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देश में तैयार हो रहा पहला ‘रेलवे टेस्ट ट्रैक’, हाई स्पीड, रेगुलर व गुड्स ट्रेनों का कभी भी हो सकेगा ट्रायल

देश में तैयार हो रहा पहला ‘रेलवे टेस्ट ट्रैक’, हाई स्पीड, रेगुलर व गुड्स ट्रेनों का कभी भी हो सकेगा ट्रायल
  • PublishedSeptember 27, 2023

वर्तमान में किसी भी नई ट्रेन या वैगन का ट्रायल रेलवे के चालू ट्रैक पर ही किया जा रहा है।

अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जर्मनी की तर्ज पर अब भारत में भी टेस्ट ट्रैक का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। देश के इस पहले रेलवे टेस्ट ट्रैक का निर्माण कार्य राजस्थान के नावां सिटी रेलवे स्टेशन के पास शुरू हुआ है। इस ट्रैक के निर्माण से देश को रेलवे के क्षेत्र में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड की टेस्टिंग फेसिलिटी उपलब्ध होगी।

दरअसल, रेलवे और देश के पहला टेस्ट ट्रैक का निर्माण पूरा होने के बाद अमेरिका और आस्ट्रेलिया की तर्ज पर 220 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हाई स्पीड, रेगुलर ट्रेनों व गुड्स वैगन इत्यादि का यहां ट्रायल संभव हो सकेगा। निर्माण कार्यों के दूसरे फेज में वर्कशॉप, प्रयोगशाला और आवास बनाने की योजना है।

टेस्ट ट्रैक 2024 तक तैयार होने की उम्मीद
उत्तर-पश्चिम रेलवे के जोधपुर मंडल पर विकसित होने वाले करीब 60 किलोमीटर लंबे इस रेलवे टेस्ट ट्रैक का निर्माण कार्य चरणबद्ध तरीके से आरंभ किया गया है। 819.90 करोड़ रुपये की लागत से यह डेडिकेटेड टेस्ट ट्रैक दिसंबर 2024 तक बनकर तैयार होने की संभावना है। रेलवे का कहना है कि इस ट्रैक परियोजना के पूरा होने के साथ भारत ऐसा पहला देश होगा जिसके पास रोलिंग स्टॉक के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों की व्यापक परीक्षण सुविधाएं होंगी।

 

दो फेज में हो रहा तैयार
जोधपुर डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने इस बारे में बताया कि रेलवे की तकनीकी जरूरतों को पूरा करने वाले एकमात्र अनुसंधान संगठन रिसर्च एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) द्वारा विकसित किया जा रहा देश का पहला रेलवे टेस्ट ट्रैक जोधपुर मंडल के नावां रेलवे स्टेशन के पास गुढा-ठठाणा मीठड़ी के बीच बिछाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में भूमि अवाप्ति की कार्रवाई पूरी की जा चुकी है तथा टेस्ट ट्रैक का निर्माण कार्य शुरू गया है। गौरतलब है कि टेस्ट ट्रैक का निर्माण दो फेज में पूरा होगा। जिसमें पहला फेज 25 किलोमीटर का है तथा इसके तहत मेजर ब्रिज का निर्माण कार्य 95 फीसदी पूरा भी करवा लिया गया है। इसके अलावा टेस्ट के उद्देश्य से 34 छोटे ब्रिजों का भी निर्माण करवाया जा रहा है जिनमें से 24 का कार्य पूरा हो चुका है और शेष 10 का कार्य प्रगति पर है। इस रेलवे टेस्ट ट्रैक की भूमि पर आठ रेलवे अंडर ब्रिज में से तीन ब्रिज बनकर तैयार है।

हाई स्पीड, वंदे भारत और रेगुलर ट्रेनों का ट्रायल होगा संभव
गौरतलब है कि इस हाई स्पीड डेडिकेटेड रेलवे ट्रैक में 23 किलोमीटर लंबी मुख्य लाइन होगी। इसमें गुढ़ा में एक हाई-स्पीड तेरह किलोमीटर लंबा लूप होगा। नांवा में तीन किलोमीटर का एक क्विक टेस्टिंग लूप और मिथ्री में बीस किलोमीटर का कर्व टेस्टिंग लूप होगा।
इस टेस्ट ट्रैक पर कई नए परीक्षण होंगे। इस पर हाई स्पीड, वंदे भारत और रेगुलर ट्रेनों का ट्रायल होगा। इसके साथ ही लोकोमोटिव और कोच के अलावा इस ट्रैक को हाई एक्सल लोड वैगन के ट्रायल के लिए भी प्रयोग में लाया जाएगा। इस ट्रैक का उपयोग करके कई नए परीक्षणों के लिए किया जाएगा, जिसमें रोलिंग स्टॉक और इसके घटकों, रेलवे पुलों और भू तकनीकी क्षेत्र से संबंधित परीक्षण प्रमुख हैं। इससे रेलवे से संबंधित अनुसंधान व परियोजनाओं व इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी समस्याओं का समाधान भी संभव होगा।

 

वर्तमान में कैसे होता है ट्रायल
वर्तमान में किसी भी नई ट्रेन या वैगन का ट्रायल रेलवे के चालू ट्रैक पर ही किया जा रहा है। ट्रायल के समय उस ट्रैक पर रेलवे ट्रैफिक को रोकना पड़ता है, जिससे ट्रेनों का संचालन प्रभावित होता है। इस परियोजना के लिए गुढा-ठठाणा मीठड़ी क्षेत्र चुनने का प्रमुख कारण यह है कि इस दूरी के बीच पुरानी रेलवे लाइन पहले से बिछी है और रेलवे की पर्याप्त भूमि पहले से ही है जिसका उपयोग हो सकेगा।
नए टेस्ट ट्रैक एरिया में नए कोचों , लोकोमोटिव इत्यादि की अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता और स्पीड जांची जा सकेगी और इससे ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के भारतीय रेलवे के प्रयासों को गति मिलेगी।