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देश आज मना रहा ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’, जानें क्या है इसका इतिहास और महत्व

देश आज मना रहा ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’, जानें क्या है इसका इतिहास और महत्व
  • PublishedAugust 14, 2023

भारत सरकार ने 14 अगस्त 2021 को ‘विभाजन विभीषिका स्‍मृति दिवस’ के रूप में मनाना शुरू किया था। इसी दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा था, “देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता…

भारत 1947 में विभाजन के दौरान संघर्ष और बलिदान की याद में आज सोमवार को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मना रहा है। याद हो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि जिन्होंने विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाई थी उनकी याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया जाएगा।

पीएम मोदी ने कहा था कि विभाजन के कारण हुई विवेकहीन नफरत और हिंसा के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए और कई लोगों की जान चली गई। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह दिन हमें सामाजिक विभाजन, वैमनस्य के जहर को दूर करने और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण की भावना को और मजबूत करने की याद दिलाता रहेगा।

‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ का इतिहास

उल्लेखनीय है कि जहां एक ओर 14-15 अगस्त, 2023 की आधी रात को पूरा देश 77 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा होगा, वहीं दूसरी तरफ देश की स्मृति में गहराई से अंकित विभाजन का दर्द व संघर्ष और बलिदान की याद भी दिलाएगा। हालांकि, देश आज बहुत आगे बढ़ गया है और दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है लेकिन देश के विभाजन के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। अपनी आजादी का जश्न मनाते हुए एक कृतज्ञ राष्ट्र, मातृभूमि के उन बेटे-बेटियों को भी नमन करता है, जिन्हें विभाजन के संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी।

14 अगस्त 2021 से मनाया जा रहा यह दिवस

भारत सरकार ने 14 अगस्त 2021 को ‘विभाजन विभीषिका स्‍मृति दिवस’ के रूप में मनाना शुरू किया था। इसी दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा था, “देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है। #PartitionHorrorsRemembranceDay का यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी”

पीएम मोदी द्वारा किए गए इसी आह्वान पर हर साल की तरह इस बार भी देशभर में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जा रहा है।

बयां करता है मजबूरी में किए गए पलायन की दर्दनाक कहानी

भारत का विभाजन विस्थापन और मजबूरी में उन लोगों के पलायन की दर्दनाक कहानी बयां करता है जिन्होंने इस पीड़ा को सहा है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें लाखों लोग अजनबियों के बीच एकदम विपरीत वातावरण में नया आशियाना तलाश रहे थे। विश्वास और धार्मिक आधार पर एक हिंसक विभाजन की कहानी होने के अतिरिक्त यह इस बात की भी गवाही देती है कि कैसे एक जीवन और उससे जुड़े वर्षों पुराना सह-अस्तित्व का युग अचानक नाटकीय ढंग से समाप्त हो गया।

लगभग 60 लाख गैर-मुसलमान उस क्षेत्र से निकल आए, जो बाद में पश्चिमी पाकिस्तान बन गया और 65 लाख मुसलमान पंजाब, दिल्ली, आदि के भारतीय हिस्सों से पश्चिमी पाकिस्तान चले गए थे। वहीं 20 लाख गैर-मुसलमान पूर्वी बंगाल, जो बाद में पूर्वी पाकिस्तान बना, से निकल कर पश्चिम बंगाल आए। 1950 में 20 लाख और गैर मुसलमान पश्चिम बंगाल आए। दस लाख मुसलमान पश्चिम बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान चले गए। यह विभाजन मानव इतिहास में सबसे बड़े विस्थापनों में से एक है, जिससे लगभग 20 मिलियन लोग प्रभावित हुए। लाखों परिवारों को अपने पैतृक गांवों/कस्बों/शहरों को छोड़ना पड़ा और शरणार्थी के रूप में एक नया जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ा।