पिछले 9 वर्षों में देश के इनलैंड फिशरीज सेक्टर में हुई तीन गुना वृद्धि
इस ग्लोबल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर केन्द्रीय मत्स्योद्योग मंत्री परशोत्तम रूपाला ने कहा कि समुद्र तट और मत्स्योद्योग क्षेत्र में विकास की सर्वाधिक संभावनाओं वाले गुजरात राज्य में पहली बार इस प्रकार की ग्लोबल कॉन्फ्रेंस का आयोजन होना हमारा सौभाग्य है। देश में मत्स्योद्योग क्षेत्र में विकास को वेगवान बनाने के उद्देश्य के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार पृथक मत्स्योद्योग विभाग शुरू कराया था। उन्होंने कहा कि आज विश्व में फिश प्रोडक्शन में हमारा देश तीसरे स्थान पर है।
पिछले 9 वर्षों में देश के इनलैंड फिशरीज सेक्टर में तीन गुना वृद्धि हुई है। केवल इतना ही नहीं आज विश्व में फिश प्रोडक्शन में हमारा देश तीसरे स्थान पर है। यह बात ‘वर्ल्ड फिशरीज डे’ पर आयोजित ‘ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस इंडिया 2023’ के उद्घाटन पर केन्द्रीय मत्स्योद्योग, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने कही।
ज्ञात हो, केन्द्रीय मंत्री परशोत्तम रूपाला और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंगलवार को अहमदाबाद के गुजरात साइंस सिटी में ‘वर्ल्ड फिशरीज डे’ के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय ‘ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस इंडिया 2023’ का उद्घाटन किया। इस अवसर एक एग्जीबिशन पवेलियन का भी उद्घाटन किया गया।
विश्व में फिश प्रोडक्शन में भारत तीसरे स्थान पर
इस ग्लोबल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर केन्द्रीय मत्स्योद्योग मंत्री परशोत्तम रूपाला ने कहा कि समुद्र तट और मत्स्योद्योग क्षेत्र में विकास की सर्वाधिक संभावनाओं वाले गुजरात राज्य में पहली बार इस प्रकार की ग्लोबल कॉन्फ्रेंस का आयोजन होना हमारा सौभाग्य है। देश में मत्स्योद्योग क्षेत्र में विकास को वेगवान बनाने के उद्देश्य के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार पृथक मत्स्योद्योग विभाग शुरू कराया था। उन्होंने कहा कि आज विश्व में फिश प्रोडक्शन में हमारा देश तीसरे स्थान पर है।
इस सेक्टर में देशभर में बढ़ी रुचि
ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस इंडिया 2023 की विभिन्न परियोजनाओं की चर्चा करते हुए रूपाला ने कहा कि यह विशिष्ट कॉन्फ्रेंस मत्स्योद्योग से जुड़े उद्योग-व्यवसायियों, मछुआरों, एक्सपोर्ट्स, प्रोसेसर्स, पॉलिसी मेकर्स, लॉजिस्टिक क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों को एक विशिष्ट प्लेटफॉर्म प्रदान करेगी और सभी को एक मंच पर लाएगी। इस दो दिवसीय ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में इंटरनेशनल डेलीगेट्स सहित इस क्षेत्र से जुड़े विभिन्न स्टेक होल्डर्स अनेक विविधतापूर्ण सेमिनार्स, डिस्कशन, कॉन्फ्रेंस तथा डेलीबरेशन में सहभागी होंगे और मत्स्योद्योग के प्रति वैश्विक चुनौतियों के विषय में सकारात्मक विचार-विमर्श करेंगे। दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश से मत्स्योद्योग तथा मत्स्य पालन से जुड़े करीब 5000 से अधिक लोग हिस्सा लेंगे।
