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अमेरिकी सेब के आयात पर अतिरिक्त जवाबी शुल्क हटाने से घरेलू सेब उत्पादकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा

अमेरिकी सेब के आयात पर अतिरिक्त जवाबी शुल्क हटाने से घरेलू सेब उत्पादकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा
  • PublishedJune 27, 2023

प्रधानमंत्री की संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के दौरान संयुक्त रूप से सूचित किए गए और पारस्परिक सहमति पर आधारित समाधानों के जरिए अमेरिका एवं भारत के बीच छह बकाया विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) विवादों के समाधान के निर्णय के साथ, भारत सेब सहित आठ अमेरिकी उत्पादों पर लगे अतिरिक्त शुल्क को हटा देगा। इस कदम से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले भारतीय इस्पात एवं एल्यूमीनियम के लिए बाजार की सुलभता बहाल हो जाएगी।

इस निर्णय से घरेलू सेब उत्पादकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर कीमतों पर बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए प्रीमियम बाजार खंड में प्रतिस्पर्धा होगी।

इस शुल्क के हटने के बाद अमेरिका के सेब अन्य देशों के सेब के साथ समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेंगे।

इस निर्णय से यह सुनिश्चित होगा कि केवल प्रीमियम गुणवत्ता वाले सेब ही आयात किए जा सकेंगे, जिनके लिए एक विशिष्ट बाजार खंड और विशिष्ट मांग उपलब्ध है।

इस्पात एवं एल्यूमीनियम के कुछ उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने के संयुक्त राज्य अमेरिका के कदम के जवाब में 2019 में अमेरिकी सेब पर अतिरिक्त 20 प्रतिशत शुल्क लगाया गया था। सेब पर मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) शुल्क में कोई कटौती नहीं की गई है, जो अभी भी अमेरिका सहित सभी आयातित सेब पर 50 प्रतिशत की दर से लागू है।

अमेरिकी सेब पर इन अतिरिक्त शुल्कों के लागू होने के बाद से पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान दुनिया से सेब का आयात 239 – 305 मिलियन अमेरिकी डॉलर (2021-22 को छोड़कर जब यह 385 मिलियन अमेरिकी डॉलर था) की सीमा के बीच स्थिर रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका से सेब का आयात वित्तीय वर्ष 2018-19 में 145 मिलियन अमेरिकी डॉलर (127,908 टन) से घटकर वित्तीय वर्ष 2022-23 में मात्र 5.27 मिलियन अमेरिकी डॉलर (4,486 टन) का रह गया है।

अमेरिकी सेब पर अतिरिक्त जवाबी शुल्क लगाए के कारण बाजार में अमेरिकी सेब का स्थान अन्य देशों के सेब ने ले लिया। यह तथ्य अमेरिका के बजाय अन्य देशों से सेब का आयात वित्तीय वर्ष 2018-19 में 160 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 290 मिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाने में परिलक्षित होता है। तुर्की, इटली, चिली, ईरान और न्यूजीलैंड भारत को सेब का निर्यात करने वाले अन्य शीर्ष देश हैं। इन्हीं देशों ने बाजार में अमेरिका का स्थान ले लिया।

इसके अलावा 8 मई 2023 को, डीजीएफटी ने अधिसूचना 5/2023 के माध्यम से भूटान को छोड़कर सभी देशों के लिए 50 रुपये प्रति किलोग्राम का एमआईपी (न्यूनतम आयात मूल्य) लागू करके आईटीसी (एचएस) 08081000 के तहत सेब के लिए आयात नीति में संशोधन किया। इसलिए, यह एमआईपी अमेरिका के साथ-साथ अन्य देशों (भूटान को छोड़कर) के सेब पर भी लागू होगा और इस प्रकार बाजार को पाटने को किसी भी कदम को रोका जा सकेगा और घरेलू उत्पादकों को वायदा मूल्य निर्धारण से बचाया जा सकेगा।

अमेरिकी सेब पर अतिरिक्त शुल्क लागू होने के बाद, जैसा कि ऊपर बताया गया है, प्रीमियम बाजार खंड में अमेरिका का स्थान तुर्की, ब्राजील, न्यूजीलैंड, इटली आदि देशों ने ले लिया।