आयुष की सभी प्रणालियों में काफी प्रगति हो रही है: केंद्रीय मंत्री मुंजपारा
होम्योपैथी समिट का उद्देश्य “सर्वजन्य स्वास्थ्य” का लक्ष्य हासिल करना है। सम्मेलन का उद्घाटन के मौके पर डॉ. मुंजपारा ने कहा कि अब समय आ गया है, जब चिकित्सीय और शोध संबंधित प्रमाण को एकत्रित करके होम्योपैथी के पक्ष में साक्ष्यों के रूप में विश्व के सामने लाया जाए।
केंद्रीय आयुष और महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. महेंद्र भाई मुंजपारा ने बृहस्पति, 5 अक्टूबर को कोलकाता में होम्योपैथी पर आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस समिट का उद्देश्य “सर्वजन्य स्वास्थ्य” का लक्ष्य हासिल करना है। सम्मेलन का उद्घाटन के मौके पर डॉ. मुंजपारा ने कहा कि अब समय आ गया है, जब चिकित्सीय और शोध संबंधित प्रमाण को एकत्रित करके होम्योपैथी के पक्ष में साक्ष्यों के रूप में विश्व के सामने लाया जाए।
इस सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद द्वारा डॉ. अंजलि चटर्जी क्षेत्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान के माध्यम से पूर्वी क्षेत्र के एक कार्यक्रम के रूप में किया गया ताकि होम्योपैथी को एक ऐसे चरण में ले जाया जा सके जहां पर यह रोगियों के उपचार, कल्याण, स्वास्थ्य संवर्धन और बीमारी की रोकथाम के लिए प्राथमिक विकल्प बन जाए , जिसका प्राथमिक लक्ष्य ही “सर्वजन्य स्वास्थ्य” है।
सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. मुंजपारा ने होम्योपैथी के नैदानिक प्रभावों और इसके अनुसंधान के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आयुष की सभी प्रणालियों में काफी प्रगति हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि आयुष मंत्रालय बुनियादी ढांचे की उन्नति, मानव संसाधन की प्रगति और औषधियों के विकास को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा आयुष अनुसंधान और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के आधार पर आयुष संसाधन भी तैयार कर रहा है।
डॉ. महेंद्र ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है, जब चिकित्सीय और शोध संबंधित प्रमाण को एकत्रित करके होम्योपैथी के पक्ष में साक्ष्यों के रूप में विश्व के सामने लाया जाए। राज्य मंत्री ने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल भारत में होम्योपैथी की राजधानी है, जहां से यह प्रणाली विकसित हुई और देश के अन्य सभी हिस्सों तक पहुंच गई।
विश्व होम्योपैथी दिवस 10 अप्रैल को डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष उत्सव को एक दिन या एक स्थान पर नहीं, बल्कि पूरे देश में चार क्षेत्रों में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। उपचार के रूप में होम्योपैथी का दो शताब्दियों से अधिक का समृद्ध इतिहास है। हमारे देश में पिछले कुछ वर्षों में इसका पोषण हो रहा है और यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र और प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है।