उन्होंने बताया कि आज गुजरात ने घोल मछली को अपनी स्टेट फिश घोषित किया है। देशभर में विभिन्न राज्यों ने हाल के समय में अपनी स्टेट फिश घोषित की हैं, जो सिद्ध करता है कि इस सेक्टर में देशभर में रुचि बढ़ी है। पिछले 9 वर्षों में देश के इनलैंड फिशरीज सेक्टर में तीन गुना वृद्धि हुई है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इसरो द्वारा निर्मित ट्रांसपॉण्डर्स समुद्री मछुआरों को समुद्र में लोकेशन खोजने तथा फिश कैच एरियास (अधिक मछली वाले क्षेत्रों) की पहचान करने में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे, जो उनका महत्वपूर्ण समय बचाएंगे। इसके अलावा, समुद्री मछुवारे इन ट्रांसपॉण्डर्स की सहायता से अपने परिजनों, कोस्ट गार्ड तथा विभिन्न ऑथोरिटीज के भी संपर्क में रह सकेंगे।
गुजरात से 5000 करोड़ से अधिक मूल्य के मत्स्य उत्पादों का निर्यात
वहीं ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि गुजरात राज्य देश के सबसे लम्बे 1600 किलोमीटर समुद्री तट का स्वामी है। गुजरात राज्य देश में मरीन फिश प्रोडक्शन में सबसे आगे है तथा 5000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के मत्स्य उत्पादों का निर्यात भी करता है। देश के फिश एक्सपोर्ट में राज्य का लगभग 17 प्रतिशत योगदान है। भारत आज विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी आर्थिक महासत्ता बना है। पिछले 9 वर्षों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार तथा अर्थव्यवस्था में ‘ब्लू इकोनॉमी’ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से प्रधानमंत्री के विज़नरी नेतृत्व के परिणामस्वरूप मत्स्योद्योग एवं मत्स्य पालन क्षेत्र में विकास के माध्यम से सही अर्थ में ब्लू रिवॉल्यूशन आया है। इस अवसर पर उन्होंने राज्य में संचालित मत्स्य विभाग से संबंधित योजनाओं का भी जिक्र किया।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि देश है। भारत में नीली क्रांति ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के महत्व को प्रदर्शित किया। इस क्षेत्र को एक उभरता हुआ क्षेत्र माना जाता है। यही कारण है कि यह निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
मत्स्य उत्पादन में 1980 से अब तक कितना उभरा भारत ?
हाल के दिनों में, भारतीय मत्स्य पालन में समुद्री प्रभुत्व वाले मत्स्य पालन से अंतर्देशीय मत्स्य पालन में एक आदर्श बदलाव देखा गया है, जो 1980 के मध्य में 36% से हाल के दिनों में 70% तक मछली उत्पादन में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में उभरा है। अंतर्देशीय मत्स्य पालन के भीतर, मछली पकड़ने से लेकर संस्कृति-आधारित मत्स्य पालन की ओर बदलाव ने निरंतर ब्लू इकोनॉमी का मार्ग प्रशस्त किया है।
हालांकि अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में पूर्ण रूप से वृद्धि हुई है, लेकिन इसकी क्षमता के संदर्भ में विकास अभी भी साकार नहीं हुआ है। मत्स्य पालन विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक 191,024 किलोमीटर नदियों और नहरों, 1.2 मिलियन हेक्टेयर बाढ़ क्षेत्र की झीलों, 2.36 मिलियन हेक्टेयर तालाबों और टैंकों, 3.54 मिलियन हेक्टेयर जलाशयों और 1.24 मिलियन हेक्टेयर खारे जल संसाधनों के रूप में अप्रयुक्त और कम उपयोग किए गए विशाल और विविध संसाधन आजीविका और आर्थिक समृद्धि लाने के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने के लिए बेहद उपयुक्त हैं। ऐसे में आने वाले समय में देश के विकास के लिए इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं नजर आती हैं जिन्हें भुनाने के लिए वर्तमान सरकार निरतंर कार्य कर रही है।