नेट-जीरो फ्यूचर प्रूफ बिल्डिंग 2022-2023 के लिए सोलर डेकाथलॉन इंडिया डिजाइन चैलेंज के विजेताओं की घोषणा
चुनौती के तीसरे संस्करण में 12 टीमों ने विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार जीते, जिसमें 1780 छात्रों और 126 शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी देखी गई।
प्रस्तुति के अंतिम दिन छात्र टीमों ने 36 वास्तविक भवन परियोजनाओं (रियल बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स) के लिए सकल – शून्य (नेट-जीरो) समाधान प्रस्तुत किएI
मैसूर में इंफोसिस के परिसर में आयोजित इस चुनौती के तीसरे संस्करण में कुल 12 टीमों ने विभिन्न श्रेणियों में नेट-जीरो फ्यूचर प्रूफ बिल्डिंग के लिए सोलर डेकाथलॉन इंडिया (एसडीआई) डिजाइन चैलेंज जीता। अपने डिवीजनों में शीर्ष पर रहने वाली छह टीमों ने भवन निर्माता (रियल एस्टेट) संगठनों और मीडिया के दिग्गजों वाले एक विस्तृत निर्णायक मंडल (ग्रैंड जूरी) के सामने अपने-अपने समाधान प्रस्तुत किए और विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नागपुर की टीम वीओ ने सबसे अधिक सम्भावनाशील (प्रासंगिक) तथा निवेश-योग्य डिजाइन के लिए प्रतिष्ठित ग्रैंड पुरस्कार जीता।
36 अंतिम रूप से वास्तविक भवन परियोजनाओं (फाइनल रियल बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स) को अंततोगत्वा 650 से अधिक उपस्थित लोगों के बीच प्रदर्शित किया गया था। आज 28 मई को, सोलर डेकाथलॉन इंडिया ने एक प्रशिक्षु (इंटर्नशिप) मेले का आयोजन किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन और सकल-शून्य भवन (नेट-जीरो बिल्डिंग) पर काम करने वाले प्रमुख संगठन सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली दिमागों की खोज करते हैं।
पुरस्कारों की घोषणा के दौरान, सौर (सोलर) डेकाथलॉन इंडिया के निदेशक, प्रसाद वैद्य ने कहा कि इनमें से कुछ छात्र टीमों ने ऐसे सकल-शून्य भवन (नेट-ज़ीरो बिल्डिंग) डिज़ाइन विकसित किए हैं जो भारत में सर्वश्रेष्ठ पेशेवर डिज़ाइन टीमों के काम के बराबर हैं। 9 महीनों के भीतर, ये छात्र बहुत तेजी से सीखने की अवस्था प्राप्त कर आगे बढ़ सकते हैं। यदि छात्र इसे इतनी अच्छी तरह से कर सकते हैं तो अब यही वह समय है कि भवन स्वामी और निर्माता (डेवेलपर्स) अपने द्वारा निवेश की जाने वाली प्रत्येक भवन परियोजना पर इस गुणवत्ता वाले कार्य की मांग करना शुरू कर दें।
“सोलर डेकाथलॉन इंडिया एक अभिनव मंच है जो युवाओं को कुछ अलग हटकर (आउट ऑफ़ द बॉक्स) सोचने और नेट-शून्य सर्वश्रेष्ठ डिजाइन प्रस्तुत करने के लिए अपनी सुगमता का उपयोग करने के लिए चुनौती देकर स्वस्थ प्रतिस्पर्धी भावना को प्रोत्साहित एवं सृजित करता है।” इंडो-यूएस साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) की अंतरिम निदेशक सुश्री चैताली भट्टाचार्य ने भारत में भवन निर्माण क्षेत्र के लिए अभिनव, शुद्ध-शून्य ऊर्जा- जल एवं जलवायु अनुकूल समाधान विकसित करने के उद्देश्य से स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए अभिनव, शुद्ध-शून्य ऊर्जा विकसित करने के लिए वार्षिक चुनौती की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह देखना उत्साहजनक था कि कैसे वैश्विक जलवायु परिवर्तन चुनौतियों के लिए अंततः आविष्कारशील और कल्पनाशील समाधान प्रस्तुत किए गए थे।
