केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, श्री परशोत्तम रूपाला ने सागर परिक्रमा के दूसरे के दूसरे दिन की अगुवाई की
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री परशोत्तम रूपाला ने राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन के साथ सागर परिक्रमा के दूसरे दिन का नेतृत्व किया। इस मौके पर संयुक्त सचिव, श्रीमती नीतू कुमारी प्रसाद और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी, डॉ. एलएन मूर्ति भी उपस्थिति थे। सागर परिक्रमा यात्रा आज तमिलनाडु के थारुवैकुलम पहुंची।
श्री परशोत्तम रूपाला ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ तमिलनाडु के तिरुनेलवेली और थूथुकुडी जिलों के तटीय क्षेत्रों का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने तिरुनेलवेली और थूथुकुडी जिले का भी दौरा किया और मछुआरों, मत्स्य किसानों जैसे लाभार्थियों से बातचीत की। इसके बाद तटीय गांव में मछुआरों ने प्रतिनिधिमंडल से बातचीत में उवारी गांव में बंदरगाह की स्थापना जैसी विभिन्न सुविधाओं के लिए आग्रह किया। मछुआरों ने सुझाव दिया कि विभाग का नाम बदलकर मछुआरा कल्याण विभाग कर दिया जाए। विभिन्न योजना के लाभार्थियों, मछुआरों, मछली किसानों और नाव मालिकों ने प्रतिनिधिमंडल के साथ अपने व्यापक अनुभव साझा किए।
केंद्रीय मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने समुद्री घास की खेती पर जोर दिया। श्री रूपाला ने कहा कि मछुआरों की समस्याओं और चुनौतियों को समझने, मछुआरों और मछली पकड़ने वाले समुदाय से सीधे जुड़ने, मत्स्य पालन क्षेत्र के समग्र सुधार के लिए बुनियादी ढांचे की स्थिति को देखने के लिए सागर परिक्रमा की जा रही है, इससे मछुआरों को उनके नजदीक ही अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने अपना बहुमूल्य समय देने के लिए सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने अपनी राय साझा करते हुए कहा की प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) की गतिविधियों को चलाने से भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, जिसका उद्देश्य मछली पकड़ने के आधुनिक और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर उत्पादन बढ़ाना, तटीय पारिस्थितिकी तंत्र और मछली की उत्पादकता को और बेहतर करना है। इससे न केवल मछुआरों और मछली किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि बाजार में मछली की उपलब्धता भी बढ़ेगी, जिसका खाद्य सुरक्षा और पोषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। श्री रूपाला ने उवारी गांव में लाभार्थियों को केसीसी से सम्मानित किया।
राज्य मंत्री, डॉ. एल. मुरुगन ने पीएमएमएसवाई जैसी योजनाओं और अन्य बहुआयामी गतिविधियों पर प्रकाश डाला, जिसमें अंतर्देशीय और समुद्री दोनों के लिए मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने और बुनियादी ढांचे के विकास, विपणन, निर्यात और संस्थागत व्यवस्था सहित इससे जुड़ी गतिविधियों पर प्रमुख ध्यान दिया गया। उन्होंने मत्स्य पालन के लिए अलग विभाग स्थापित करने के बारे में 2019 में सरकार द्वारा की गई घोषणा पर प्रकाश डाला, जिसे प्रधानमंत्री ने तुरंत मंजूरी दी थी। उन्होंने स्वयंसेवकों से योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद करने का अनुरोध किया ताकि लाभार्थी इसका लाभ उठा सकें।