केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने आज दिल्ली में हिंदी सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक आज नई दिल्ली में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने की। हिंदी सलाहकार समिति केंद्र सरकार के प्रत्येक मंत्रालय में हिंदी में सरकारी कामकाज को बढ़ावा देने के लिए गठित एक समिति है, जिसमें एक वर्ष में कम से कम दो बैठकें आयोजित करने का प्रावधान है।
इस अवसर पर बोलते हुए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ मनसुख मांडविया ने कहा कि हमारे संविधान में राजभाषा को अग्रणी बनाने के महत्वपूर्ण कार्य हो रहे हैं और देश में राष्ट्रीय व्यवहार हिंदी में हो इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। भारत एक बहुत बड़ा देश है, बड़ी विशाल जनसंख्या है विविध प्रांत है। और विविध प्रांतो में अलग-अलग भाषा है, ज्यादातर राज्यों में अपनी भाषाएं हैं, ऐसी स्थिति में देश का काम एक ही भाषा में चले इसलिए संविधान सभा ने राजभाषा को अंगीकार कर देश में हिंदी को राजभाषा का दर्ज़ा दिया था।
डॉ. मांडविया ने कहा कि महात्मा गांधी जी ने सही बात कही थी राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है, इसके लिए महात्मा गांधी ने जो सपना देखा था सचमुच अगर इस विचार को हम आगे बढ़ा सके तो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना पूरा कर सकते हैं। “आप अपनी क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग करें पर राजभाषा को भी सम्मान दें। सरकारी कामकाज में हम सभी राजभाषा का प्रयोग करें”, उन्होंने कहा।
केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री ने कहा कि राजभाषा सलाहकार समिति की बैठक निरंतर होनी चाहिएI साथ ही हम यह भी संकल्प लें कि हम सभी राजभाषा का प्रयोग करें और इसको बढ़ावा दें ।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के उपक्रमों में हिंदी में निरंतर कार्य के लिए अधिकारियों को पुरस्कृत किया गया।
बैठक में लोकसभा सदस्य भर्तृहरि महताब, केंद्रीय फार्मा सचिव एस अपर्णा, रसायन और पेट्रोकेमिकल सचिव अरुण भरोका एवं अतिरिक्त सचिव संजय रस्तोगी उपस्थित रहे। राजभाषा सलाहकार समिति के सदस्यों में हिंदी के विद्वान गैर-सरकारी सदस्य डॉ. दुर्गादत्त ओझा, डॉ. अहिल्या मिश्र, श्री पी एल कोठारी आदि सदस्य शामिल हुए।