सोलर डेकाथलॉन इंडिया हर वर्ष इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स (आईआईएचएस) और एलायंस फॉर एन एनर्जी-एफिशिएंट इकोनॉमी (एईईई) द्वारा इंडो-यूएस साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) के तत्वावधान में आयोजित किया जाता है, जो संयुक्त रूप से दोनों देशों की सरकारों द्वारा वित्त पोषित है तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और अमेरिकी राज्य विभाग दोनों पक्षों में इनके संबंधित नोडल विभाग हैं।
इस साल यह चुनौती नौ महीने तक चली और विजेताओं की घोषणा नवप्रवर्तक तथा सामाजिक उद्यमी अनीश मालपानी की उपस्थिति में की गई, जिन्होंने मुख्य भाषण भी दिया।
वास्तुविद परिषद (काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर -सीओए) ने एईईई के साथ एक ज्ञान भागीदार के रूप में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो अपनी पहुंच (आउटरीच) का विस्तार करने और भारत में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नेताओं की अगली पीढ़ी का निर्माण करने के उद्देश्य से सोलर डेकाथलॉन इंडिया के प्रभाव का सह-आयोजन करता है। इससे वास्तुकला शिक्षण संस्थानों और छात्रों को प्रतियोगिता में भाग लेने में सुविधा होने की सम्भावना बढती है।
“जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के अंतरसरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी आकलन रिपोर्ट ( आईपीसीसी एआर6 2023) बढ़ते वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) को सीमित करने के लिए शहरी परिवर्तन के अनुकूल सकल-शून्य (नेट-शून्य) भवनों के महत्व पर जोर देती है। इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन सेटलमेंट्स (आईआईएचएस) के निदेशक और रिपोर्ट के सह-लेखक अरोमर रेवी, ने विस्तार से बताया ”सोलर डेकाथलॉन इंडिया के अंतिम चयनित विजेताओं ने 1.5oसी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारतीय शहरों को बदलने के लिए नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों, टिकाऊ डिजाइन और सामुदायिक जुड़ाव को एकीकृत करने वाले अभिनव समाधानों का प्रस्ताव दिया है।”
एईईई के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक सतीश कुमार ने जोर देकर कहा “डिजाइन और निर्माण प्रथाओं में एक आदर्श बदलाव लाना एक जटिल और समय लेने वाला कार्य है। भवनों के अलग-अलग प्रारूपों (टाइपोलॉजी) में नेट-जीरो बिल्डिंग के लिए सोलर डिकैथलेट्स के इस सत्र (सीजन) से उभरे विचारों और डिजाइनों को देखना रोमांचकारी है। जिस नवीनता के साथ वे सोलर डेकाथलॉन इंडिया के माध्यम से प्रस्तुत किए गए विभिन्न उपकरणों और कौशलों के साथ जुड़ते हैं, उनमें भवन निर्माण क्षेत्र के लिए परिवर्तनकारी क्षमता है।”
यह तीन दिवसीय अंतिम प्रतियोगिता (फाइनल) कार्बन-तटस्थ समारोह के रूप में आयोजित की गई थी। विजेताओं को प्रदान की जाने वाली एसडीआई ट्राफियां स्वयं कार्बन से मुक्त (निगेटिव) थीं, जो यह बतातर हैं कि जलवायु परिवर्तन से होने वाली क्षति का रचनात्मकता और दृढ़ता के साथ कैसे समाधान निकला जा सकता है।
2023-24 की चुनौती में 30 से अधिक संगठनों ने चुनौती स्वीकारने वाले प्रतिभागियों के लिए विविधतापूर्ण अवसर प्रस्तुत किए।