ट्राई ने ‘लाइसेंस शुल्क और डीटीएच सेवाओं के नीतिगत मामलों’ पर सिफारिशें जारी की
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज ‘लाइसेंस शुल्क और डीटीएच सेवाओं के नीतिगत मामलों’ पर सिफारिशें जारी की हैं।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) ने पत्र संख्या 2/33/2021-बीपी और एल दिनांक 02.02.2022 के माध्यम से ट्राई अधिनियम, 1997 की धारा (11)(1)(ए) के तहत ट्राई की सिफारिशें मांगी थी।
इस संदर्भ में एकीकृत लाइसेंस (यूएल) समझौते में दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा किए गए संशोधनों की ओर संकेत किया। दिनांक 25.10.2021 और 06.10.2021 के संशोधनों के जरिए डीओटी ने संरचनात्मक सुधार किए और क्रमश: समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) और बैंक गारंटी (बीजी) राशि की परिभाषा को तर्कसंगत बनाया।
भारत में डीटीएच प्रसारण सेवाएं प्रदान करने के लिए लाइसेंस हासिल करने को लेकर बने नीतिगत दिशानिर्देशों से डीटीएच का संचालन किया जाता है। इन दिशानिर्देशों से लाइसेंस शुल्क (एलएफ) निर्धारित होता है। एलएफ एक गैर-कर शुल्क होता है, जो सेवा प्रदाता से लाइसेंस हासिल कर काम करने की अनुमति देने पर लिया जाता है। दिशानिर्देशों में दिए प्रावधानों के तहत डीटीएच ऑपरेटरों को हर तिमाही के आधार पर एलएफ का भुगतान करना होता है, जो समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 8 प्रतिशत है।
बैंक गारंटी (बीजी) एक प्रकार का वित्तीय साधन होता है जो सुनिश्चित करता है कि सेवा प्रदाता समय पर अपने बकाये का भुगतान करे और वह लाइसेंस समझौते के नियमों और शर्तों को पूरा करने के लिए बाध्य हो। मौजूदा डीटीएच दिशानिर्देशों के तहत पहली दो तिमाहियों के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि बैंक गारंटी के तौर पर तय की गई है। इसके बाद दो तिमाहियों के लिए एलएफ के बराबर राशि और अन्य देय राशि निर्धारित की गई है।
इस संदर्भ में, ट्राई ने 13 जनवरी 2023 को ‘लाइसेंस शुल्क और डीटीएच सेवाओं के नीतिगत मामलों’ पर एक परामर्श पत्र जारी किया था। इस पर हितधारकों से लिखित टिप्पणियां और प्रतिक्रियाएं क्रमश: 27 फरवरी 2023 और 13 मार्च 2023 तक मांगी गई थीं। प्राधिकरण को विभिन्न हितधारकों से 7 टिप्पणियां और 1 प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। ये सभी टिप्पणियां और प्रतिक्रिया ट्राई की वेबसाइट www.trai.gov.in पर उपलब्ध हैं। 20 अप्रैल 2023 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परामर्श पत्र में उठाए गए मुद्दों पर एक खुली चर्चा भी कराई गई थी।
सिफारिशों की मुख्य बातें इस प्रकार से हैं:
(ए) सकल राजस्व (जीआर) में सभी परिचालनों/गतिविधियों के माध्यम से लाइसेंस प्राप्त इकाई से मिला राजस्व शामिल होगा। इसमें संबंधित खर्च के किसी भी अंतर के बगैर ब्याज, लाभांश, किराया, अचल संपत्तियों की बिक्री पर लाभ, विविध आय आदि से सभी राजस्व/आय भी शामिल होंगे।
सिफारिशों में परिभाषा के साथ कुछ स्पष्टीकरण भी सामने रखा गया है।
(बी) लाइसेंस शुल्क के लिए राजस्व गणना करने के लिए लागू सकल राजस्व (एपीजीआर) लाइसेंसधारक के कुल जीआर के बराबर होना चाहिए, निम्नलिखित मदों में घटाया गया है:
(1) डीओटी द्वारा जारी लाइसेंस/अनुमति के तहत गतिविधियों से मिला राजस्व,
(2) सरकार की ओर से प्रतिपूर्ति अगर कोई हो, और
(3) एजीआर के लिए जीआर से बाहर की जाने वाली दूसरी आय* की सूची:
– लाभांश से आय
– ब्याज से आय
– अचल संपत्तियों और प्रतिभूतियों की बिक्री से आय
– विदेशी मुद्रा की दरों में उतार-चढ़ाव होने से लाभ
– संपत्ति के किराये से आय
– बीमा दावे
– खराब ऋणों (बैड लोन) की वसूली
