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डॉ. मनसुख मांडविया ने विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक का अनावरण किया

डॉ. मनसुख मांडविया ने विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक का अनावरण किया
  • PublishedJune 8, 2023

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के उपलक्ष्य में बुधवार 7 जून, 2023 को विज्ञान भवन में एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित करके खाद्य सुरक्षा और नवाचार के प्रति अपने समर्पण की पुष्टि की। इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने भाग लिया। कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने भी भाग लिया।

कार्यक्रम में डॉ. मनसुख मांडविया ने 5वें राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक (एसएफएसआई) का अनावरण किया, जो खाद्य सुरक्षा के छह अलग-अलग पहलुओं में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। इस इंडेक्स का विमोचन इंटरएक्टिव सत्र के साथ हुआ। 2018-19 में लॉन्च किए गए एसएफएसआई का उद्देश्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना और पूरे देश में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में सकारात्मक बदलाव को उत्प्रेरित कर अंततः सभी निवासियों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन का प्रावधान सुनिश्चित करना है।

डॉ. मनसुख मांडविया ने वर्ष 2022-23 के लिए उनकी रैंकिंग के आधार पर विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की उपलब्धियों के लिए विजेताओं को सम्मानित किया। बड़े राज्यों में, केरल ने शीर्ष रैंकिंग हासिल की, उसके बाद पंजाब और तमिलनाडु, छोटे राज्यों में गोवा ने शीर्ष पर रहा और मणिपुर तथा सिक्किम क्रमश इसके बाद के क्रम में रहे। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेशों के बीच जम्मू और कश्मीर, दिल्ली और चंडीगढ़ ने क्रमशःपहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। डॉ. मनसुख मांडविया ने उन राज्यों की भी सराहना की जिन्होंने अपने राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक स्कोर में महत्वपूर्ण सुधार का प्रदर्शन किया।

इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जिलों के लिए ईट राइट चैलेंज के दूसरे चरण के विजेताओं को भी सम्मानित किया। इन जिलों ने खाद्य पर्यावरण में सुधार और खाद्य सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए योजनाओं को लागू करने में उत्कृष्ट प्रयासों का प्रदर्शन किया। असाधारण परिणाम वाले अधिकांश जिले उल्लेखनीय रूप से तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित थे। भाग लेने वाले 260 जिलों में से 31 ने सफलतापूर्वक 75% या उससे अधिक अंक प्राप्त किए।

अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष को मनाने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने देश भर में ईट राइट मिलेट्स मेले को आयोजित करने की परिकल्पना की है। ये मेले देश में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के साथ-साथ पोषक अनाज के व्यंजनों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच के रूप में काम करते हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किए गए उत्कृष्ट प्रयासों को मान्यता देने के लिए उन राज्यों को प्रशंसा प्रमाण पत्र दिए गए, जिन्होंने अपने जिलों में सफलतापूर्वक ईट राइट मिलेट्स मेला आयोजित किया।

डॉ. मनसुख मांडविया ने घोषणा की कि देश भर में खाद्य गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण अगले 3 वर्षों में 25 लाख खाद्य व्यवसाय संचालकों को प्रशिक्षित करेगा। उन्होंने देश भर में खाद्य सुरक्षा, स्वच्छता और पोषण के लिए गुणवत्ता बेंचमार्क को पूरा करने वाले 100 फूड स्ट्रीट स्थापित करने की भी घोषणा की। डॉ. मांडविया ने टिप्पणी की, “खाद्य गुणवत्ता तंदुरूस्ती का एक हिस्सा है।”

