One Nation One Election: उच्च स्तरीय समिति की दूसरी बैठक, सभी मान्यता प्राप्त दलों से मांगे गए सुझाव
वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चुनाव समिति की दूसरी बैठक नई दिल्ली में हुई। सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है। यह समिति संविधान के वर्तमान ढांचे और अन्य वैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए सिफारिशें करेगी।
बुधवार को हुई बैठक में केन्द्रीय मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, कानूनी मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और अन्य लोग बैठक में शामिल हुए। समिति को सूचित किया गया कि एचएलसी का नाम बदलकर ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति’ कर दिया गया है।
सभी मान्यता प्राप्त दलों से मांगा गया सुझाव
समिति ने 6 राष्ट्रीय दलों, 33 राज्य स्तर के दलों और 7 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों को एक राष्ट्र एक चुनाव पर सुझाव देने के लिए पत्र भेजे गए हैं। बैठक के दौरान एक राष्ट्र एक चुनाव के लिए वेबसाइट www.onoe.gov.in का शुभारंभ किया गया। विधि आयोग ने भी देश में एक साथ चुनाव के मुद्दे पर अपने सुझावों और दृष्टिकोणों पर विस्तार से एक प्रस्तुति दी।
वन नेशन वन इलेक्शन क्यों?
बता दें कि वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब यह है कि पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे। देश की आजादी के बाद कुछ समय तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाते थे। 1952, 1957, 1962 और 1967 में दोनों चुनाव एक साथ ही कराये गए थे।
केंद्र सरकार समेत कई विशेषज्ञों का तर्क है कि एक साथ चुनाव कराने से समय और खर्च दोनों में बचत होगी। नेता चुनाव और प्रचार पर ध्यान देने के बाद पांच साल तक अपने विकास कार्य में लगेंगे। अभी हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होने से दूसरे राज्य के नेताओं और प्रशासन का भी कार्य प्रभावित होता है।