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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्थायी स्टार्ट-अप्स के लिए सहभागिता में ‘पीपीपी +पीपीपी’ मॉडल का प्रस्ताव रखा ; साथ ही उद्योग को आगे बढाने वाले कार्यक्रमों को अपनाने के महत्व को रेखांकित किया

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्थायी स्टार्ट-अप्स के लिए सहभागिता में ‘पीपीपी +पीपीपी’ मॉडल का प्रस्ताव रखा ; साथ ही उद्योग को आगे बढाने वाले कार्यक्रमों को अपनाने के महत्व को रेखांकित किया
  • PublishedFebruary 21, 2023

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी त्तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान,प्रधानमन्त्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने टिकाऊ स्टार्ट-अप्स और सतत विज्ञान उद्यमों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहभागिताओं में “सार्वजनिक निजी भागीदारी+सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी+पीपीपी)” मॉडल को प्रस्तावित किया है।

नीति आयोग में अटल नवाचार मिशन (एआईएम) की बैठक में बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने ऐसे कार्यक्रमों को शुरू करने के महत्व को रेखांकित किया, जो उद्योग को गति बढ़ाने जैसी गतिविधियों में अग्रिम रूप से संलग्न करते हैं और जिनसे उद्योग उस क्षेत्र का आंकलन कर सकता है और जो हमें यह बता सकता है कि अंतराल कितना और कहां पर हैं और तब हम किसी स्टार्ट-अप को इसमें शामिल करने के लिए मिलकर काम करते हैं, और भारतीय नवाचारों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांड करने का ऐसा कार्यक्रम महत्वपूर्ण है।

 

मंत्री महोदय ने अपनी बात को आगे बढाते हुए कहा कि दोनों पक्षों की सहयोगी सरकारें, स्थायी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने संबंधित निजी क्षेत्रों को शामिल कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि इसे बनाए रखने के लिए उत्पादन का व्यावसायीकरण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोई भी सफल और अनुकरणीय मॉडल हमें आगे बढ़ने में सहायता कर सकता है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू, क्षेत्रीय भाषाओँ में नवाचार का कार्यक्रम है क्योंकि इस देश में कई रचनात्मक और नवोन्मेषी लोगों को भाषा की बाधा के कारण आगे बढने का अवसर नहीं मिलता है और इसलिए अंग्रेजी और हिंदी से ऊपर उठकर, हम क्षेत्रीय भाषाओं में भी कार्यक्रम प्रस्तुत कर सकते हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने स्टार्ट-अप्स और नवोन्मेष्कों प्रयासों के प्रलेखन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि कई वैज्ञानिक जो अब उद्यमी बनने के लिए आगे बढ़े हैं वे सफल या असफल हो सकते हैं परन्तु हमारे पास उनके इन प्रयासों से सीख लेने का कोई तरीका भी हमारे पास नहीं है।

मंत्री महोदय ने देश में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक, निजी क्षेत्र, गैर सरकारी संगठनों, शिक्षाविदों और संस्थानों के साथ परामर्श और साझेदारी का भी आह्वान किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात की सराहना की कि अटल नवाचार मिशन ने स्कूलों में समस्या-समाधान की नवीन मानसिकता का निर्माण सुनिश्चित करने और विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, निजी एवं सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यम क्षेत्र में उद्यमिता का एक इको सिस्टम बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने रेखांकित किया कि टीयर 2, टीयर 3 शहरों, आकांक्षी जिलों, जनजातीय, पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों सहित भारत के अब तक असेवित/अल्प-सेवित क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचार के लाभों को बढ़ावा देने के लिए एआईएम अब एक अद्वितीय साझेदारी संचालित मॉडल के साथ अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र (एसीआईसी) स्थापित कर रहा है जिसमें एआईएम किसी भी एसीआईसी को 2.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान देगा, बशर्ते कि भागीदार समान या उससे अधिक बराबरी वाले वित्त पोषण को सिद्ध करे। उन्होंने कहा कि अब तक देश भर में 14 एसीआईसी स्टार्ट-अप्स स्थापित किए जा चुके हैं जो आगे 10 अन्य को इन्क्यूबेट कर रहे हैं तथा मार्च 2023 तक 50+एसीआईसी स्थापित करने का लक्ष्य भी प्राप्त कर लिया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात की सराहना की कि कि देश भर के 700 जिलों के स्कूलों में 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स की स्थापना की जा रही है, जिसमें से 10,000 अभी चल रही हैं और 75 लाख से अधिक छात्रों की एटीएलएस तक पहुंच हो चुकी है। मंत्री महोदय ने आगे बताया कि एआईएम जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, उत्तर-पूर्वी राज्यों, आकांक्षी जिलों, हिमालयी और द्वीपीय क्षेत्रों में 10,000 नए एटीएलएस की स्थापना भी करेगि।

 

अटल न्यू इंडिया चैलेंज कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसका उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता की क्षेत्रीय चुनौतियों को हल करने वाले प्रौद्योगिकी आधारित नवाचारों का अवशोषण, चयन, समर्थन और पोषण करना है। एएनआईसी की परिकल्पना भारत में वर्तमान प्रौद्योगिकियों से उत्पाद बनाने में सहायता ऐसी क्षमता को दो गुना करना है जो राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता (उत्पादीकरण) की समस्याओं को हल करने के साथ ही नए समाधानों को बाजार दिलवाने और शुरुआती ग्राहकों (व्यावसायीकरण) को खोजने में मदद करती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि सभी पहलों को सफल बनाने के लिए एआईएम ने सबसे बड़ी संरक्षक सहभागिता एवं प्रबन्धन कार्यक्रम “मेंटर इंडिया-द मेंटर्स ऑफ चेंज” प्रारम्भ किया है। अब तक अटल नवाचार मिशन के पास एआईएम आईएनएनओएनईटी पोर्टल पर राष्ट्रव्यापी 10000+ से अधिक पंजीकरण हैं, जिनमें से 4000+को एटीएलएस और एआईसीएस को आवंटित किया गया है।