डॉ. मनसुख मांडविया ने वैज्ञानिक समिति और वैज्ञानिक पैनल के सदस्यों द्वारा किए गए अमूल्य योगदान की हार्दिक सराहना की। उन्होंने खाद्य सुरक्षा से संबंधित साक्ष्य-आधारित नीतियों और विनियमों को आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। इस संबंध में उन्होंने कहा, “इन सम्मानित व्यवसायिकों की विशेषज्ञता और सिफारिशें उभरती चुनौतियों का समाधान करने और पूरे देश में खाद्य सुरक्षा के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने में सहायक रही हैं। यह सभा वैज्ञानिक विशेषज्ञों को खाद्य सुरक्षा नियमों के साथ-साथ मानक-निर्धारण प्रक्रिया के बारे में विचारशील चर्चाओं और विचार-विमर्श में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान करती है। देश के लिए खाद्य सुरक्षा मानकों को निर्धारित करने में मंत्री ने कहा कि हमें आहार, जीवन शैली, मौसम अनुसार खाद्य उत्पादों के संदर्भ में अपनी परंपराओं और विरासत को देखना चाहिए ताकि हम दुनिया में अपने स्वयं के खाद्य मानकों को निर्धारित कर सकें।

 

डॉ. मांडविया ने एफएसएसएआई द्वारा रैपिड फूड टेस्टिंग किट (आरएएफटी) पोर्टल सहित कई अभिनव पहलों का भी अनावरण किया। इस पोर्टल का उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए आरएएफटी योजना के संचालन को सुव्यवस्थित करना है। आवेदक अब अनुमोदन के लिए आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और आवेदन प्रक्रिया से लेकर प्रमाणपत्र जारी करने और नवीनीकरण तक सभी चरण इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जा सकते हैं। यह डिजिटलीकरण आरएएफटी योजना जिसे 2019 में खाद्य परीक्षण, स्क्रीनिंग और निगरानी उद्देश्यों के लिए उन्नत तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लॉन्च किया गया था, के पेपरलेस संचालन को बढ़ावा देता है।

आयोजन के हिस्से के रूप में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राष्ट्रव्यापी खाद्य सुरक्षा प्रथाओं को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए तीन मैनुअल जारी किए। इन नियमावली में खाद्य विश्लेषण के तरीकों का मैनुअल – मछली और मछली उत्पाद, खाद्य विश्लेषण के तरीकों का मैनुअल – अनाज और अनाज उत्पाद – दूसरा संस्करण, और खाद्य पदार्थों के विश्लेषण के तरीकों का मैनुअल – पेय पदार्थ: चाय, कॉफी और चिकोरी शामिल हैं।

ये मैनुअल खाद्य विश्लेषण में नवीनतम तकनीकी प्रगति को एकसाथ करने के लिए तैयार किए गए हैं, जिससे खाद्य उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। खाद्य व्यवसायों, नियामक अधिकारियों और उपभोक्ताओं सहित खाद्य उद्योग में हितधारक इन मैनुअल में प्रदान किए गए मूल्यवान मार्गदर्शन से लाभान्वित होंगे I

प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा, ”पुरस्कार केवल प्रमाण-पत्र तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि इसका व्यापक प्रभाव है। जब आप कुछ बड़ा करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो यह आप पर अधिक जिम्मेदारी भी डालता है।” खाद्य सुरक्षा के महत्व पर उन्होंने कहा, “कोई भी स्थान कितना भी दूरस्थ क्यों न हो, फास्ट फूड स्टालों का दावा करता है, इसलिए हमारे नागरिकों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा मानकों की गारंटी देना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।”

इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया, जिनमें, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय कीसंयुक्त सचिवआराधना पटनायक, एफएसएसएआई के सीईओ श्री जी. कमला वर्धन राव, एफएसएसएआई के सलाहकार (विज्ञान और मानक, कोडेक्स) डॉ. हरिंदर सिंह ओबेरॉय, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकर की वैज्ञानिक समिति और वैज्ञानिक पैनल के सदस्य, राज्य खाद्य सुरक्षा विभागों और नगर निगमों/स्मार्ट सिटी कार्यालयों के वरिष्ठ अधिकारी, खाद्य और पोषण, विकास एजेंसियों, खाद्य व्यवसायों के प्रोफेशनल और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।