Dadasaheb Phalke Award 2023: ‘CID’ से लेकर ‘स्केटर गर्ल तक, बेहद शानदार रहा है वहीदा रहमान का फिल्मी सफर
नई दिल्लीः अपनी अदाकारी से लाखों दिल जीतने वाली अभिनेत्री वहीदा रहमान बनना तो डॉक्टर चाहती थीं, लेकिन अभिनय ही उनके जीवन का हिस्सा बन गया. तेलुगू फिल्मों के साथ उन्होंने करियर शुरू किया और फिर ब्लैक एंड व्हाइट से लेकर रंगीन पर्दे तक मुख्य धारा के सिनेमा की शोभा बढ़ाती रहीं. जीवन के साढ़े आठ दशक पूरे कर चुकीं वहीदा रहमान को मंगलवार को 2021 का दादासाहेब फाल्के पुरस्कार प्रदान किये जाने की घोषणा की गई. उन्होंने अपने सात दशक के सिनेमाई जीवन में 90 से अधिक फिल्मों में काम किया है. हिंदी में वहीदा रहमान की पहली फिल्म 1956 में आई ‘सीआईडी’ थी जिनमें उन्होंने चरित्र भूमिका अदा की थी. इसके बाद वह हिंदी फिल्म जगत की शीर्ष अभिनेत्रियों में शुमार हुईं और पिछले कुछ सालों में संक्षिप्त भूमिका निभाती रहीं.
उन्होंने आखिरी बार दो साल पहले आई फिल्म ‘स्केटर गर्ल’ में काम किया था. चेन्नई में एक दक्षिण मुस्लिम परिवार में जन्मीं वहीदा ने कभी अदाकारा बनने का सपना नहीं देखा था. उन्होंने दो साल पहले एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘मैं डॉक्टर बनना चाहती थी, क्योंकि उन दिनों मुस्लिम परिवारों में चिकित्सा ही एकमात्र सम्मानजनक पेशा था.’’वहीदा को बचपन से कला, संस्कृति और नृत्य में रुचि थी. उनके पिता भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में थे. पिता के सहयोग से उन्होंने भारतनाट्यम सीखने का अपना सपना पूरा किया और फिर फिल्मों की ओर बढ़ गयीं.
साक्षात्कार में उन्होंने कहा, “मैं आइने में देखकर तरह-तरह के चेहरे बनाती थी. जब मेरे पिता ने पूछा कि ऐसा क्यों करती हूं तो मैंने कहा कि मैं लोगों को हंसाना और रुलाना चाहती हूं.” उनकी पहली फिल्म तेलुगू भाषा की ‘रोजुलू मरायी’ और ‘जयसिम्हा’ थीं. हैदराबाद में संयोग से उनकी मुलाकात गुरुदत्त से हुई और वहीं से उनके जीवन ने नया मोड़ ले लिया. वहीदा अब बंबई (अब मुंबई) आ गयीं और उन्हें 1956 में दत्त की फिल्म ‘सीआईडी’ में काम मिला. फिल्म में उस जमाने के मशहूर अभिनेता देव आनंद थे. वहीदा ने इसमें एक नृतकी का चरित्र किरदार अदा किया था.