालय आज (बुधवार) दिल्ली में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्य राज्यों के खनन क्षेत्र के प्रदर्शन को दर्ज करने के लिए परिकल्पित राज्य खनन सूचकांक के प्रारूप ढांचे पर चर्चा करना है। इस कार्यशाला में राज्यों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर रूपरेखा को अंतिम रूप देने में सहायता मिलेगी।
खान मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज में जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- भारतीय खान विद्यापीठ (आईआईटी-आईएसएम), धनबाद की सहभागिता में खान मंत्रालय आज (8 मई) दिल्ली में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा। इसका उद्देश्य राज्यों के खनन क्षेत्र के प्रदर्शन को दर्ज करने के लिए परिकल्पित राज्य खनन सूचकांक के प्रारूप ढांचे पर चर्चा करना है। इस कार्यशाला की अध्यक्षता खान मंत्रालय के सचिव वी.एल. कांथा राव करने वाले है और इसमें राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
उल्लेखनीय है, खनन क्षेत्र कई मूल्य श्रृंखलाओं में सबसे आगे है, जो इस्पात, अलौह धातु, सीमेंट, उर्वरक, रसायन और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र को कच्चे माल की आपूर्ति करता है। देश के खनन क्षेत्र के विकास में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। खनन क्षेत्र के लिए विभिन्न दृष्टिकोण निर्धारित किए गए हैं। इनमें समानता, टिकाऊपन और जिम्मेदारी के साथ संसाधन उपयोग दक्षता को प्राथमिकता देना, भारत की भूमि पर खोज ध्यान केंद्रित करने की जरूरत, भविष्य में खनिज उत्पादन को सुविधाजनक बनाने के लिए कार्रवाई करना और खनन से संबंधित कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों व क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए कार्य करना शामिल है।
मंत्रालय ने बताया कि इस तरह खनन क्षेत्र के प्रदर्शन के साथ-साथ खनन गतिविधि में राज्यों की ओर से भविष्य की तैयारी को दर्ज करने के लिए एक राज्य खनन सूचकांक की परिकल्पना की गई है। इस सूचकांक के दायरे में गैर-ईंधन प्रमुख खनिज और लघु खनिज होगा। खान मंत्रालय ने इस ढांचे को डिजाइन करने, डेटा एकत्र करने और सूचकांक तैयार करने को लेकर एक अध्ययन करने की जिम्मेदारी धनबाद स्थित आईआईटी-आईएसएम को दी है।
दरअसल दिल्ली में आयोजित यह कार्यशाला इन्हीं प्रयासों का एक हिस्सा है। इस कार्यशाला में राज्यों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर रूपरेखा को अंतिम रूप देने में सहायता मिलेगी।