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लद्दाख में दुनिया का सबसे ऊंचे लड़ाकू हवाई क्षेत्र का निर्माण करेगा BRO

लद्दाख में दुनिया का सबसे ऊंचे लड़ाकू हवाई क्षेत्र का निर्माण करेगा BRO
  • PublishedSeptember 12, 2023

भारत अपने सीमावर्ति इलाकों में लगातार बुनियादी ढांचा का विकास करने लगा हुआ है। ऐसे में भारत आने वाले दो से तीन वर्षों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचा का विकास करने के मामले में चीन को पछाड़ देगा। यह दावा करते हुए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि भारत अब लद्दाख के न्योमा में दुनिया का सबसे ऊंचे लड़ाकू हवाई क्षेत्र का निर्माण करने जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 12 सितंबर को जम्मू के देवक पुल से बीआरओ की 90 नई परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित करेंगे।

लद्दाख के हवाई क्षेत्र हो रहे अपग्रेड
बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि चीन के सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास पर पूरा जोर दिया जा रहा है। चीन सीमा से 50 किमी. से कम दूरी पर भारत ने लद्दाख के हवाई क्षेत्र को अपग्रेड करना शुरू कर दिया है। इसके लिए न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) पर लड़ाकू अभियानों के लिए 2.7 किमी लंबा कंक्रीट रनवे बनाया जा रहा है। यह 13,700 फीट की ऊंचाई पर चीन की नजरों से दूर दुनिया का सबसे ऊंचा हवाई क्षेत्र होगा। यह एयरबेस चीन सीमा पर एलएसी के सबसे नजदीक होने के कारण रणनीतिक रूप से संवेदनशील होने के साथ ही महत्वपूर्ण भी है।

रक्षा मंत्री बीआरओ की 90 नई परियोजनाएं राष्ट्र को करेंगे समर्पित
उन्होंने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार और जीवन को आसान बनाने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 12 सितंबर को बीआरओ की 90 नई परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इनमें से 26 परियोजनाएं लद्दाख में और 36 अरुणाचल में हैं, इसलिए हमारा ध्यान पूरी तरह से इन दो राज्यों पर है। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 6,000 करोड़ रुपये होगी। इसमें 22 सड़कें, 63 पुल और अरुणाचल प्रदेश में एक सुरंग शामिल है। इसके अलावा दो रणनीतिक हवाई क्षेत्र बागडोगरा और बैरकपुर और दो हेलीपैड एक राजस्थान में और एक ससोमा-सासेर ला के बीच लद्दाख में है। इनमें से 60 परियोजनाओं को दिसंबर तक पूरा करने की योजना है।

दुनिया की सबसे लंबी द्वि-लेन सेला सुरंग
उन्होंने बताया कि अगले 20 दिनों में सेला सुरंग का निर्माण पूरा कर लिया जायेगा। यह सुरंग 13,000 फीट और उससे अधिक ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी द्वि-लेन सुरंग होगी। अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित सेला सुरंग तवांग सेक्टर को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करके ‘जीवन रेखा’ की तरह होगी। जनरल चौधरी ने बताया कि शिंकू ला टनल की योजना भी अपने अंतिम चरण में है। हिमाचल प्रदेश में जांस्कर-लाहौल-स्पीति को जोड़ने वाली 15,855 फीट की ऊंचाई पर यह दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। केंद्र सरकार एलएसी के 3,488 किमी. इलाके को विकसित करने के लिए तेजी से काम कर रही है। पिछले 2-3 वर्षों में 11,000 करोड़ रुपये की 295 परियोजनाएं पूरी की गई हैं।

आखिरी छोर तक मिलेगी कनेक्टिविटी
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी के मुताबिक राष्ट्र को समर्पित की जा रही इन परियोजनाओं के माध्यम से हम लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार एलएसी पर हमारे काम में तेजी लाने के लिए अन्य सभी वाहनों और मशीनों के साथ बजट के साथ हमें समर्थन दे रही है। चौधरी ने कहा कि पहले हम एलएसी के इतने करीब नहीं थे, लेकिन पिछले तीन वर्षों में हम अपनी गति बढ़ा रहे हैं। इससे हमें अधिकांश अग्रिम चौकियों के आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी मिलेगी।