चिप सप्लाई चेन के लिए भारत और जापान के बीच हुआ समझौता, अमेरिका के बाद जापान बना दूसरा क्वाड साझेदार

यह एमओसी दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद लागू हो गया है और 5 साल के लिए है। नए समझौते के मुताबिक भारत और जापान जल्द ही उद्योग को उन्नत बनाने और डिजिटल तकनीक के लिए एक कार्यान्वयन संगठन बनाएंगे।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार 25 अक्टूबर को भारत और जापान के बीच सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए हुए समझौता ज्ञापन (एमओसी) को मंजूरी दे दी है। इसके तहत उद्योग के लिए शोध एवं विकास (आरऐंडडी), विनिर्माण, डिजाइन और प्रतिभा विकास पर ध्यान दिया जाएगा। यह एमओसी दोनों पक्षों के हस्ताक्षर की तारीख से प्रभावी होगा और पांच साल की अवधि तक लागू रहेगा। यह समझौता जुलाई में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और जापान के अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय के बीच हुआ था।
सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के संयुक्त विकास और अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लचीलेपन को बनाए रखने के लिए भारत के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने वाला जापान अमेरिका के बाद दूसरा क्वाड (Quad) भागीदार देश बन गया है।
क्या है एमओसी का मकसद ?
इसका मकसद दोनों देशों की सरकारों और बिजनेस टू बिजनेस साझेदारी विकसित करने में सहयोग प्रदान करना है, जिससे सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूती मिल सके। यह एमओसी दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद लागू हो गया है और 5 साल के लिए है। नए समझौते के मुताबिक भारत और जापान जल्द ही उद्योग को उन्नत बनाने और डिजिटल तकनीक के लिए एक कार्यान्वयन संगठन बनाएंगे। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब भारत अहम तकनीकों जैसे सेमीकंडक्टरों के विश्वसनीय स्रोतों के लिए नए समझौते कर रहा है।
देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास के लिए आईएसएम
भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास हेतु कार्यक्रम का आरंभ देश में मजबूत और टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया था। इसका उद्देश्य सेमीकंडक्टर विनिर्माण और सेमीकंडक्टर असेंबली, परीक्षण, मार्किंग एंड पैकेजिंग (एटीएमपी) और आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (ओएसएटी) सुविधाओं के लिए फैब्स की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाना है। देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण इकोसिस्टम के विकास के लिए भारत की रणनीतियों को संचालित करने के लिए डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (डीआईसी) के तहत इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) की स्थापना की गई है।
कब हुई भारत-जापान की डिजिटल साझेदारी ?
विदित हो कि अक्टूबर 2018 में प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा के दौरान सहयोग के मौजूदा क्षेत्रों के साथ-साथ डिजिटल आईसीटी प्रौद्योगिकियों पर अधिक ध्यान देने के लिए एस एंड टी और आईसीटी में सहयोग के दायरे में नई पहलों को आगे बढ़ाते हुए “भारत-जापान डिजिटल साझेदारी” (आईजेडीपी) की शुरुआत की गई थी।
एमओसी से होने वाला फायदा
बता दें कि जापान में लगभग 100 सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र हैं और यह सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र वाले टॉप 5 देशों में शामिल है। यह एमओसी इलेक्ट्रॉनिक्स इकोसिस्टम के क्षेत्र में सहयोग को और व्यापक और गहन बनाएगा। उद्योगों और डिजिटल प्रौद्योगिकियों की उन्नति के लिए सेमीकंडक्टर के महत्व की पहचान करते हुए यह एमओसी सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन को संवर्धित करेगा। एमओसी से दोनों देशों में बेहतर सहयोग होगा जिससे आईटी के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।