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पंकज त्रिपाठी, धोनी के बाद अब सचिन तेंदुलकर करेंगे मतदान के प्रति देश को जागरूक

पंकज त्रिपाठी, धोनी के बाद अब सचिन तेंदुलकर करेंगे मतदान के प्रति देश को जागरूक
  • PublishedAugust 23, 2023

भारत निर्वाचन आयोग ने देश में मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘मास्टर-ब्लास्टर’ सचिन तेंदुलकर को बनाया राष्ट्रीय आइकन।

लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलने वाले देश में चुनाव की महत्ता बहुत बड़ी होती है। जब बात भारत जैसे बहुभाषी देश की हो जहाँ की आबादी विश्व की सबसे बड़ी आबादी है तो उसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का हिस्सा बनाने के लिए कई कदम उठाने होते हैं। भारत का चुनाव आयोग इस क्रम में सभी को जागरूक करने के लिए ऐसे प्रयोग करता है जिससे आम जनमानस मतदान जैसी प्रक्रियाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। मंगलवार को नई दिल्ली स्थित आकाशवाणी भवन में आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम में चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की उपस्थिति में पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को राष्ट्रीय आइकन की ज़िम्मेदारी दी गई।

सचिन तेंदुलकर रहे कार्यक्रम में मौजूद

चुनाव आयोग ने पूर्व क्रिकेटर और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर को मत प्रयोग और मतदान जागरूकता के लिए अपना अगला राष्ट्रीय आइकन चुना है। इसकी औपचारिक घोषणा के लिए आधिकारिक कार्यक्रम रखा गया था। कार्यक्रम में सचिन तेंदुलकर, चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और अन्य अधिकारी मौजूद थे।

तीन साल के लिए बनाया गया राष्ट्रीय आइकन

चुनाव आयोग की ओर से बताया गया कि बुधवार को राजधानी दिल्ली में आयोग सचिन तेंदुलकर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा। सचिन इस ज़िम्मेदारी को तीन साल तक निभाएंगे और आगामी चुनावों में उनकी भूमिका मतदान के लिए लिहाज से अहम हो जाएगी।

चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा, आगामी चुनावों, खासकर लोकसभा चुनाव 2024 में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए युवाओं के बीच सचिन तेंदुलकर के अद्वितीय प्रभाव का लाभ उठाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

ये भी रह चुके हैं राष्ट्रीय आइकन

सचिन तेंदुलकर से पहले कई अभिनेता और खिलाड़ी भी चुनाव आयोग की इस मुहिम के साथी बन चुके हैं। सचिन से पहले बॉलीवुड एक्टर पंकज त्रिपाठी इस ज़िम्मेदारी को निभा रहे थे। उनसे पहले पूर्व कप्तान भारतीय क्रिकेट टीम महेंद्र सिंह धोनी, बॉक्सर मैरी कॉम भी मतदान जागरूकता और शिक्षा के ध्वजवाहक रह चुके हैं। इसका उद्देश्य युवाओं में मतदान के प्रति जागरूकता पैदा करना तो है ही, इसके साथ लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सभी की समान भागीदारी हो इसको सुनिश्चित करना ध्येय है।