– अतिरिक्त प्रावधान वापस लिखे गए
* इन सिफारिशों के अनुबंध-III में दी गई शर्तों के तहत
(सी) अगर एपीजीआर को जीएसटी के घटक के रूप में शामिल किया गया है तो समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की गणना एपीजीआर से सरकार को भुगतान की गई जीएसटी को निकालकर की जाती है।
(डी) एमआईबी को फॉर्म-डी (राजस्व विवरण और लाइसेंस शुल्क डीटीएच लाइसेंसधारियों के लिए) को संशोधित करना चाहिए और सिफारिशों में दिए गए फॉर्म-डी के प्रारूप को अपनाना चाहिए। फॉर्म-डी जमा करने की प्रक्रिया को एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से डिजिटल तरीके से सभी संबंधित दस्तावेजों को अपलोड करने की सुविधा के साथ पूरा ऑनलाइन बनाया जाना चाहिए।
(ई) एमआईबी को एकल खिड़की पोर्टल के जरिए कटौती सत्यापन प्रक्रिया के लिए एक सशक्त प्रणाली विकसित करना चाहिए। लाइसेंसधारक से अपेक्षा की जाती है कि वह लाइसेंसदाता के समक्ष ऐसे सभी लेखा बहियों और आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत करे जिनका लाइसेंस शुल्क की गणना के लिए राजस्व के सत्यापन पर असर पड़ता हो।
(एफ) डीटीएच लाइसेंसधारक को एजीआर के 3 प्रतिशत के बराबर सालाना लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना चाहिए।
(जी) डीटीएच लाइसेंसधारियों के लिए लाइसेंस शुल्क अगले तीन वर्षों में शून्य कर दिया जाना चाहिए। वित्त वर्ष 2026-27 की समाप्ति के बाद डीटीएच लाइसेंसधारियों से कोई लाइसेंस शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।
(एच) लाइसेंसधारी को पहली दो तिमाहियों के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि प्रारंभिक बैंक गारंटी के तौर पर किसी भी अनुसूचित बैंक से एमआईबी को जमा करनी चाहिए।
(आई) इसके बाद लाइसेंसधारी को किसी भी अनुसूचित बैंक से एक बैंक गारंटी (वित्तीय और प्रदर्शन बैंक गारंटी को शामिल कर) एमआईबी को प्रारंभिक बैंक गारंटी (यानी 5 करोड़ रुपये) के बराबर या दो तिमाहियों के लिए लाइसेंस शुल्क और अन्य बकाया जो प्रतिभूतिकृत नहीं है, के बराबर अनुमानित देय राशि का 20 प्रतिशत, जो भी ज्यादा हो, जमा करनी चाहिए।
(जे) एक बार लाइसेंस शुल्क शून्य हो जाने के बाद लाइसेंसधारी को प्रारंभिक बैंक गारंटी (यानी 5 करोड़ रुपये) के बराबर एक निश्चित राशि के लिए बैंक गांरटी (प्रदर्शन बैंक गांरटी) किसी भी अनुसूचित बैंक से एमआईबी को जमा करनी चाहिए, जो एक साल के लिए मान्य होनी चाहिए। साथ ही इसे वैध रूप से जारी रखने के लिए लाइसेंस समझौते के तहत हर साल नवीनीकरण होना चाहिए।
(के) लाइसेंसदाता को यह स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह किसी भी लाइसेंस शर्त के उल्लंघन पर बैंक गारंटी को पूरा या आंशिक रूप से भुना सके।
(एल) कारोबार सुगमता के लिए इलेक्ट्रॉनिक बैंक गारंटी को प्रोत्साहित और अनुमति दी जानी चाहिए।
(एम) सकल राजस्व (जीआर), लागू सकल राजस्व (एपीजीआर), समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की परिभाषा और डीटीएच लाइसेंस के लिए लाइसेंस शुल्क निकालने के लिए एजीआर का प्रतिशत सहित इन सिफारिशों को आगे लागू किया जा सकता है।
बेहद प्रतिस्पर्धी टेलीविजन वितरण बाजार में डीटीएच क्षेत्र के लिए तत्काल उपायों की जरूरत है। इन सिफारिशों के शीघ्र कार्यान्वयन से इस क्षेत्र को मदद मिलेगी और यह समग्र विकास में लाभकारी होगा।
‘डीटीएच सेवाओं के लाइसेंस शुल्क और नीतिगत मामलों’ पर सिफारिशों की पूरी बात ट्राई की वेबसाइट www.trai.gov.in पर उपलब्ध है। किसी भी स्पष्टीकरण/जानकारी के लिए श्री अनिल कुमार भारद्वाज, सलाहकार (बी और सीएस) से advbcs-2@trai.gov.in या टेलिफोन नंबर +91-11-23237922 पर संपर्क किया जा सकता है।