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महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रांची में बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण पर क्षेत्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रांची में बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण पर क्षेत्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया
  • PublishedJuly 31, 2023

भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमओडब्ल्यूसीडी) ने 30 जुलाई, 2023 को रांची के सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड के सभागार में बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण पर एक दिवसीय क्षेत्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इसमें हिस्सा लेने वाले चार राज्यों में पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड एवं ओडिशा शामिल थे।

संगोष्ठी में बाल कल्याण समितियों (सीडब्ल्यूसी), किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी), ग्राम बाल संरक्षण समिति (वीसीपीसी) के सदस्यों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 1200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
यह कार्यक्रम बाल संरक्षण, बाल सुरक्षा और बाल कल्याण मुद्दों के बारे में जागरूकता और पहुंच बढ़ाने के लिए देश भर में आयोजित होने वाली क्षेत्रीय संगोष्ठियों की श्रृंखला का हिस्सा है।
संगोष्ठी को महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाई, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो, महिला एवं बाल विकास विभाग के अपर सचिव श्री संजीव कुमार चड्ढा ने संबोधित किया। इस मौके पर झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती काजल यादव भी उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम में किशोर न्याय अधिनियम, नियमों में संशोधन पर ध्यान केन्द्रित किया गया। गोद लेने की प्रक्रियाओं पर इसके प्रभाव को भावी दत्तक माता-पिता द्वारा साझा किए गए अनुभव में रेखांकित किया गया, जिन्हें सितंबर, 2022 में संशोधन के बाद त्वरित समाधान प्राप्त हुआ था।

संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपरा महेन्द्रभाई ने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 को 2021 में संशोधित किया गया था, जिसने देश भर में बाल संरक्षण प्रणालियों को मानकीकृत किया है। इस प्रकार, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जाए और देश के हर कोने में बच्चों के कल्याण के लिए कदम उठाए जाएं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मिशन वात्सल्य योजना के माध्यम से जुबेनाइल जस्टिस अधिनियम ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्य स्तर पर एससीपीएस, एसएआरए, जिला स्तर पर जेजेबी, सीडब्ल्यूसी, डीसीपीयू और एसजेपीयू की वैधानिक संरचनाएं बाल संरक्षण और बाल कल्याण के लिए सुलभ हैं। बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 ने यह सुनिश्चित किया है कि शिक्षा से लेकर मनोरंजन तक विभिन्न क्षेत्रों में बाल अधिकार बच्चों की गरिमा और उनके अधिकारों के सम्मान के उपायों का पालन करें।
बच्चों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए, और उनके स्थायी पुनर्वास में समुदाय को शामिल करते हुए, सरकार ने गैर-संस्थागत देखभाल पर जोर दिया है। यह बच्चे को पारिवारिक वातावरण में बढ़ने और उसकी कठिन परिस्थितियों के आघात और सीमाओं को दूर करने का अवसर प्रदान करता है। केंद्र सरकार प्रति माह प्रति बच्चे चार हजार रुपये फॉस्टर केयर और आफ्टर केयर के रूप में स्पांसर करती है। पिछले साल 62,000 से अधिक बच्चों को इससे लाभान्वित किया गया था
उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को यौन उत्पीड़न तथा उन्हें नुकसान पहुंचाने वाले अपराधों से बचाने के लिए दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम, 2012 से संबंधित मामलों की त्वरित सुनवाई एवं निपटान के लिए 389 विशेष पॉक्सो अदालतों सहित 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) की शुरुआत की गई है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष श्री प्रियांक कानूनगो ने कहा कि जुबेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन के बाद अब बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया आसान हुई है। कोर्ट-कचहरी के झंझट से मुक्त होकर अब जिलाधिकारी के माध्यम से ही बच्चा एडॉप्ट करने की प्रक्रिया की जा सकती है। वर्ष 2014 के बाद से अब तक बाल कल्याण के लिए कई महव्पूर्ण कार्य किए गए हैं।
मिशन वात्सल्य और किशोर न्याय अधिनियम में बदलाव के कारण बाल संरक्षण कार्यकर्ताओं का सम्मान बढ़ा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच के कारण पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन जैसी महत्वाकांक्षी योजना बन पाई। भारत का किशोर न्याय अधिनियम काफी वृहद है, हम सबों को मिलकर इसके लिए धरातल पर काम करनाा है।
उन्होंने कहा कि आज 30 जुलाई है इसी दिन को हम मानव तस्करी के विरोध के दिन के रूप में मनाते हैं। बंगाल, बिहार, ओडिशा और झारखंड के कई जिले मानव तस्करी से ग्रस्त हैं। झारखंड के गुमला, पाकुड़, दुमका, खूंटी आदि जिले के काफी बच्चे हर रोज दिल्ली से रेस्क्यू किए जाते हैं। आज वक्त है कि जो प्लेसमेंट एजेंसियां बहला-फुसला कर मानव तस्करी करती हैं, उन पर नियंत्रण लगाया जाए।

इस कार्यक्रम के दौरान वैसे माता-पिता भी शामिल हुए जिन्होंने हाल ही में हुए परिवर्तनों के कारण गोद लेने की प्रक्रियाओं में हुई आसानी के बारे में अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यक्रम के माध्यम से सफल मिशन वात्सल्य पहलों का प्रचार-प्रसार किया गया।