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कोलकाता मेट्रो जल्द ही अंतरराष्‍ट्रीय क्‍लब की सदस्‍य बन जाएगी

कोलकाता मेट्रो जल्द ही अंतरराष्‍ट्रीय क्‍लब की सदस्‍य बन जाएगी
  • PublishedAugust 31, 2023

कोलकाता मेट्रो रेलवे एक अभूतपूर्व परिवर्तन करने जा रहा है। यह अपने पारंपरिक स्टील थर्ड रेल सिस्टम से अत्याधुनिक मिश्रित एल्यूमीनियम थर्ड रेल सिस्टम में परिवर्तित हो रहा है और खुद को लंदन जैसे शहरों में विशिष्ट वैश्विक महानगरों की विशिष्ट लीग के साथ जोड़ रहा है। मॉस्को, बर्लिन, म्यूनिख और इस्तांबुल, जो पहले ही इस नवीन तकनीक को अपना चुके हैं।

कोलकाता मेट्रो रेलवे पिछले 40 वर्षों से स्टील थर्ड रेल का उपयोग कर रहा है। कोलकाता मेट्रो रेलवे ने अब स्टील थर्ड रेल के साथ मौजूदा कॉरिडोर में रेट्रो फिटमेंट के साथ-साथ निर्माण के लिए किए जा रहे सभी आगामी गलियारों में कम्पोजिट एल्यूमीनियम थर्ड रेल का उपयोग करने का निर्णय लिया है। इस अत्याधुनिक बदलाव के साथ कोलकाता मेट्रो रेलवे अब लंदन, मॉस्को, बर्लिन, म्यूनिख और इस्तांबुल मेट्रो के समान आधुनिक सुविधाओं से युक्त हो जाएगा। कोलकाता मेट्रो अंतरराष्‍ट्रीय क्‍लब की सदस्‍य बन जाएगी। भारतीय रेलवे की कोलकाता मेट्रो स्टील थर्ड रेल को कम्पोजिट एल्यूमीनियम थर्ड रेल में परिवर्तित करने की योजना है।

कोलकाता मेट्रो रेलवे 24 अक्टूबर 1984 को भारतीय रेलवे द्वारा निर्मित भारत की पहली मेट्रो है, जो लगभग 40 वर्षों से कोलकाता लाइफ लाइन बनी है। कुल 35 किमी मेनलाइन स्टील थर्ड रेल को फेस में बदला जाएगा। इससे ऊर्जा लागत में कमी आएगी और 5 किमी मेट्रो कॉरिडोर के लिए 210 करोड़ रुपए के पूंजी निवेश की सीधी बचत होगी।

इस्पात पर एल्यूमीनियम मिश्रित थर्ड रेल से होने पर क्या लाभ होगा ?

1-प्रतिरोधक विद्युत प्रवाह की हानि में कमी आएगी और बेहतर कर्षण वोल्टेज स्तर होगा क्योंकि स्टील थर्ड रेल का प्रतिरोध समग्र एल्यूमीनियम थर्ड रेल की तुलना में लगभग छह गुना अधिक है।
2-स्टील थर्ड रेल की तुलना में कम ट्रैक्शन सबस्टेशन यानी 35 किमी मेट्रो कॉरिडोर के लिए लगभग 210 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की सीधी बचत होगी ।
3-कम वोल्टेज ड्रॉप कोलकाता मेट्रो रेलवे के पास उपलब्ध एक ही रेक के साथ तेजी से गतिवृद्धि प्राप्त करने की सुविधा होगी।
कम रखरखाव और लागत- हर 5 साल में थर्ड रेल की पेंटिंग की आवश्यकता अब और नहीं होगी। थर्ड रेल आयाम के मापन की आवृत्ति में काफी कमी आ सकती है। जंग के कारण नुकसान की संभावना नहीं होगी।
4-ट्रेन संचालन की दक्षता में सुधार।
5-ऊर्जा दक्षता में भारी सुधार और कार्बन फुटप्रिंट में कमी।
6-कम्पोजिट एल्यूमिनियम थर्ड रेल का उपयोग करके प्रति वर्ष अनुमानित ऊर्जा बचत लगभग 6.7 मिलियन यूनिट हो सकती है।
7-रेलगाडियों का अगला हिस्सा बेहतर होगा।