जैव-अर्थव्यवस्था होगा भविष्य में आजीविका का अहम स्रोत : डॉ. जितेंद्र सिंह
भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 2014 में लगभग 10 बिलियन डॉलर थी, आज यह 80 बिलियन डॉलर की है । 8-9 वर्षों में यह बढ़कर 8 गुना हो गयी है , 2025 तक इसके 125 बिलियन डॉलर होने की सम्भावना है। यह बातें केंद्रीय मंत्री डाॅ जितेंद्र सिंह ने ‘ग्रीन रिबन चैंपियंस’ कॉन्क्लेव में कहीं । साथ ही उन्होंने हरित अर्थव्यवस्था को भविष्य में आजीविका का एक अहम स्रोत होने की उम्मीद भी जताई ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित ‘राष्ट्रीय शोध संस्थान’ एक थिंक टैंक के रूप में आने वाले परियोजनाओं को तैयार करने में मदद करेगा । एनआरएफ अधिनियम को मॉनसून सत्र में संसद द्वारा पारित किया गया था ,जिसके लिए पाँच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है ।एनआरएफ भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में अनुसंधान और नवाचार संस्कृति को बढ़ावा देगा तथा भारत में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और मिशन इनोवेशन को भी प्रोत्साहित करेगा। संस्थान को लगभग 70 प्रतिशत तक वित्तपोषण गैर-सरकारी स्रोतों के माध्यम से उपलब्ध कराया जायेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, पीएम मोदी के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक – राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनईपी-2020 है । यह छात्रों को उनकी योग्यता के आधार पर उच्च शिक्षा में इंजीनियरिंग से मानविकी और मानविकी से इंजीनियरिंग में शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति देता है ।उन्होंने कहा कि इसका हमारे जीवन के हर क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा,युवा अपना सारा जीवन ‘अपनी आकांक्षाओं के बंदी’ के रूप में नहीं जिएगा ।