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केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा जारी की

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने नई दिल्ली में स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा जारी की
  • PublishedAugust 24, 2023

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (एनसीएफ-एसई) जारी की। यह रूपरेखा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण और परिवर्तनकारी कदम है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री महोदय ने आज राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा निरीक्षण समिति और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण-प्रशिक्षण सामग्री समिति की पहली संयुक्त कार्यशाला को संबोधित किया। स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा (एनसीएफ-एसई) का विकास 21वीं सदी की आवश्यकताओं और भारतीय ज्ञान प्रणाली के लोकाचार के साथ शिक्षा को संरेखित करने की दृष्टि से निर्देशित था। प्रोफेसर के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में, स्कूली शिक्षा के 5+3+3+4 प्रारूप पर बल देते हुए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप पाठ्यक्रम बनाने के लिए एक संचालन समिति का गठन किया गया था। यह रूपरेखा प्रारंभिक स्तर से लेकर माध्यमिक स्तर तक की संपूर्ण शैक्षिक प्रणाली को संबोधित करती है। रूपरेखा बहु-विषयक शिक्षा, मूल्यों का पोषण, रचनात्मक शिक्षाशास्त्र को प्रोत्साहन देने और विद्यार्थियों को व्यावहारिक समस्या-समाधान के लिए तैयार करने का परिचय देती है।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि दुनिया को भारत से बहुत आशाएं हैं। उन्होंने कहा कि अपनी वैश्विक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए, हमें प्रौद्योगिकी-संचालित शैक्षिक प्रणाली विकसित करनी होगी जो भारत के साथ-साथ विश्व समुदाय की अपेक्षाओं को पूरा करे। उन्होंने समग्र, समसामयिक और भारतीय मूल के शैक्षिक परिदृश्य को आकार देने में ढांचे की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा कि यह स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की रूपरेखा जारी होने के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन है और अगले शैक्षणिक वर्ष से नई पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने कहा कि कक्षा 3 से 12 की पाठ्य पुस्तकों को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाएगा, जिससे वे मौलिक और भविष्य के अनुरूप होंगी।