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WHO के पहले पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन का दस्तावेज “गुजरात घोषणा” जारी

WHO के पहले पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन का दस्तावेज “गुजरात घोषणा” जारी
  • PublishedSeptember 5, 2023

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गांधीनगर में “गुजरात घोषणा” के रूप में पहले डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन 2023 का परिणाम दस्तावेज जारी किया है। इस घोषणापत्र में स्वदेशी ज्ञान, जैव विविधता और पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की गयी है। भारत डब्ल्यूएचओ-जीसीटीएम के मेजबान के रूप में सदस्य देशों का समर्थन करने और शिखर सम्मेलन के कार्य एजेंडे को आगे बढ़ाने में डब्ल्यूएचओ की क्षमताओं को बढ़ाएगा। WHO ने रेखांकित किया है कि सभी के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए समग्र, संदर्भ-विशिष्ट, जटिल और व्यक्तिगत दृष्टिकोण की बेहतर समझदारी, आकलन और जहां उचित हो, लागू करने के लिए कठोर वैज्ञानिक तरीकों के प्रयोग की आवश्यकता है।

जामनगर, गुजरात में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर के मेजबान के रूप में भारत की शिखर सम्मेलन कार्य एजेंडा और अन्य प्रासंगिक प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने में सदस्य देशों और हितधारकों का समर्थन करने के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

17 और 18 अगस्त 2023 को गुजरात के गांधीनगर में दो-दिवसीय पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ था

गुजरात घोषणापत्र ने दोहराया है कि जामनगर, गुजरात में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर के मेजबान के रूप में भारत की शिखर सम्मेलन कार्य एजेंडा और अन्य प्रासंगिक प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने में सदस्य देशों और हितधारकों का समर्थन करने के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।

बता दे कि गुजरात घोषणापत्र गुजरात के गांधीनगर में आयोजित दो दिवसीय डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन 2023 के कार्य बिंदु शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत साक्ष्य, चर्चाओं और परिणामों पर आधारित हैं। लोगों और ग्रह के स्वास्थ्य और कल्याण, अनुसंधान और साक्ष्य, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और स्वास्थ्य प्रणालियों, डेटा और नियमित सूचना प्रणालियों, डिजिटल स्वास्थ्य सीमाओं, जैव विविधता और स्थिरता, मानवाधिकार, समानता और नैतिकता जैसे विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया गया था ।

 

हमारे प्राचीन ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता का प्रमाण

इस समिट में केंद्रीय आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा था गुजरात घोषणापत्र पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के हमारे प्राचीन ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। सहयोगी प्रयासों और दीर्घकालीन व्‍यवहारों से हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक टेड्रोस अधानॉम घेब्रेयेस ने कहा था कि गुजरात घोषणापत्र’ विज्ञान के लेंस के माध्यम से पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता का दोहन करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा।यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों में पारंपरिक औषधियों के एकीकरण पर फोकस करेगा और पारंपरिक चिकित्सा की शक्ति प्रकट करने में मदद करेगा।

गुजरात घोषणापत्र

गुजरात घोषणापत्र सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) और सभी स्वास्थ्य संबंधी सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के लक्ष्य के समर्थन में साक्ष्य-आधारित टीसीआईएम (पारंपरिक पूरक एकीकृत चिकित्सा) हस्तक्षेप और दृष्टिकोण को लागू करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के बारे में बात करता है। यह डब्ल्यूएचओ जीसीटीएम के माध्यम से वैश्विक शिखर सम्मेलन में प्रदर्शित बहु-क्षेत्रीय, बहु-विषयी और बहु-हितधारक सहयोग की भूमिका को बताता है जो वैश्विक स्वास्थ्य में टीसीआईएम के साक्ष्य आधारित लाभों को अधिकतम करने के लिए डब्ल्यूएचओ के प्रमुख कार्यालयों के काम के साथ संरेखित और पूरक है।

 

डिजिटल स्वास्थ्य संसाधनों को आगे बढ़ाने पर जोर

शिखर सम्मेलन का मुख्य आकर्षण यह था कि लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए टीसीआईएम पर डिजिटल स्वास्थ्य संसाधनों को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों और विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के उचित विकास और एप्‍लीकेशन को कैसे सक्षम किया जाए।

इसमें उल्लेख किया गया है कि जैव विविधता की सुरक्षा, पुनर्स्थापना और सतत प्रबंधन के लिए सभी स्तरों पर कार्यों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और जैव विविधता संसाधनों, संबंधित आनुवंशिक सामग्री और स्वदेशी ज्ञान के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों के निष्पक्ष और न्यायसंगत बंटवारे को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा में प्रदान किए गए स्वदेशी लोगों के अधिकारों को पूरी तरह से पहचानना, सम्मान करना और उनकी रक्षा करना। TCIM अनुसंधान और अभ्यास में नैतिक तरीकों और प्रक्रियाओं को शामिल करना है।