मेरा सौभाग्य है कि मुझे तुलसी पौधा लगाने का मौका मिला: डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस
तुलसी को मैया कहने वाले देश में अब WHO के महासचिव डॉ टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने भी उसकी कीर्ति को माना। तुलसी का पौधा लगाकर हुए गौरवान्वित !
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महासचिव डॉ टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने गुरुवार को अपने संबोधन में भारत के घर-घर में पूजनीय दिव्य तुलसी के पौधे के गुणों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे तुलसी पौधा लगाने का मौका मिला। ये बातें डब्ल्यूएचओ के महासचिव ने ट्रेडिशनल मेडिसिन ग्लोबल समिट का उद्घाटन के दौरान कहीं।
इस समिट के माध्यम से दुनियाभर की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के महारथियों को एक मंच पर लाया जा रहा है। इसके लिए पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं पर संवाद करने के लिए दो दिवसीय पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्धाटन डब्ल्यूएचओ के महासचिव डॉ टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने बृहस्पतिवार को गुजरात के गांधीनगर में किया। इस शिखर सम्मेलन में 75 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों समेत विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्री भाग ले रहे हैं।
शिखर सम्मेलन के पहले दिन ट्रेडिशनल मेडिसिन से जुड़ी फिल्म और वृत्त चित्र दिखाये गये। इन फिल्मों में देश- दुनिया के अलग अलग कोने में प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को दिखाया गया और संदेश दिया गया कि समाज को चुस्त-दुरुस्त और तंदुरुस्त रखने का रास्ता पारंपरिक चिकित्सा से होकर ही गुजरता है ।
पीएम नरेंद्र मोदी को दिया गया शिखर सम्मेलन का श्रेय
केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस शिखर सम्मेलन का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हुए कहा कि, उनके सक्षम और समर्थ नेतृत्व में पारंपरिक चिकित्सा को नई पहचान मिली है। उन्होंने यह भी कहा की आयुष मंत्रालय पारंपरिक चिकित्सा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि, पारंपरिक औषधियों की फार्मास्यूटिकल और कॉस्मेटिक उद्योग में बड़ी मांग है। दुनिया के 170 से भी अधिक देशों में इन औषधियों का किसी न किसी रूप में उपयोग किया जाता है। निश्चित रूप से पारंपरिक चिकित्सा को नई पहचान मिली है।
शिखर सम्मेलन में ऐसी कहावतों का कई बार जिक्र हुआ जो भारतीयता के चरित्र को प्रदर्शित करती है। वसुधैव कुटंबकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया, अच्छे विचारों को हर तरफ से आने दो, सत्य एक है लेकिन उस तक पहुंचने के रास्ते अलग-अलग हैं, सोना-चांदी से ज्यादा महत्वपूर्ण है स्वास्थ्य-जैसे प्रेरणादायी वाक्यों के जरिए कई वक्ताओं ने विश्व को सार्थक संदेश दिया। आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ की मेजबानी में इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश विदेश के वैज्ञानिक, चिकित्सा विशेषज्ञ और सिविल सोसाइटी के सदस्यों के साथ परंपरागत चिकित्सा के तमाम पहलुओं पर चर्चा कर रहे हैं।
डिजिटल प्रदर्शनी
सम्मेलन के पहले दिन ही एक खास डिजिटल प्रदर्शनी का भी उद्घाटन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष टेडरॉस, केन्द्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनेवाल, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मनसुख मांडविया एवं केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री डॉ. महेंद्र मुंजपारा ने किया। इसमें पारंपरिक चिकित्सा के तमाम रूपों को दर्शाया गया। पौराणिक कल्प वृक्ष का आधुनिक रूप प्रदर्शनी में आकर्षण का केंद्र बिंदु बना है। इस कल्पवृक्ष के माध्यम से ये संदेश दिया जा रहा है कि जिस तरह से कल्पवृक्ष इंसान की हर मनोकामना को पूर्ण करने का सामर्थ्य रखता है, उसी तरह पारंपरिक चिकित्सा पद्धति इंसान को हर तरह की रोग से बचा सकती है ।
पूणतः डिजिटल इस प्रदर्शनी में विश्व स्वास्थ्य संगठन के छहों क्षेत्रीय कार्यालयों ने भाग लिया है और आयुष मंत्रालय ने भी अपनी उपलब्धियों को दर्शाया है।
विदेशी मेहमान कार्यक्रम को लेकर दिखे खासे उत्साहित
इस शिखर सम्मेलन में आये विदेशी मेहमान भव्य कार्यक्रम को लेकर खासे उत्साहित दिखाई दिए। पारंपरिक चिकित्सा में भारत की पहल की तारीफ करते हुए विदेशी मेहमानों ने कहा कि भारत ने ट्रेडिशनल मेडिसिन को लेकर जो पहल शुरू की है, उसका कारवां इसी तरह आगे बढ़ता रहना चाहिए। यह निश्चित रूप से भारत के लिए गौरव करने वाली बात है जहाँ विदेशी मूल के लोग भारतीय पारंपरिक चिकित्सा की सराहना कर रहे हैं।