उज्जैन में 9 अप्रैल को प्रज्वलित किए जाएंगे 27 लाख दीप, गुड़ी पड़वा के अवसर पर बनेगा विश्व रिकॉर्ड
इस सम्बंध में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में कार्यक्रम के लिए गठित परामर्शदात्री समिति की बैठक में तैयारियों की समीक्षा भी की है। गुरुवार को उन्होंने कहा कि अच्छे काम की शुरुआत होते ही लोग जुड़ते चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में दीप प्रज्वलन की परम्परा है। दीप ज्योति परमात्मा से जोड़ती है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि आगामी 9 अप्रैल को गुड़ी पड़वा एवं उज्जैन गौरव दिवस पर शिवज्योति अर्पणम कार्यक्रम में सहभागी बनकर धार्मिक, सांस्कृतिक परम्परा को समृद्ध करें।
उज्जैन में आगामी 9 अप्रैल को गुड़ी पड़वा के अवसर पर आयोजित “शिवज्योति अर्पणम” दीपोत्सव कार्यक्रम में 27 लाख दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। इसमें 25 हजार वॉलेंटियर, 200 से ज्यादा सामाजिक संगठन, एनएसएस, एनसीसी के छात्र, सामाजिक कार्यकर्ता, आमजन मिलकर क्षिप्रा नदी के सभी घाटों पर दीप प्रज्वलन करेंगे और विश्व रिकॉर्ड बनाएंगे।
भारतीय संस्कृति में दीप प्रज्वलन की परम्परा
इस सम्बंध में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में कार्यक्रम के लिए गठित परामर्शदात्री समिति की बैठक में तैयारियों की समीक्षा भी की है। गुरुवार को उन्होंने कहा कि अच्छे काम की शुरुआत होते ही लोग जुड़ते चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में दीप प्रज्वलन की परम्परा है। दीप ज्योति परमात्मा से जोड़ती है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि आगामी 9 अप्रैल को गुड़ी पड़वा एवं उज्जैन गौरव दिवस पर शिवज्योति अर्पणम कार्यक्रम में सहभागी बनकर धार्मिक, सांस्कृतिक परम्परा को समृद्ध करें।
इस दीपोत्सव को उज्जैनवासी यादगार बनाएंगे
उन्होंने कहा कि शिवज्योति अर्पणम कार्यक्रम में उज्जैन के सभी धर्मप्राण नागरिक सहभागी बनकर विश्व रिकार्ड बनाने में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि इस बार भूखी माता मन्दिर घाट पर भी दीप प्रज्वलन किया जाएगा। रामघाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। सार्वजनिक स्थलों एवं घर-घर दीप प्रज्वलन कर इस दीपोत्सव को उज्जैनवासी यादगार बनाएंगे।
20 वर्ष पहले शुरू किया गया था विक्रमोत्सव
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन के नागरिकों के सहयोग की चर्चा करते हुए कहा कि जब विक्रमोत्सव 20 वर्ष पहले शुरू किया गया था तो बहुत छोटा स्वरूप था। उज्जैन के नागरिकों के सहयोग से आज भव्य स्वरूप ले लिया है। उन्होंने कहा कि उज्जैन को विक्रमादित्य के रूप में ऐसा राजा मिला जो विपरीत परिस्थितियों को अपने पक्ष में कर लेने का सामर्थ्य रखता था। उन्होंने विक्रमादित्य के गौरवाशाली इतिहास को बताते हुए कहा कि आज रूस और अमेरिका जैसे महाशक्तिशाली देश भी सनातन संस्कृति की वजह से भारत का सम्मान करते हैं। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को जाता है।