डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि स्टार्टअप्स के पोषण और प्रगति की निगरानी करने के लिए जल्दी से एक तंत्र विकसित करने की मांग की जा रही है
केन्द्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने स्टार्टअप्स के पोषण और प्रगति की निगरानी करने के लिए एक तंत्र की स्थापना का प्रस्ताव किया है क्योंकि स्टार्टअप्स की संख्या बढ़कर एक लाख से अधिक हो गई है।
ऐसा तंत्र विकसित करने की मांग की जा रही है, जो इन स्टार्टअप्स की प्रगति की नजदीकी निगरानी करेगा और यह देखेगा कि इन्हें किस प्रकार कायम रखा जा सके और वे पिछड़ न जाएं। यह कदम विशेष तौर पर उन स्टार्टअप्स के लिए उठाया जा रहा है जिन्हें सरकार से तकनीकी और वित्तीय सहायता प्राप्त हुई है। उन्होंने ऐसा आज नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह प्रदर्शनी के समापन समारोह और पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता से लेकर तीसरी पीढ़ी के सत्ता में आने के बाद, समय के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी से जैव प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान में काफी बदलाव आया है और समुद्र विज्ञान में नए अवसरों का सृजन हुआ है।
तीसरी पीढ़ी सबसे अधिक भाग्यशाली है क्योंकि वे अब ‘अपनी आकांक्षाओं के कैदी’ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह सबसे अच्छा समय है जब भारत दौड़ में सबसे आगे है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में नवाचार की ओर देख रहा है।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें स्टार्टअप्स से जुड़े मिथकों को दूर करना चाहिए जिनमें से एक कारक आयु संबंधी है, मैंने एक वैज्ञानिक को सेवानिवृत्ति के बाद भी स्टार्टअप स्थापित करते देखा है; दूसरा कारक उच्च योग्यता है, आपको बस एक ऐसा नवप्रवर्तक होने की आवश्यकता है, जिसमें रचनात्मकता के लिए एक अंतर्निहित अन्वेषण इच्छा हो।
उन्होंने ऐसी क्लस्टर परियोजनाओं का प्रस्ताव किया जो विषय आधारित परियोजनाएं हैं, और कहा कि यह प्रक्रिया अगले सप्ताह शुरू हो जाएगी। डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह प्रदर्शनी संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण का एक अच्छा उदाहरण है, जैसा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्धारित किया गया है जिसमें 12 से अधिक केन्द्रीय मंत्रालय और विभाग एक भव्य शो का आयोजन करने के लिए एकत्रित हुए हैं।
इस अवसर पर भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अजय कुमार सूद ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस और सप्ताह की पद्धति पर स्टार्टअप दिवस और सप्ताह मनाया जाना चाहिए।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. श्रीवारी चंद्रशेखर ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदर्शनी के दौरान एक बात सामने आई है कि प्रत्येक स्टार्टअप अपने सतत विकास के प्रति बहुत सचेत है और अमृतकाल में हम सभी ग्रीनहाउस उत्सर्जन को रोकने और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने की आशा करते हैं।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने कहा कि प्रौद्योगिकी का भविष्य जैव प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा ही संचालित होगा।
डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत; सचिव (पृथ्वी विज्ञान), डॉ. एम रामचंद्रन; सचिव, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड, डॉ. राजेश कुमार पाठक; और सीईओ, अटल इनोवेशन मिशन, डॉ. चिंतन वैष्णव ने भी उपस्थितजनों को संबोधित किया।
इस अवसर पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार प्रदान किए। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी विकास पुरस्कारों के लिए पांच श्रेणियों – मुख्य, एमएसएमई, स्टार्टअप, ट्रांसलेशनल रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर के लिए नवीन स्वदेशी प्रौद्योगिकी के सफल व्यवसायीकरण, अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटरों में शामिल वैज्ञानिकों से आवेदन मांगे थे। इस वर्ष दो स्तरीय कठिन मूल्यांकन प्रक्रिया के बाद कुल 11 विजेताओं का चयन किया गया, जिसमें प्रख्यात वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के पैनलिस्ट शामिल थे।
प्रगति मैदान में आयोजित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह समारोह का उद्घाटन 11 मई 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था। भारत सरकार के 12 मंत्रालयों के प्रतिभागियों/प्रदर्शकों ने यहां वैज्ञानिक नवाचारों की विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की थी।
इस वर्ष के आयोजन का मुख्य विषय था ‘स्कूल टू स्टार्ट – अप – इग्नाइटिंग यंग माइंड्स टू इनोवेट’, जिसमें पूरे देश के स्कूलों के छात्र अटल टिंकरिंग लैब्स (भारत सरकार के अटल इनोवेशन मिशन के तहत) में शामिल हुए और प्रौद्योगिकी नवाचार का प्रदर्शन किया।
इस आयोजन से प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स और एसएमई को सहायता प्रदान करने के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं और पहलों के बारे में जागरूकता पैदा हुई है, जिससे देश भर के इच्छुक उद्यमियों और तकनीकी उत्साही लोगों तक पहुंचने का भी प्रयास हुआ है। इस आयोजन से प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम में विभिन्न हितधारकों के बीच लगातार बढ़ते सहयोग और भागीदारी को बढ़ावा मिला है। यह आयोजन अपने विचारों का आदान-प्रदान करने और संभावनाओं को तलाशने के लिए सभी हितधारकों को एक मंच पर लाया है।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी सप्ताह ने तकनीकी उत्कृष्टता की दिशा में अगले 25 वर्षों के लिए उचित लक्ष्य निर्धारित किए हैं। जैसे ही भारत ने अमृत काल में प्रवेश किया है, एक मजबूत नवाचार इकोसिस्टम की स्थापना पर ध्यान केन्द्रित किया गया है जो अगली पीढ़ी के नवाचारों और उद्यमियों को पोषण और सहायता प्रदान करेगा। हमें अनुसंधान और विकास में निवेश करने, अपनी बौद्धिक संपदा व्यवस्था को मजबूत बनाने और नवाचार तथा विकास को बढ़ावा देने वाले एक सक्षम नीति माहौल की स्थापना करने की जरूरत है। उचित सहायता और प्रोत्साहन के साथ भारत वास्तव में विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी इकोसिस्टम बनने के लिए प्रयास कर रहा है ताकि वे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ के साथ मुकाबला कर सके।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का समारोह वर्ष 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा ऐसे भारतीय वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों को सम्मानित करने के लिए शुरू किया गया था, जिन्होंने भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए काम किया है और मई 1998 में पोखरण परीक्षण के सफल आयोजन को सुनिश्चित किया था। तभी से, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस हर वर्ष 11 मई को मनाया जाता है।