अभिलक्ष लिखी ने सभी पात्र मछुआरों तक जलीय कृषि फसल बीमा के लाभों को पहुंचाने हेतु सभी हितधारकों से अंतरालों की पहचान करने और ठोस प्रयास करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग ने वर्तमान में जारी प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत झींगा और मछली पालन के लिए जलीय कृषि फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन में पेश आने वाली तकनीकी चुनौतियों पर चर्चा करने और उन्हें समझने के लिए आज झींगा और मछली से संबंधित जलीय कृषि फसल बीमा योजना के बारे में एक बैठक आयोजित की।
मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने इस बैठक की अध्यक्षता की और इसमें मत्स्यपालन विभाग (डीओएफ) के दोनों संयुक्त सचिवों; सीई, एनएफडीबी; बीमा कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस), केन्द्रीय खारा जल जलकृषि संस्थान (सीआईबीए) और विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेश सरकारों के अधिकारियों ने भाग लिया।
डॉ. अभिलक्ष लिखी ने सभी पात्र मछुआरों तक जलीय कृषि फसल बीमा के लाभों को पहुंचाने हेतु सभी हितधारकों से अंतरालों की पहचान करने और ठोस प्रयास करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने हितधारकों द्वारा इस बीमा की अवधारणा को समझने पर भी जोर दिया और इस बीमा योजना को लागू करने हेतु रणनीतिक योजना को अनिवार्य बनाने के लिए सर्वोत्तम प्रबंधन कार्यप्रणालियों के बारे में प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने का सुझाव दिया।
एनएफडीबी के सी.ई. डॉ. एल. मूर्ति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एनएफडीबी आंध्र प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों के बाढ़ संभावित क्षेत्रों में झींगा एवं मीठे पानी की मछली के लिए प्रायोगिक पैमाने पर बीमा योजना लागू कर रहा है। उन्होंने संक्षेप में इस योजना का विवरण दिया।
अपने संबोधन में, संयुक्त सचिव (समुद्री मत्स्यपालन) सुश्री नीतू प्रसाद ने यह सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अनुरूप शासकीय संरचना स्थापित करने की दिशा में विचार करना एक महत्वपूर्ण पहलू होगा।
संयुक्त सचिव (अंतर्देशीय मत्स्यपालन) श्री सागर मेहरा ने पीएमएमएसवाई के तहत मछली की फसल और झींगा फसल दोनों के लिए जलीय कृषि फसल बीमा से संबंधित एक प्रायोगिक परियोजना के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत की और जलीय कृषि झींगा खेती में अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रबंधन कार्यप्रणालियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि जलीय कृषि में उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, इसलिए सीमांत किसानों को उनकी फसलों के लिए बीमा प्रदान करके उनके सामने आने वाले जोखिम का प्रबंधन करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने मछुआरों या बीमा लेने वालों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों के बारे में भी बताया।
बीमा कंपनियों, डीएफएस, राज्य मत्स्यपालन विभाग, सीआईबीए और एनएफडीबी के अधिकारियों ने बैठक में सक्रिय रूप से भाग लिया और इस योजना को संतृप्ति के स्तर तक लागू करने की दिशा में अपने व्यावहारिक सुझाव/प्रतिक्रियाएं दीं।
अंत में, विभिन्न एजेंसियों के साथ खुली चर्चा की गई तथा व्यावहारिक एवं जमीनी मुद्दों और संभावित कार्यों व नए बीमा उत्पादों के विकास के संबंध में प्रतिष्ठित एजेंसियों से स्पष्टीकरण लिया गया।